scorecardresearch

Student Protests in India: जब सड़क पर उतरे छात्रों ने बदल दी तस्वीर, जानिए देश के बड़े छात्र आंदोलनों की कहानी

Student Protests in India: भारत में छात्र आंदलनों का इतिहास बहुत पुराना है. ऐसे कई मौके आए जब छात्रों ने अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखा. इसमें तमिलनाडु का हिंदी विरोधी आंदोलन, नव निर्माण आंदोलन, बिहार छात्र आंदोलन, असम आंदोलन, रोहित वेमुला की मौत पर विरोध प्रदर्शन आदि शामिल हैं.

Student Protests Student Protests
हाइलाइट्स
  • देशभर में अलग-अलग जगहों पर छात्र प्रदर्शन चल रहे हैं

  • छात्र आंदोलनों का इतिहास करीब 200 साल पुराना है

मौजूदा समय में देशभर में अलग-अलग जगहों पर छात्र प्रदर्शन चल रहे हैं. जहां चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी में लड़कियों के एमएमएस लीक वीडियो को लेकर प्रदर्शन चल रहा है तो वहीं इलाहाबाद विश्वविद्यालय में फीस बढ़ाने के मामले में विरोध प्रदर्शन जारी है. हालांकि, भारत में छात्र आंदोलनों का इतिहास कोई नया नहीं है, ये बहुत पुराना है. ये करीब 200 साल पुराना है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सबसे पहले 1828 में हेनरी लुइस विवियन डेरोजियो जो एक शिक्षक और एक सुधारक थे, के मार्गदर्शन में अविभाजित बंगाल के हिंदू कॉलेज में अकादमिक एसोसिएशन का गठन किया गया था. जिसके तहत उनके शिष्यों ने मिलकर 19वीं शताब्दी के बंगाल पुनर्जागरण में भूमिका निभाई. 

बाद के सालों में, शैक्षणिक संस्थानों में कई और वाद-विवाद समितियां सामने आईं, जैसे बॉम्बे कॉलेज में मराठी लिटरेरी सोसाइटी और गुजरात विश्वविद्यालय में गुजराती ड्रामेटिक ग्रुप. उसके बाद से ही छात्र निरंतर अपनी आवाज प्रदर्शनों के माध्यम से उठाने लगे.

कई साल पुराना है छात्र आंदोलन का इतिहास

साल 1905 में, कलकत्ता (अब कोलकाता) में ईडन कॉलेज के छात्रों ने बंगाल के विभाजन का विरोध करने के लिए तत्कालीन वायसराय लॉर्ड कर्जन का पुतला जलाया था. अविभाजित भारत में छात्रों की पहली हड़ताल 1920 में किंग एडवर्ड मेडिकल कॉलेज, लाहौर में भारतीय और अंग्रेजी विद्यार्थियों के बीच शैक्षणिक भेदभाव के खिलाफ हुई थी. इतना ही नहीं छात्रों और उनके संगठनों ने देश भर में स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया था.

आजादी के बाद, लगभग सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने अपने छात्र विंग शुरू किए और सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित वर्गों को रिप्रेजेंट करने के लिए कई स्वतंत्र छात्र समूह भी सामने आए. स्वतंत्रता के बाद के भारत ने कई छात्र आंदोलनों को देखा है जिन्होंने कई बड़े बडलावों में अपनी भूमिका निभाई है.

1. तमिलनाडु में हिंदी विरोधी आंदोलन, 1965

यूं तो तमिलनाडु में हिंदी का विरोध दशकों से चल रहा था, लेकिन राज्य के सैंकड़ों छात्रों ने 1963 के राजभाषा अधिनियम के खिलाफ आंदोलन शुरू किया. इस अधिनियम के तहत हिंदी को भी अंग्रेजी के साथ-साथ एक आधिकारिक भाषा बना दिया गया था. दरअसल, इस मामले ने तूल तब पकड़ा जब संसद में द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) के विरोध के बावजूद, कानून पारित किया गया. लेकिन तत्कालीन प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू ने आश्वासन दिया कि अंग्रेजी आधिकारिक भाषा बनी रहेगी. 1964 में नेजब हरू की मृत्यु हुई उसके बाद, राज्य में कांग्रेस सरकार ने राज्य विधानसभा में त्रिभाषा फार्मूला पेश किया, जिससे छात्र सड़कों पर उतर आए. कई छात्रों द्वारा आत्मदाह किया गया था, और इसके बाद हुई हिंसा में लगभग 70 लोग मारे गए थे. इस आंदोलन को तब खत्म किया गया जब जब तत्कालीन पीएम लाल बहादुर शास्त्री ने आश्वासन दिया कि नेहरू का वादा पूरा किया जाएगा. 

2. नव निर्माण आंदोलन (पुनर्निर्माण आंदोलन), 1974

20 दिसंबर 1973 को अहमदाबाद के एक इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्रों ने हॉस्टल के खाने में 20% फीस वृद्धि के खिलाफ आंदोलन शुरू किया. 3 जनवरी, 1974 को गुजरात विश्वविद्यालय में इसी तरह की एक हड़ताल में पुलिस और छात्रों के बीच झड़प हुई. जिसके बाद प्रदर्शनकारियों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री चिमनभाई पटेल के इस्तीफे की मांग की. 25 जनवरी को एक राज्यव्यापी हड़ताल हुई जिसके बाद पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हुई. 44 शहरों में कर्फ्यू लगा दिया गया और अहमदाबाद में शांति बहाल करने के लिए सेना बुलाई गई. आंदोलन ने राज्य सरकार को भंग कर दिया था. 

3. बिहार छात्र आंदोलन, 1974 या जेपी आंदोलन 

जय प्रकाश नारायण के नेतृत्व वाली छात्र संघर्ष समिति ने भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद, चुनावी सुधार, रियायती भोजन और शिक्षा सुधारों पर ध्यान केंद्रित किया. ये एक तरह का अहिंसक विरोध था. ये पटना विश्वविद्यालय से शुरू हुआ और उत्तर भारत के हिंदी भाषी राज्यों में कई अन्य शैक्षणिक संस्थानों में फैल गया. इस आंदोलन ने देश को कई बड़े नेता दिए जैसे नीतीश कुमार, बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद, यूपी के पूर्व सीएम मुलायम सिंह यादव आदि. 

4. आपातकाल में छात्र आंदोलन, 1975

25 जून, 1975 को देशभर में आपातकाल घोषित कर दिया गया. भारत भर के कई विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों में, छात्रों और संकाय सदस्यों ने आपातकाल लागू करने के विरोध में प्रदर्शन किया. दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के तत्कालीन अध्यक्ष अरुण जेटली और छात्र संघर्ष समिति के अध्यक्ष जय प्रकाश नारायण सहित 300 से अधिक छात्र संघ नेताओं को जेल भेज दिया गया था.

5. असम आंदोलन (1979 से 1985)

अवैध प्रवासियों के खिलाफ असम में आंदोलन ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) द्वारा शुरू किया गया था. ये वही ग्रुप है जो अब सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहा है. यह असमिया लोगों की पहचान की रक्षा के लिए एक आंदोलन था. इसमें विभिन्न क्षेत्रों के लोग छात्रों के विरोध में शामिल हुए, और यह 1985 में असम समझौते पर हस्ताक्षर के साथ समाप्त हो गया. 

6. मंडल विरोधी आंदोलन, 1990

अगस्त 1990 को, भारत भर के छात्रों ने अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों के लिए सरकारी नौकरियों में 27% आरक्षण की शुरुआत के खिलाफ विरोध शुरू किया. वीपी सिंह के नेतृत्व वाली सरकार ने 1980 में सरकार को सौंपी गई मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू किया. हालांकि यह विरोध दिल्ली विश्वविद्यालय ये शुरू हुआ जो देश भर के कई शैक्षणिक संस्थानों में फैल गया, जिससे देश के कई हिस्सों में हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए. कई जगहों पर छात्रों ने परीक्षा का बहिष्कार किया. बीजेपी द्वारा अपनी जनता दल सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद, जब वीपी सिंह ने 7 नवंबर, 1990 को इस्तीफा दे दिया, तो ये आंदोलन समाप्त हो गया.

7. आरक्षण विरोधी विरोध, 2006

यह आरक्षण व्यवस्था के खिलाफ छात्रों का दूसरा बड़ा विरोध था. साल 2006 में, शैक्षणिक संस्थानों में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए. इसमें ओबीसी के लिए आरक्षण लागू करने के फैसले का विरोध किया गया. ऊंची जातियों के छात्रों और डॉक्टरों ने इस कदम को भेदभावपूर्ण बताया. 

एफटीआईआई आंदोलन, 2015

8. जुलाई 2015 में, भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान, पुणे के छात्रों ने प्रतिष्ठित संस्थान के अध्यक्ष के रूप में अभिनेता गजेंद्र चौहान के नामांकन के खिलाफ आंदोलन शुरू किया था. 140 दिनों के विरोध में, छात्रों ने कक्षाओं का बहिष्कार किया और परीक्षा देने से इनकार कर दिया. इन छात्रों का दावा था कि गजेंद्र चौहान एफटीआईआई के प्रमुख के योग्य नहीं थे. एफटीआईआई के छात्रों के साथ एकजुटता दिखाते हुए कई अन्य जगहों पर प्रतीकात्मक विरोध प्रदर्शन किया गया था.

9. जादवपुर विश्वविद्यालय, 2014

जादवपुर विश्वविद्यालय में "होक कलोरोब (हंगामा होने दें)" आंदोलन निहत्थे छात्रों पर कथित पुलिस हमले के खिलाफ था. ये छात्र कैंपस के अंदर एक छात्रा से कथित छेड़छाड़ की निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे थे. जिसमें सप्ताह भर के विरोध के बाद कुलपति अभिजीत चक्रवर्ती को हटा दिया गया था. 

10. रोहित वेमुला की मौत पर विरोध प्रदर्शन, 2016

हैदराबाद विश्वविद्यालय के एक दलित छात्र रोहित वर्मुला की आत्महत्या के बाद छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया. इसमें छात्रों का कहना था कि आत्महत्या को रोकने में विश्वविद्यालय प्रशासन विफल हुआ है. इसी के खिलाफ देशव्यापी आक्रोश पैदा हुआ. भारत भर के विश्वविद्यालयों के सैकड़ों छात्रों ने विरोध रैलियों में भाग लिया. 

11. जेएनयू विरोध, 2016

9 फरवरी, 2016 को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) ने 16 साल पहले संसद पर हमले की साजिश रचने के दोषी कश्मीरी अलगाववादी अफजल गुरु को 2013 में फांसी दिए जाने के विरोध में भड़क उठे थे. इस प्रदर्शन में विभिन्न छात्र समूहों के बीच झड़प देखी गईं. घटना के चार दिन बाद, जेएनयू के छात्र संघ के अध्यक्ष कहैया कुमार को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और उनपर देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया. बाद में उमर खालिद समेत दो अन्य छात्रों को गिरफ्तार किया गया. जेएनयू प्रशासन ने जांच की और 21 छात्रों के खिलाफ कार्रवाई की. इसके विरोध में छात्र अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए थे. दिल्ली हाई कोर्ट ने छात्रों की हड़ताल समाप्त करने की शर्त पर विश्वविद्यालय की कार्रवाई को निलंबित कर दिया था.

12. जेएनयू फीस वृद्धि, 2019 और सीएए-एनआरसी 

साल 2019 में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय फीस वृद्धि के बाद छात्र सड़कों पर आ गए थे. स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए करीब 600 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था. हालांकि, विरोध प्रदर्शन के दौरान छात्रों और पुलिस के बीच झड़प भी हुई. विश्वविद्यालय के छात्रों ने स्थिति को 'अकादमिक इमरजेंसी’' करार देते हुए अपने कुलपति एम जगदीश कुमार को हटाने की मांग की. उसी के बाद, विश्वविद्यालय के अधिकारियों द्वारा आंशिक रोलबैक की घोषणा की गई. 

ऐसे ही सीएए-एनआरसी के खिलाफ छात्रों ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया था. इसमें जामिया मिलिया इस्लामिया से लेकर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छात्र शामिल हुए थे.