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Telangana Formation Day: इस कारण हुआ था आंध्र प्रदेश से तेलंगाना का विभाजन, जानें देश के सबसे नए राज्य के बारे में

Telangana Formation Day 2022: 2 जून 2014 को तेलंगाना भारत का 29वां राज्य बना था. आज इस राज्य को 8 साल पूरे हो गए हैं और पिछले 8 सालों में राज्य का काफी विकास हुआ है.

Telangana Formation Day 2022 (Photo: Unsplash) Telangana Formation Day 2022 (Photo: Unsplash)
हाइलाइट्स
  • 2 जून 2014 को तेलंगाना भारत का 29वां राज्य बना था

  • गंगा-जमुना तहज़ीब के लिए जाना जाता है तेलंगाना

देश के सबसे नए राज्य तेलंगाना को बने आज 8 साल पूरे हो गए हैं. 02 जून 2014 को तेलंगाना का आंध्र प्रदेश से विभाजन हुआ था. और इन 8 सालों में तेलंगाना ने एक नया मुकाम हासिल किया है. बात राज्य के विकास की हो या नागरिकों के हितों की, तेलंगाना ने हर क्षेत्र में अपनी एक पहचान बनाई है. 

तेलंगाना की आठवीं सालगिरह पर हमारे साथ जानिए इस राज्य के बारे में कुछ दिलचस्प जानकारी और साथ ही, एक नजर डालते हैं उस इतिहास पर जिसके कारण यह राज्य बना. 

क्यों पड़ा नाम 'तेलंगाना'
मान्यता है कि भगवान शिव इस क्षेत्र में तीन पर्वतों पर लिंग के रूप में प्रकट हुए. इन पर्वतों में कालेश्वरम, मल्लिकार्जुन और द्राक्षाराम शामिल है. ये पर्वत इस क्षेत्र की सीमा बनाते हैं और इसीलिए इसे त्रिलिंग देश कहा गया. यहां की भाषा त्रिलिंग (तेलुगु) कहलाई और आधुनिक रूप में आते-आते इस राज्य का नाम तेलंगाना हो गया है. 

अब तेलंगाना का अर्थ है- तेलुगु भाषियों की भूमि 

पहले आंध्रा में हुआ था विलय 
आपको बता दें कि भारत में तीन क्षेत्रों- तेलंगाना, रायलसीमा और तटीय आंध्रा में तेलुगु भाषी लोग रहते हैं. वर्तमान में, तेलंगाना एक अलग राज्य है. वहीं, रायलसीमा और तटीय आंध्रा, आंध्र प्रदेश का हिस्सा हैं. हालांकि, आजाजी के समय तेलंगाना हैदराबाद रियासत का हिस्सा था. 

साल 1800 में ब्रिटिश सरकार ने रायलसीमा और तटीय आंध्रा को हैदराबाद के निजाम से लेकर मद्रास राज्य में मिला दिया था. लेकिन आजादी के बाद, साल 1947 में मद्रास राज्य में भाषा के आधार पर अलग राज्य के लिए आंदोलन होने लगा. जिसका नेतृत्व पोट्टि श्रीरामुलु ने किया और 59 दिनतक अनशन करते हुए वह इस दुनिया से चले गए. 

जिसके बाद बढ़ती हिंसा को रोकने को लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू ने भाषा के आधार पर आंध्र प्रदेश का गठन किया. इसके बाद, साल 1956 में पहली बार भाषाओं के आधार पर राज्यों का पुनर्गठन हुआ. हैदराबाद रियासत को मराठी भाषी हिस्से, मराठवाड़ा को महाराष्ट्र में मिलाया गया. 

कन्नड़ भाषी क्षेत्र को कन्नड़ा में मिलाया गया. इसके बाद बचे तेलंगाना हिस्से का विलय आंध्र प्रदेश में कर दिया गया. और हैदराबाद इस नए राज्य की राजधानी हो गई. 

2014 में अलग हुए तेलंगाना और आंध्र प्रदेश
तेलंगाना का आंध्र प्रदेश में विलय तेलंगाना इलाके के लोगों को रास नहीं आया. क्योंकि आंध्र प्रदेश में मिलने के बाद तेलंगाना के लोगों के हितों का ध्यान नहीं रखा गया. ज्यादातर मंत्री, मुख्य मंत्री, राजनेता, अधिकांश आंध्रप्रदेश से थे और इसलिए शासन में पक्षपात था. तेलंगाना के लोगों का कहना था कि शिक्षा और रोजगार में भी तेलंगाना के लोगों के साथ भेदभाव हुआ.  

हैदराबाद राजधानी थी और इसलिए सिर्फ इसी शहर का विकास हुआ. इसके अलावा तेलंगाना प्रांत के किसी अन्य शहर का कोई खास विकास नहीं हुआ. साल 1962 से ही तेलंगाना के लोगों ने अलग राज्य की मांग शुरू कर दी. हालांकि, उनके इस संघर्ष को साल 2014 में जाकर मंजिल मिली. और आंध्र प्रदेश के विरोध के बावजूद 2 जून 2014 को तेलंगाना देश का 29वां राज्य बन गया. 

इस नए राज्य की कमान तेलंगाना राष्ट्र समिति पार्टी के चंद्रशेखर राव ने संभाली. जिन्हें केसीआर के नाम से जाना जाता है. 

दक्षिण का उत्तर और उत्तर का दक्षिण है तेलंगाना
तेलंगाना राज्य परंपरागत रूप से विभिन्न भाषाओं और संस्कृतियों के लोगों का घर रहा है. तेलंगाना भारत के उत्तर और दक्षिण के बीच की कड़ी है, जो दक्कन के पठार के ऊपरी इलाकों में स्थित है. यह राज्य निस्संदेह भारत की विविध संस्कृति और समावेशिता का प्रतिनिधित्व करता है. 

इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि यह क्षेत्र समग्र रूप से गंगा-जमुना तहज़ीब के लिए जाना जाता है. तेलंगाना अपनी सीमाएं 5 राज्यों के साथ शेयर करता है- उत्तर पूर्व में छत्तीसगढ़ और ओडिशा, दक्षिण में आंध्र प्रदेश, दक्षिण-पश्चिम में कर्नाटक और उत्तर में महाराष्ट्र. तेलंगाना में गोदावरी और कृष्णा, दो नदियां बहती हैं.

गोदावरी नदी को दक्षिण की गंगा भी कहा जाता है. तेलंगाना की संस्कृति मुगलों और हैदराबाद के निजामों की परंपराओं का मिश्रण है. इसके अलावा, इस राज्य में कई टुरिस्ट आकर्षण हैं जो इसकी हजारों सालों पुरानी संस्कृति को दर्शाते हैं. चार मीनार का निर्माण कुली कुतुब शाह ने वर्ष 1591 में किया था. ऐसा माना जाता है कि इसे शहर से प्लेग के उन्मूलन के बाद मेमोरियल के रूप में बनाया गया था. 

वहीं 1000 (हजार) स्तंभ मंदिर जो वारंगल जिले के हनमकोंडा में स्थित है, एक प्रसिद्ध धार्मिक पर्यटन स्थल है. इस मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में काकतीय वंश के राजा रुद्र देव ने करवाया था. इसके अलावा, गोलकंडा किला, कुटुम्ब शाही मकबरे, फलकनुमा महल, वारंगल किला, बिरला मंदिर, आदिलाबाद का गंगा सरस्वती मंदिर, खम्मम का भद्राचलम मंदिर आदि भी इस राज्य की भव्य विरासत का प्रतीक हैं.