
अक्सर लोग तलाक लेने के लिए अदालत जाते हैं. लेकिन क्या हो अगर अदालत ही बिछड़े लोगों को फिर से मिला दे. 20 साल से अलग रह रहे एक दंपति को बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में पेश किया गया ताकि कुछ सुलह हो सके और वे फिर से साथ रह सकें. न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने एक 50 वर्ष और 48 वर्ष की आयु के दंपति को 20 साल बाद फिर से मिला दिया. अदालत परिसर में दोनों से 30 मिनट तक बातचीत की गई और उन्हें एक-दूसरे के साथ रहने के लिए मना लिया गया. अदालत का कहना था कि ये दोनों के लिए अच्छा होगा, क्योंकि क्योंकि दोनों अपने मध्य युग में हैं और उन्हें आगे जीवन जीने के लिए एक-दूसरे के साथ की. जरूरत है.
एक घर की दूरी पर रहते थे पति-पत्नी
दंपति को व्यक्तिगत रूप से इंदौर से दिल्ली बुलाया गया था. सुनवाई के दौरान दोनों जजों ने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की ताकि कपल बात करने के लिए आ जाए और साथ रहने लगे. दिलचस्प बात यह है कि दंपति एक-दूसरे से सिर्फ एक घर की दूरी पर रहते हैं और 2001 से छोटी-छोटी बातों झगड़े की वजह से अलग रह रहे हैं. व्यक्तिगत रूप से पेश हुए पति ने कहा कि उनकी उम्र 50 वर्ष है, उनके पास डबल एमए की डिग्री है, और वो सरकारी नौकरी भी करते हैं. वह हमेशा से साथ रहना चाहता है, लेकिन ट्रायल कोर्ट की कुछ कार्यवाही के दौरान पत्नी द्वारा दिए गए बयान से आहत है.
इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने टिप्पणी की, "अगर आप साथ रहना चाहते हैं तो आपको कुछ चीजों को भूलना होगा. आप दोनों उस उम्र में हैं जहाँ आपको एक-दूसरे के साथ की जरूरत है." इतना ही नहीं अदालत ने उन्हें सुझाव दिया कि वो दोनों एक कप चाय पर एक-दूसरे से बात करें और साथ रहना शुरू करें.
पति पत्नी ने किया साथ आने का फैसला
पत्नी से जब न्यायाधीशों ने पूछा कि इस पर उनका क्या विचार है, तो उन्होंने टिप्पणी की कि वह पति के साथ रहना चाहती है. लेकिन पति का इसपर कहना था कि वो पत्नी ही थीं जिन्होंने पहले अलग होने का फैसला लिया था. हालांकि पति ने उस वक्त भी उन्हें समझाने की पूरी कोशिश की थी. जजों के समझाने के आधे घंटे बाद दंपति अदालत में वापस आए और कहा कि उनके पास पहले दौर की बात है और कुछ और मुद्दों पर बात करना चाहते हैं. पत्नी के वकील ने पीठ से कहा कि वह अपनी सास के साथ पत्नी की मुलाकात कराएं ताकि वह अपनी गलतियों के लिए माफी मांग सकें. इस पर न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने टिप्पणी की, "हम कुछ भी आदेश देने वाले कौन होते हैं? वह खुद जाकर अपनी सास से बात कर सकती है और इसमें पति की अनुमति की आवश्यकता क्यों है. वह आगे बढ़ सकती है और इसे सुलझा सकती है."
अदालत ने कहा छोटी बातें भूल जाओ
अदालत ने अब मामले की अगली सुनवाई 29 अगस्त को तय की है और दंपति से अगली बार खुशी-खुशी साथ आने का आग्रह किया है. सुनवाई के दौरान पति ने यह भी सवाल उठाया कि पत्नी कैसे मांसाहारी खाती है जबकि उसका परिवार शुद्ध शाकाहारी है और एक ऐसे मामले का भी हवाला दिया जिसमें कुछ रिश्तेदार घर आए थे और उसने उसे चाय बनाने के लिए कहा, जिसे उसने स्पष्ट रूप से मना कर दिया. उन्होंने यह भी कहा कि उनकी मां, जो 75 साल की उम्र में चल रही हैं, इस सब से पीड़ित हैं. इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, "ये छोटी चीजें हैं और आपको इस चीजों से ज्यादा परेशान नहीं होना चाहिए. आप दोनों उस समय छोटे थे और अब इतने साल बीत चुके हैं, इसलिए आप दोनों को पुरानी चीजों को माफ करना सीखना चाहिए और नए सिरे से शुरुआत करनी चाहिए."
(कानू सरदा की रिपोर्ट)