
भारत में हर साल काफी मात्रा में ई-कचरा निकलता है. डाउन टू अर्थ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश में 1.75 मिलियन मीट्रिक टन से लेकर 2 मिलियन टन तक ई-वेस्ट निकलता है. यह भारत को दुनिया के सबसे बड़े ई-कचरा उत्पादकों में से एक बनाता है, जो चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद वैश्विक स्तर पर तीसरे स्थान पर है. इतना ही नहीं, पिछले कुछ सालों में ई-कचरा बढ़ा है. हालांकि, पिछले दो-तीन साल से ई-वेस्ट के मैनेजमेंट पर भी फोकस किया जा रहा है.
लेकिन आज हम आपको बता रहे हैं फ्रांस के एक ऐसे शख्स के बारे में जो साल 2016 से लैपटॉप की पुरानी बैटरीज को रिसायकल करके अपने घर की बिजली उत्पन्न कर रहा है. आज जब हम बिजली के लिए ग्रिड पर निर्भर हैं, वहीं इस शख्स ने लैपटॉप की बैटरीज इस्तेमाल करके बिजली ले रहा है. यह तरीका कोई भी आम आदमी अपना सकता है.
650 बैटरीज को किया रिसायकल
सेकंड लाइफ स्टोरेज फोरम पर Glubux नाम से फेमस इस टेक-लवर ने बताया है कि यह यात्रा 2016 में शुरू हुई जब उन्होंने इस्तेमाल की गई लैपटॉप बैटरीज को इकट्ठा करना शुरू किया. उन्होंने पुरानी बैटरीज को लैंडफिल में जाने से रोका. अब उनके पास कुल 650 से अधिक बैटरीज हैं, जिन्हें उनके घर के लिए एक आत्मनिर्भर एनर्जी सिस्टम के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है.
ये लिथियम-आयन सेल अब एक ऊर्जा नेटवर्क का हिस्सा हैं जो उनके घर की सभी बिजली की जरूरतों को पूरा करने में सक्षम हैं. हर एक बैटरी पैक लगभग 100 Ah बिजली देता है, जिससे निरंतर बिजली की आपूर्ति होती है. बैटरियों को उनके घर से थोड़ी दूर एक जगह पर स्टोर किया गया है. यहां सिस्टम की सावधानीपूर्वक निगरानी और रखरखाव किया जाता है.
सोलर एनर्जी के साथ इंटीग्रेशन
इस प्रोजेक्ट को सबसे अलग बनाने वाली बात है सिस्टम में सोलर एनर्जी का इंटीग्रेशन. सोलर पैनल की मदद से टिंकरर दिन के उजाले के दौरान स्वच्छ ऊर्जा पैदा करता है और इस प्रक्रिया में बैटरी चार्ज करता है. इससे अगर कभी धूप न भी निकली हो तब भी बैटरी में स्टोर एनर्जी से घर को लगातार बिजली मिलती है.
भारत में कैसे करें ई-वेस्ट को मैनेज
इंडियन एक्सपेस की साल 2023 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में उत्पन्न ई-कचरे का लगभग 33% रिसायकल किया जाता है. यह पिछले सालों की तुलना में बढ़ा है लेकिन फिर भी 67% ई-वेस्ट अभी भी पर्यावरण को दुषित कर रहा है. ऐसे में हम सबकी जिम्मेदारी बनती है कि हम ई-वेस्ट को सही से मैनेज करें ताकि इसका निपटान सही से हो सके. पिछले कुछ सालों में देश में बहुत सी कंपनियों ने ई-वेस्ट मैनेजमेंट पर काम शुरू किया है.