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SSC Tattoo Norms: टैटू के कारण दिल्ली पुलिस की नौकरी से हुआ रिजेक्ट, अब हाई कोर्ट के फैसले ने बनवाया कॉन्सटेबल

फिजिकल फिटनेस और मेडिकल टेस्ट पास करने के बावजूद दीपक यादव के लिए दिल्ली पुलिस कॉन्सटेबल बनना तब मुश्किल हो गया जब उसे दाहिने हाथ पर बने एक टैटू के 'धुंधले निशान' की वजह से रिजेक्ट कर दिया गया. पांच महीने तक कोर्ट में लड़ने के बाद दीपक ने आखिरकार जीत हासिल की है.

दाहिने हाथ की बाज़ू पर बने एक टैटू के कारण बाघपत के रहने वाले दीपक यादव का दिल्ली पुलिस कॉन्सटेबल बनने का सपना टूट सकता था, लेकिन दिल्ली हाई कोर्ट का एक फैसला उनके और उन जैसे कइयों के लिए उम्मीद की किरण बनकर आया है.
अदालत ने अपने एक फैसले में कहा है कि अगर कोई भी अभ्यर्थी देश के किसी भी सुरक्षा बल में शामिल होना चाहता है तो उसे अपना टैटू मिटाने के लिए पर्याप्त समय दिया जाना चाहिए. 

क्या है दीपक के 'टैटू' का मामला?
यह मामला शुरू हुआ सितंबर 2023 में जब दीपक ने कर्मचारी चयन आयोग (SSC) का एक विज्ञापन देखा. विज्ञापन में दिल्ली पुलिस कॉन्सटेबल भर्ती की बात लिखी थी. दीपक ने इस नौकरी के लिए आवेदन भरने का फैसला किया.

दीपक ने दिसंबर 2023 में कम्प्यूटर पर परीक्षा सफलता हासिल की. अब उन्हें कॉन्सटेबल बनने के लिए सिर्फ एक मेडिकल परीक्षा पास करनी थी, जिसमें फिज़िकल फिटनेस टेस्ट भी शामिल था. इसके लिए दीपक को अपने दाहिने हाथ पर बना हुआ मां के नाम का टैटू भी मिटाना था. फिजिकल टेस्ट में फेल होने से बचने के लिए दीपक ने लेज़र टैटू सर्जरी से अपना टैटू मिटवा लिया. जब 20 जनवरी को दीपक का टेस्ट हुआ तो वह फिज़िकल टेस्ट में पूरी तरह सफल रहे लेकिन हाथ में 'मिटे हुए टैटू' की वजह से उन्हें अनफिट करार दे दिया गया. 

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फिर उठाई रिव्यू की मांग
दीपक ने अपनी मेडिकल परीक्षा के रिव्यू की मांग की. उन्हें उम्मीद थी कि उनके पास रिव्यू से पहले दो हफ्ते का समय है, जिसमें वह चार से पांच बार लेज़र सर्जरी करवाकर टैटू को पूरी तरह मिटा देंगे. हालांकि उनकी मेडिकल परीक्षा का रिव्यू दो दिन में ही आयोजित कर दिया गया, जिसके कारण वह सर्जरी नहीं करवा पाए. दीपक को एक बार फिर अनफिट करार दे दिया गया. 

दीपक हार मानने के मूड में नहीं थे. उन्होंने दूसरी बार रिजेक्ट होने के बाद अपील करने का फैसला किया. दीपक के अगले पांच महीने अलग-अलग अदालतों के चक्कर लगाते हुए गुज़रे. एसएससी के फैसले को चुनौती देते हुए दीपक ने पहली बार फरवरी में केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) की प्रधान पीठ का रुख किया. अप्रैल 2024 में कैट ने दीपक के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि "आवेदकों के मामले पर पुनर्विचार करने पर कोई रोक नहीं है."

एसएससी ने इस आदेश को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी और इसे रद्द करने की मांग की. दीपक की दाहिनी बांह का व्यक्तिगत रूप से निरीक्षण करने और उसके हल्के पड़ चुके टैटू के निशान को देखने के बाद न्यायमूर्ति सुरेश कैत और न्यायमूर्ति गिरीश कथपालिया की खंडपीठ ने 24 जुलाई को कहा कि किसी उम्मीदवार को ऐसे आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता है. 

अदालत ने एसएससी और दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया कि दीपक को एक जुलाई को शुरू हो चुके ट्रेनिंग बैच में एक हफ्ते के अंदर शामिल होने की अनुमति दी जाए. हाई कोर्ट ने कहा, “ऐसे उम्मीदवार को हमेशा इसे समय के साथ हटाने का मौका दिया जाता है.” 

कई उम्मीदवारों के लिए खुलेंगे दरवाजे
द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, दीपक का मामला लगभग 40 अन्य समान स्थिति वाले उम्मीदवारों के लिए एक उम्मीद की किरण बनकर आया है. साल 2023 की दिल्ली पुलिस भर्ती परीक्षा में पुरुष और महिला कांस्टेबल (कार्यकारी) के पदों के लिए उपस्थित होने के बाद इन उम्मीदवारों को 'अस्वीकार्य टैटू' के कारण रिजेक्ट कर दिया गया था. 

फैसले के कारण एसएससी टैटू के आधार पर खारिज किए गए उम्मीदवारों की समीक्षा के लिए एक मेडिकल बोर्ड का गठन भी कर सकता है. नियमों के मुताबिक, अगर दाहिने हाथ पर टैटू के साथ कोई व्यक्ति पुलिस बलों में आवेदन करता है तो उसके लिए टैटू हटवाना जरूरी है.