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Supreme Court: कर्जदारों के लिए सुप्रीम कोर्ट की बड़ी राहत, अकाउंट को फ्रॉड घोषित करने से पहले होगी खाताधारक की सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने कर्जदारों को राहत दी है. सर्वोच्च अदालत ने लोन लेने वाले ग्राहकों के अकाउंट को फ्रॉड घोषित करने से पहले उन्हें सुने जाने का फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ की तरफ से कर्जदारों को ये राहत ऐसे वक्त मिली है. जब देश में बैंकिंग फ्रॉड एक बड़ा मुद्दा है.

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हाइलाइट्स
  • 7 साल में देश को हर रोज लगी 100 करोड़ की चपत

  • 2022 में कम हुए हैं बैंक फ्रॉड के मामले

सुप्रीम कोर्ट ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की तरफ से दायर एक याचिका पर फैसला सुनाया है. सर्वोच्च अदालत ने लोन लेने वाले ग्राहकों के अकाउंट को फ्रॉड घोषित करने से पहले उन्हें सुने जाने की सलाह दी है. चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हेमा कोहली की अध्यक्षता वाली बेंच ने 2020 में तेलंगाना हाई कोर्ट के दिए गए फैसले को भी सही माना. दरअसल, SBI ने तेलंगाना हाईकोर्ट के एक फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी थी. 

तेलंगाना हाईकोर्ट ने साल 2020 में राजेश अग्रवाल नाम के एक व्यक्ति की याचिका पर फैसला सुनाया था कि किसी भी अकाउंट को फ्रॉड घोषित करने से पहले अकाउंट होल्डर को सुनवाई का एक मौका दिया जाना चाहिए. जिसके खिलाफ देश का सबसे बड़ा पब्लिक सेक्टर बैंक सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया. जहां उसने ने भी ऑडी ऑल्टरम पार्टम के प्रिंसिपल को पढ़ने की सलाह दे दी. 

क्या है ऑडी अल्टरम पार्टेम?
ऑडी अल्टरम पार्टेम का मतलब नेचुरल जस्टिस का प्रिंसिपल है. इसके तहत कोई भी व्यक्ति बिना सुनवाई के अपराधी घोषित नहीं किया जाएगा. 2016 में RBI ने एक सर्कुलर जारी किया था, जिसमें बैंकों को विलफुल डिफॉल्टर्स के खातों को फ्रॉड घोषित करने की अनुमति दी गई थी. RBI के इस कदम को देश के कई हाईकोर्ट में चुनौती मिली थी. जिसमें एक याचिका ग्राहक राजेश अग्रवाल की भी थी.

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ की तरफ से कर्जदारों को ये राहत ऐसे वक्त मिली है. जब देश में बैंकिंग फ्रॉड एक बड़ा मुद्दा है. हाल के कुछ साल में किंगफिशर एयरलाइंस के पूर्व मालिक विजय माल्या, हीरा कारोबारी नीरव मोदी, मेहुल चौकसी और डीएचएफएल के पूर्व प्रमोटर कपिल वधावन और धीरज वधावन जैसे कारोबारी देश में बैंक फ्रॉड के सबसे बड़े चेहरे बनकर उभरे हैं. विपक्ष, इनके नामों का सहारा लेकर मोदी सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ता. केंद्र सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद बैंकिंग फ्रॉड से पूरी तरह निजात मिलने का कोई रास्ता भी नहीं दिखता. इस तरह के फ्रॉड से ना सिर्फ सरकारी और निजी बैंकों की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचता है, बल्कि आम लोगों की तरफ से दिए जाने वाले टैक्स की गाढ़ी कमाई को भी कुछ घोटालेबाज ले उड़ते हैं. हालांकि साल 2022 में पहले के वर्षों की तुलना में बैंक फ्रॉड की संख्या में गिरावट देखी जा रही है. 

बैंक फ्रॉड पर लगाम! 
साल 2021-22 में ऐसे मामलों की संख्या महज 118 दर्ज की गई. जबकि साल 2020-21 में सरकारी और निजी बैंक में होने वाले फ्रॉड से जुड़े मामलों की संख्या 265 थी. यानी हाल के दिनों में RBI यानी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की सख्ती की वजह से बैंक फ्रॉड मामलों में आधे से ज्यादा कमी आई है. केंद्रीय बैंक की तरफ से अपने अर्ली वॉर्निंग सिस्टम के ढांचे को मजबूत करने से सिर्फ एक साल में बैंक फ्रॉड से जुड़े 147 मामले कम दर्ज हुए हैं. 

7 साल में देश को हर रोज लगी 100 करोड़ की चपत
हालांकि बैंक फ्रॉड्स को लेकर निगरानी बढ़ाने और उस पर तत्काल कार्रवाई करने के बावजूद बैंकिंग फ्रॉड पर पूरी तरह काबू पाना मुश्किल हो रहा है. आरबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 7 साल में यानी 2015-2022 के बीच बैंकिंग फ्रॉड की वजह से हर रोज 100 करोड़ रुपये की चपत देश को लगी है.

महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा होता है बैंक स्कैम
आरबीआई की ही रिपोर्ट कहती है कि सबसे ज्यादा बैंक स्कैम महाराष्ट्र में हुए हैं. बैंक फ्रॉड के खिलाफ निगरानी और कार्रवाई बढ़ने के बावजूद बैंक घोटाले की कुल राशि का करीब 50 फीसदी अकेले महराष्ट्र से जुड़ा है. महाराष्ट्र के बाद दिल्ली, तेलंगाना, गुजरात और तमिलनाडु का नंबर आता है. ये सभी वो राज्य हैं, जो आर्थिक रूप से सबसे ज्यादा संपन्न हैं. फिर भी इन राज्यों में बैंक घोटाले से जुड़े मामले अधिक सामने आए हैं. 2015 से लेकर 2022 तक यानी सात साल में महाराष्ट्र, दिल्ली, तेलंगाना, गुजरात और तमिलनाडु में 2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के बैंकिंग स्कैम हो चुके हैं। जो घोटाले की कुल राशि का करीब 83 फीसदी है.

ये थे देश का सबसे बैंक फ्रॉड केस
आरबीआई बैंक फ्रॉड से जुड़े ऐसे मामलों के ही आंकड़े जुटाता है जिनमें फ्रॉड की कुल राशि 100 करोड़ रुपये से ज्यादा होती है. ऐसे में 100 करोड़ से कम से जुड़े बैंक फ्रॉड की संख्या कहीं ज्यादा हो सकती है. पिछले साल यानी 2022 की शुरुआत में SBI ने सबसे बड़ा बैंक फ्रॉड का मामला रिपोर्ट किया था. ABG Shipyard और इसके प्रमोटर्स पर बैंक के साथ 22,842 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी आरोप है. पिछले साल तक ये देश का सबसे बड़ा बैंक फ्रॉड केस था. जबतक CBI ने DHFL और इसके प्रमोटर्स के खिलाफ 34,600 करोड़ रुपये से ज्यादा के बैंक फ्रॉड का मामला दर्ज नहीं किया था. इससे पहले नीरव मोदी और मेहुल चौकसी पर भी PNB के साथ 14,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के आरोप लग चुके हैं.