सावन के पहले सोमवार की हिंदू धर्म में बहुत मान्यता है. शिवभक्तों की धार्मिक भावनाओं की सुरक्षा वाला नेम प्लेट विवाद पर जोरों पर है अब नेम प्लेट की आंच दिल्ली तक पहुंच गई है. विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने उत्तर प्रदेश सरकार के शासकीय आदेश की ही तरह दिल्ली सरकार से भी मांग की है कि कांवड़ यात्रा के रास्ते में आने वाले सभी दुकानदार, रेहड़ी पटरी वालों के असली नाम के बोर्ड लगाने संबंधी आदेश जारी करें.
विहिप इंद्रप्रस्थ (दिल्ली) के प्रांत मंत्री सुरेन्द्र गुप्ता ने उपराज्यपाल (एलजी) विजय कुमार सक्सेना को लिखकर उत्तर प्रदेश की ही तर्ज पर दिल्ली के भी सभी दुकानदार और रेहड़ी पटरी के लिए नाम का बोर्ड टांगे ताकि किसी भी शिवभक्त की धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ न हो पाए.
पत्र में लिखा "श्रावण मास में शिवभक्त कांवड़िए पवित्र जल लेकर पैदल चलकर शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं. कांवड़िए पूरे मार्ग नंगे पैर चलते हैं और कांवड की पवित्रता का अपनी जान से भी ज्यादा ध्यान रखते हैं. इस दुर्गम यात्रा को सुगम बनाने के लिए स्थानीय हिन्दू सेवा शिविर द्वारा शिविर लगाया जाता है."
गुप्ता ने एलजी को लिखे पत्र में आगे कहा, 'इस पवित्र यात्रा हेतु मैं आपका ध्यान दो बातों की ओर आकर्षित करना चाहता हूं. एक तो आनंद नगर इन्द्रलोक में 35 सालों से जो शिविर लग रहा था दिल्ली पुलिस उसको लगाने नहीं दे रही है. दिल्ली पुलिस पूरी तरह से हिन्दुओं की धार्मिक आस्थाओं को दबाने का प्रयास कर रही है और हमारी शोभायात्रा नहीं निकलने देती जबकि ताजिए पूरी सुरक्षा के साथ निकलवा रही है.'
एलजी से मांग करके दावा किया कि सभी हिन्दू संगठन चाहते हैं कि कांवड़ यात्रा मार्ग में दिल्ली में भी दुकानदार और रेहड़ी पटरी वाले अपने असली नाम के बोर्ड टांगे ताकि किसी भी शिवभक्त का धर्म भ्रष्ट करने की कोशिश ना हो और कानून व्यवस्था बनी रहे.
गुप्ता ने आज लिखा कि हमें जानकारी मिल रही है कि कुछ लोग नकली नाम से दुकान लगाकर दूषित फल सब्जी बेचने का प्रयास कर रहे हैं. दिल्ली सरकार के मुखिया होने के नाते विहिप दिल्ली प्रांत का एलजी से आग्रह है कि इस दिशा में उचित कार्रवाई का आदेश जारी करें.
बता दें, कावड़ यात्रा-नेमप्लेट विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के उस फैसले पर पर अंतरिम रोक लगा दी है, जिसमें कावड़ रूट पर दुकानदारों को अपनी पहचान बताने को कहा गया था. अदालत ने कहा है कि दुकानदारों को अपना नाम या पहचान उजागर करने की जरूरत नहीं है. इस संबंध में कोर्ट ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है.
-राम किंकर सिंह की रिपोर्ट