हाल तक,हाउसबोट पर खाना पहुंचाने का विचार अवास्तविक लगता था. कोई सोच भी नहीं सकता था कि डिलीवरी वाले लोग हाउसबोट तक कैसे पहुंच सकते हैं?है ना? लेकिन अब,स्विगी (Swiggy) इसे बदल रही है. उन्होंने अभी घोषणा की है कि वे कश्मीर की डल झील पर हाउसबोटों को भोजन पहुंचाएंगे. झील की प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लेते हुए भोजन की इच्छा रखने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए यह गेम-चेंजर है.कंपनी के मुताबिक,डिलीवरी एक्जीक्यूटिव अब हाउसबोट तक खाना पहुंचाने के लिए शिकारों की मदद लेंगे. कश्मीर में लोग हाउसबोट पर रहते हैं लेकिन उनका उपयोग यात्रियों के लिए होटल के रूप में भी किया जाता है, जिन्हें झील के ठीक बीच में बसने में बहुत आनंद मिलता है. केरल में हाउसबोटों के विपरीत,कश्मीर में हाउसबोट चलते नहीं हैं,वे झील के किनारे ही रहते हैं.
झील किनारे खाने का आनंद
डल झील,एक प्रमुख पर्यटन स्थल है जहां हर साल पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है.अब, स्विगी (Swiggy) को इस सर्विस के लिए धन्यवाद देना पड़ेगा जहां पर्यटक हाउसबोट से झील के शानदार दृश्यों को देखते हुए स्थानीय व्यंजनों का आनंद लेते हुए बेहतर अनुभव प्राप्त कर सकेंगे. यह कदम श्रीनगर यात्रा में एक नया आयाम जोड़ेगा,जिससे टूरिस्टों को शांत वातावरण के बीच एक यादगार अनुभव मिलेगा.
इस नए विकास के बारे में बात करते हुए,स्विगी फूड के नेशनल बिजनेस हेड,सिद्धार्थ भाकू ने कहा, “स्विगी हाउसबोट डिलीवरी यूनीक सुविधा प्रदान करने के स्विगी के मिशन का एक बड़ा उदाहरण है,चाहे उपभोक्ता कहीं भी हो. शिकारा पहल द्वारा हमारी भोजन डिलीवरी हमारे ग्राहकों की विविध आवश्यकताओं को पूरा करने की हमारी प्रतिबद्धता का उदाहरण है,चाहे वे शहर की सड़कों पर घूम रहे हों या हाउसबोट पर आराम कर रहे हों." साल 2022 में श्रीनगर में शुरू होने के बाद से,स्विगी बड़ा हो गया है.यह पर्यटकों सहित शहर के लोगों को 300 से अधिक रेस्तरां से लोगों को भोजन पहुंचा रहा है.
आईआरसीटीसी के साथ स्विगी की साझेदारी
इसके अलावा स्विगी चार शहरों- बेंगलुरु,भुवनेश्वर,विशाखापत्तनम और विजयवाड़ा में ट्रेनों में लोगों को भोजन पहुंचाने के लिए भारतीय रेलवे खानपान और पर्यटन निगम (IRCTC)के साथ भी काम कर रही है. वे अगले छह महीनों में इस सेवा को 59 से अधिक रेलवे स्टेशनों पर लाने की योजना बना रहे हैं,जिससे यात्रियों को भोजन के अधिक विकल्प मिलेंगे.IRCTC के बॉस संजय कुमार जैन ने बताया कि वे पहले से ही लगभग 350 बड़े स्टेशनों पर भोजन वितरण करते हैं,जहां ट्रेनें थोड़ी देर के लिए रुकती हैं. इससे यात्रियों तक भोजन पहुंचाना आसान हो जाता है. ऐसा करने के लिए वे ज़ोमैटो सहित 17 विभिन्न कंपनियों के साथ काम करते हैं. अब तक वे हर दिन 60,000 यात्रियों को बिना किसी शिकायत के खाना बेचकर 30 करोड़ रुपये कमा चुके हैं.