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Housing Projects: अटके प्रोजेक्ट में फंसे Home Buyers को मिल सकती है राहत, एक्सपर्ट पैनल ने दिए कई सुझाव

रियल एस्टेट की अटकी परियोजनाओं में फंस चुके होम बायर्स को राहत मिल सकती है. अटकी परियोजनाओं से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए बने एक्सपर्ट पैनल ने कई सुझाव दिए हैं. जिससे होम बायर्स को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है.

अटकी परियोजनाओं में फंसे होम बायर्स को राहत मिल सकती है (प्रतिकात्मक तस्वीर) अटकी परियोजनाओं में फंसे होम बायर्स को राहत मिल सकती है (प्रतिकात्मक तस्वीर)

हर किसी का सपना एक घर खरीदना होता है. इसके लिए कई लोग पैसे भी दे देते हैं. लेकिन बिल्डर की गलतियों की वजह से उन लोगों का सपना पूरा नहीं हो पाता है. भारत में कई लोगों के साथ ऐसा ही हुआ है. लाखों ऐसे होम बायर्स हैं, जिनका फ्लैट रुके हुए प्रोजेक्ट में फंसे हैं. लेकिन सरकार होम बायर्स को इस समस्या से छुटकारा दिलाने की कोशिश में जुटी हुई है. सरकार ने इसके लिए एक एक्सपर्ट पैनल बनाया है. अब इस पैनल से कई सुझाव दिए हैं, ताकि होम बायर्स की समस्याओं का समाधान हो सके. इसमें दिवाला कानून में बदलाव और असामान्य हालातों में भूमि-स्वामित्व अथॉरिटी के पेमेंट पर रोक लगाकर बिल्डर की फाइनेंशियल हालत को सुधारना शामिल है, ताकि होम बायर्स के अपना घर मिल सके.

लाखों खरीदारों को होगा फायदा-
इस कदम से लाखों होम बायर्स को फायदा मिलेगा. कमेटी के अनुमान के मुताबिक देशभर में 4 लाख से अधिक प्रॉपर्टी रुकी हुई है, जिसकी कुल कीमत करीब 4.5 लाख करोड़ रुपए है. अथॉरिटी ने इन रुकी हुई परियोजना पर विचार किया. इसमें से ज्यादातर परियोजनाएं दिल्ली, नोएडा, गुड़गांव और महाराष्ट्र में हैं. एक्सपर्ट कमेटी के इन सुझावों से होम बायर्स का सपना पूरा होगा.

प्रोजेक्ट बेस समाधान पर फोकस-
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक कमेटी के सूत्रों ने बताया कि दिवाला और दिवालियापन कोड में बदलाव करना चाहिए, ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि रियल एस्टेट कंपनी के आधार पर समाधान निकालने की बजाय प्रोजेक्ट बेस हल निकाला जा सके. इसका मतलब है कि किसी कंपनी के सभी परियोजनाओं को प्रभावित करने की बजाय किसी एक परियोजना का समाधान निकाला जा सकता है. ऐसा करने से कंपनी के बाकी प्रोजेक्ट प्रभावित नहीं होंगे.

पैनल ने दिए कई और सुझाव-
इसके अलावा पैनल ने सुझाव दिया है कि दिवाला समाधान प्रक्रिया के दौरान लेनदारों को दी गई छूट का विस्तार उन होम बायर्स तक नहीं होना चाहिए, जिनके पास अपने अपार्टमें, प्लॉट या विला हैं. नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेसवे में बिल्डर्स पर 40 हजार करोड़ से अधिक का बकाया है. प्रीमियम, पेनाल्टी, इंटरेस्ट बकाया की वजह से कई प्रोजेक्ट्स लटके हुए हैं. नोएडा की परियोजनाओं के लिए 4 साल की मोहलत का प्रस्ताव दिया गया है.
14 सदस्यीय पैनल के 3 सदस्यों ने टीओआई को बताया कि कोरोना के चलते 2 साल की रोक का इस्तेमाल देश के दूसरे हिस्से में भी किया जा सकता है. इसके अलावा भूमि-स्वामित्व वाली एजेंसियां बिल्डरों को राहत दे सकती हैं.
केंद्र और राज्यों की प्रतिनिधियों वाली कमेटी अमिताभ कांत की अगुवाई में काम किया. कमेटी ने अपनी रिपोर्ट को को आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय को सौंप दिया है. कमेटी ने तीन कैटेगरी में बांटकर समस्या के समाधान की सिफारिश की है.

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