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Manipur Vilolence Updates: मणिपुर हिंसा में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा एक्शन, 3 महिला जजों की कमेटी बनाने का दिया निर्देश, जानें इनके बारे में

Manipur Vilolence Updates: सुप्रीम कोर्ट ने तीन पूर्व जजों की कमिटी बनाने का निर्देश दिया है. इसकी अध्यक्षता जस्टिस गीता मित्तल करेंगी और इसमें जस्टिस शालिनी जोशी, जस्टिस आशा मेनन भी शामिल होंगी. 

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हाइलाइट्स
  • जस्टिस शालिनी फणसाळकर को है तीन दशकों से ज्यादा का अनुभव

  • कमेटी में तीसरी जज हैं आशा मेनन 

मणिपुर हिंसा (Manipur Violence) में एक्शन लेते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने हाईकोर्ट की 3 पूर्व महिला जजों की कमेटी बनाने का निर्देश दिया है. 3 महिला जजों की ये कमेटी सीबीआई और पुलिस जांच से अलग मणिपुर मामले को देखेगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा उनका प्रयास राज्य में कानून के शासन में विश्वास और आस्था की भावना बहाल करना है. इसके अलावा कोर्ट ने कहा कि जांच के मामले को सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया गया है. तीन पूर्व जजों की इस कमिटी की अध्यक्षता जस्टिस गीता मित्तल करेंगी और इसमें जस्टिस शालिनी जोशी, जस्टिस आशा मेनन भी शामिल होंगी. 

कौन हैं जस्टिस गीता मित्तल?

दरअसल, जस्टिस गीता मित्तल (Justice Geeta Mittal) दिल्ली के लेडी इरविन स्कूल और लेडी श्री राम कॉलेज फॉर वुमेन की पूर्व छात्र हैं. उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी की लॉ फैकल्टी से एलएलबी की पढ़ाई पूरी की है. साल 1981 में वे एक वकील के रूप में नामांकित हुई थीं. जुलाई 2004 में उन्हें दिल्ली हाई कोर्ट के एडिशनल जज के रूप में नियुक्त किया गया, और दो साल से भी कम समय के बाद उन्हें स्थायी जज बना दिया गया. इतना ही नहीं उन्हें 14 अप्रैल, 2017 को दिल्ली हाई कोर्ट की एक्टिंग चीफ जस्टिस के रूप में नियुक्त किया गया. दिल्ली हाई कोर्ट में 12 साल बिताने के बाद, वह अगस्त 2018 में जम्मू और कश्मीर HC की पहली महिला चीफ जस्टिस बनीं. 

जस्टिस शालिनी फणसाळकर को है तीन दशकों से ज्यादा का अनुभव

डॉ. जस्टिस शालिनी फणसाळकर जोशी (Justice Shalini Phansalkar Joshi) बॉम्बे हाई कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश हैं, जो हाल ही में रिटायर हुई हैं. उनके पास सिटी सिविल और मुंबई सेशन कोर्ट मुंबई के प्रिंसिपल जज के रूप में काम करने का तीन दशकों से अधिक का अनुभव है. वे पहले भी महिलाओं से जुड़े कई मुद्दों में न्याय दे चुकी हैं. इसमें पुणे में महिलाओं के खिलाफ अत्याचार के मामलों की सुनवाई के लिए स्पेशल कोर्ट, जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड की प्रिंसिपल मजिस्ट्रेट के रूप में काम करना शामिल है. उन्होंने पुणे में फैमिली कोर्ट के जज और फिर बॉम्बे हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के रूप में भी काम किया है.

कमेटी में तीसरी जज हैं आशा मेनन 

इस कमेटी में तीसरी जज आशा मेनन (Justice Asha Menon) हैं. वह दिल्ली हाई कोर्ट की पूर्व जज  हैं. आशा मेनन ने लेडी श्रीराम कॉलेज से अर्थशास्त्र में ग्रेजुएशन की डिग्री ली है. इसके बाद साल 1982 में उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से एलएलबी की पढ़ाई की है. जस्टिस आशा मेनन ने कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से एलएलएम भी पूरी की है. 1985 में वह दिल्ली स्टेट लीगल सर्विस में शामिल हुईं और 1986 में जज बनीं. साल 2008 से 2012 तक जस्टिस आशा मेनन दिल्ली स्टेट लीगल सर्विस अथॉरिटी की मेंबर सेक्रेटरी भी रहीं. जस्टिस मेनन को 27 मई 2019 को दिल्ली हाई कोर्ट के स्थायी न्यायाधीश के पद पर प्रोमोट किया गया. 16 सितंबर 2022 को वे रिटायर हुईं.