scorecardresearch

अगले साल लॉन्च हो सकता है सुप्रीम कोर्ट का टीवी चैनल, खास मामलों की सुनवाई का होगा सीधा प्रसारण

लॉकडाउन के दौरान मार्च 2020 से मोबाइल ऐप के जरिए ई कोर्ट यानी वर्चुअल हियरिंग के जरिए मोबाइल ऐप से सुप्रीम कोर्ट के अधिकारी कर्मचारी मुकदमों से संबंधित वकील और पत्रकार इस कार्यवाही को देखते सुनते हैं. इस मोबाइल ऐप के जरिए सुप्रीम कोर्ट की फिलहाल 17 पीठों की कार्यवाही का सीधा प्रसारण देखा जाता है.

अगले साल आ सकता है सुप्रीम कोर्ट का टीवी चैनल अगले साल आ सकता है सुप्रीम कोर्ट का टीवी चैनल
हाइलाइट्स
  • कर्नाटक और गुजरात हाईकोर्ट में भी हो चुका है प्रसारण

  • दूसरे देशों में होता है कोर्ट का प्रसारण

जनता से जुड़े खास मुकदमों की सुनवाई के सीधे प्रसारण के लिए सुप्रीम कोर्ट का अपना अलग चैनल जल्दी ही लॉन्च हो सकता है. सुप्रीम कोर्ट की ई-कमेटी इस बारे में गहन विचार विमर्श कर रही है. जल्दी ही कमेटी इस पर फैसला भी करेगी. मुमकिन है कि नवंबर 2022 के बाद जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ के मुख्य न्यायाधीश कार्यकाल में यह कल्पना हकीकत में बदल जाए. सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश और ई कमेटी के अध्यक्ष जस्टिस चंद्रचूड़ ने बताया कि संसद टीवी की तर्ज पर सुप्रीम कोर्ट का एक अलग चैनल होगा. उस पर सर्वोच्च न्यायालय में महत्वपूर्ण मुकदमों की सुनवाई और कार्यवाही का सीधा प्रसारण मुमकिन होगा.

जस्टिस चंद्रचूड़ ने यह भी बताया कि मौजूदा समय में उच्चतम न्यायालय की कार्यवाही का आंशिक रूप से सीधा प्रसारण तो हो ही रहा है. 20 मार्च 2020 से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही ऑनलाइन यानी वर्चुअल मोड में दो साल तक चली. ये व्यवस्था भी सीधे प्रसारण जैसा ही है. फिलहाल इसे देखने का अधिकार कुछ अधिकृत लोगों को ही दिया गया है.

लॉकडाउन के दौरान मार्च 2020 से मोबाइल ऐप के जरिए ई कोर्ट यानी वर्चुअल हियरिंग के जरिए मोबाइल ऐप से सुप्रीम कोर्ट के अधिकारी कर्मचारी मुकदमों से संबंधित वकील और पत्रकार इस कार्यवाही को देखते सुनते हैं. इस मोबाइल ऐप के जरिए सुप्रीम कोर्ट की फिलहाल 17 पीठों की कार्यवाही का सीधा प्रसारण देखा जाता है.

लॉकडाउन के दौरान देश की हर अदालत में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा है. ऐसे में आम जनता के लिए कोर्ट के अहम मुकदमों की सुनवाई का सीधा प्रसारण करने में कोई ऐसी समस्या नहीं आएगी. सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने चार साल पहले आदेश दिया था कि अदालत की कार्यवाही यानी जनता से जुड़े मुकदमों की सुनवाई का सीधा प्रसारण किया जा सकता है. पीठ ने अपने आदेश में संसद की कार्यवाही के सीधे प्रसारण  का हवाला भी दिया था जिसका नाम उस समय लोकसभा और राज्यसभा टीवी था.  

जस्टिस चंद्रचूड़ के इस एलान से वकीलों में भी उत्साह है. उनका कहना है कि सीधे प्रसारण से वकीलों की दक्षता में भी सुधार आएगा. वहीं वादी प्रतिवादी अपने मुकदमों पर अपने वकीलों की दलीलों पर नजर रख सकेंगे. वे यह जान सकेंगे कि अदालत ने क्या आदेश दिया है.

कर्नाटक और गुजरात हाईकोर्ट में भी हो चुका है प्रसारण
अगर हम मौजूदा दौर की बात करें तो सुप्रीम कोर्ट कोई पहला कोर्ट नहीं होगा. जहां से खास मुकदमों की सुनवाई का सीधा प्रसारण होता है. अब तक कर्नाटक और गुजरात हाईकोर्ट में अपनी पूरी कार्यवाही के सीधे प्रसारण का इंतजाम किया हुआ है. लेकिन वहां अपना कोई चैनल नहीं बल्कि यूट्यूब पर कोई भी नागरिक इन दोनों हाईकोर्ट की सुनवाई को देख सकता है. हालांकि फिलहाल इन दोनों कोर्ट के पास अपना कोई खास टीवी चैनल नहीं है.

दूसरे देशों में होता है कोर्ट का प्रसारण
अगर हम दुनिया की बात करें तो यूरोप के कई देशों सहित ब्रिटेन, कनाडा और अमेरिका के साथ साथ यूरोपीय न्यायालय और यूरोप का मानवाधिकार न्यायालय भी अपनी कार्यवाही का सीधा प्रसारण करता है. इन अदालतों की कार्यवाही की रिकॉर्डिंग उनकी वेबसाइट पर उपलब्ध होती है. उन्हें कोई भी जरूरत के मुताबिक डाउनलोड भी कर सकता है.