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Nehru Papers: खुलेगा नेहरू की चिट्ठियों का राज? PM म्यूजियम ने सोनिया गांधी से मांगे ये प्राइवेट पेपर, जानिए क्या है पूरा मामला

भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के प्राइवेट पेपर्स 1971 से 2008 के बीच नेहरू संग्रहालय को दिए जाते रहे थे. हालांकि 2008 में सोनिया गांधी ने कुछ कागजात वापस ले लिए थे. अब संग्रहालय इन कागजात को सार्वजनिक करना चाहता है.

Pandit Nehru (Photo/Getty Images) Pandit Nehru (Photo/Getty Images)

भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के जीवन से जुड़े निजी कागज़ात 'नेहरू पेपर्स' (Nehru Papers) एक बार फिर चर्चा में हैं. प्रधानमंत्री संग्रहालय (PMML) के एक सदस्य रिज़वान कादरी ने इन कागज़ों की मौजूदा मालिक सोनिया गांधी को पत्र लिखकर मांग की है कि या तो इन्हें म्यूजियम को लौटाया जाए. या इनकी प्रतियां संग्रहालय को दी जाएं या फिर डिजिटल तौर पर ये कागज़ मुहैया करवाए जाएं. 

कुछ महीने पहले भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाले संग्रहालय ने पंडित नेहरू से जुड़े इन कागजों को कानूनी तौर पर हासिल करने की कोशिश की थी. ऐसे में सवाल उठता है कि इन कागजों का इतिहास क्या है और प्रधानमंत्री संग्रहालय इन्हें क्यों हासिल करना चाहता है. 

क्या है इन कागजों का इतिहास?
नेहरू पेपर्स की गुत्थी का पहला सिरा हमें 1971 में ले जाता है. उस समय इसे नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी कहा जाता था. साल 1966 में शुरू हुए इस म्यूजियम के पास उस समय सिर्फ दो ही तरह के आर्काइव थे. पहला नेहरू पेपर्स और दूसरा ऑल-इंडिया कांग्रेस कमिटी पेपर्स. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट बताती है कि नेहरू के सभी निजी कागज लाइब्रेरी में धीरे-धीरे करके पहुंचे.

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इसकी शुरुआत नेहरू की वारिस इंदिरा गांधी की ओर से जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल फंड ने की. इंदिरा अक्टूबर 1984 तक अपनी मृत्यु तक इन कागजों की आधिकारिक मालकिन रहीं. उनकी मृत्यु के बाद ये राजीव गांधी के हो गए. और उनके बाद सोनिया गांधी के. सोनिया गांधी ने ही 1946 से बाद के कई कागज संग्रहालय को दिए थे. हालांकि 2008 में उन्होंने पंडित नेहरू की निजी कलेक्शन के 51 बक्से वापस ले लिए थे.

संग्रहालय की एक अंदरूनी जांच से पता चला कि मार्च 2008 में एमवी राजन ने संग्रहालय जाकर नेहरू कलेक्शन के आधिकारिक कागज और निजी कागज अलग किए. उसके बाद सभी निजी कागजों को सोनिया गांधी के पास भेज दिया गया. तब से ये कागज गांधी परिवार के पास ही हैं.

दोबारा क्यों चर्चा में आए नेहरू पेपर्स?
एक्सप्रेस की रिपोर्ट बताती है कि इस साल फरवरी में जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में प्रधानमंत्री संग्रहालय की सालाना आम बैठक हुई तो उसमें नेहरू पेपर्स पर गहन चर्चा हुई. बीते कुछ सालों में प्रधानमंत्री संग्रहालय के कई सदस्यों ने सोनिया गांधी के पास मौजूद नेहरू पेपर्स हासिल करने की कोशिश की है. 

इस लिस्ट में सबसे नया नाम रिजवान कादरी का है. जिन्होंने 9 सितंबर को सोनिया गांधी को एक पत्र लिखकर ये कागज तलब किए हैं. रिपोर्ट की मानें तो संग्रहालय सोसाइटी के सदस्य नेहरू और एडवीना माउंटबेटन के बीच हुए पत्राचार का अध्ययन करना चाहते हैं. अप्रैल में एक्सप्रेस की ओर से प्रकाशित एक रिपोर्ट बताती है कि गांधी परिवार से ये कागज हासिल करने के लिए संग्रहालय ने अपने संग्रह के निजी कागजात के स्वामित्व और संरक्षण पर कानूनी राय लेने की योजना भी बनाई थी. 

संग्रहालय ने यह फैसला भी किया है कि वह भविष्य में मिलने वाले निजी कागजों के मालिकों को यह अधिकार नहीं देगा कि वे हमेशा के लिए उन्हें गुप्त रख सकें. हालांकि यह नियम गांधी परिवार के पास मौजूद नेहरू पेपर्स पर लागू नहीं होगा.