अगर आप ओला और उबर जैसी कंपनियों की कैब ऑनलाइन बुक करते हैं और कैब ड्राइवर राइड कैंसिल कर देते हैं तो मैसेंजर को छूट मिलनी चाहिए और कैब ड्राइवर पर जुर्माना लगना चाहिए. महाराष्ट्र सरकार के बनाए गए पैनल ने इसकी सिफारिश की है. फिलहाल अगर पैसेंजर कोई राइड कैंसिल करते हैं तो कंपनियां उनसे चार्ज लेती है. लेकिन कैब ड्राइवर राइड कैंसिल करते हैं तो पैसेंजर के हाथ मायूसी लगती है. लेकिन अब पैसेंजर को भी रिबेट मिलने की सिफारिश की गई है.
पिकअप प्वाइंट पर देर से पहुंचने पर जुर्माना-
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र सरकार के पैनल ने सिफारिश की है कि पिकअप प्वाइंट पर पहुंचने के लिए कैब ड्राइवर को 20 मिनट से ज्यादा का समय नहीं मिलना चाहिए. इसके साथ ही ये भी सिफारिश की गई है कि अगर कैब इससे देरी से पहुंचती है तो जुर्माना लगाया जाना चाहिए. इसके साथ ही रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस को गाड़ियों के अनफिट होने की स्थिति में एग्रीगेटर कैब को डीलिस्ट करने का अधिकार मिल सकता है.
रिटायर्ड अधिकारी की अगुवाई में बना था पैनल-
सरकार ने रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट सुधीर कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता में पैनल का गठन किया था. इसी साल अप्रैल में पैनल बनाया गया था, जिसकी फाइनल रिपोर्ट अप्रूवल के लिए जल्द ही पेश की जाएगी. एचटी की रिपोर्ट के मुताबिक ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि लंबे समय से कैब को लेकर शिकायत मिल रही थी. जिसके बाद ये सिफारिश की गई है कि मुसाफिरों को देर से कैब पहुंचने पर मुआवजा मिलना चाहिए. एक अधिकारी ने कहा कि अगर कैब ड्राइवर राइड कैंसिल करते हैं तो 50-75 रुपए जुर्माना की सिफारिश की गई है और पैसेंजर को रिबेट दी जाएगी. ये सिफारिश तब लागू होगी, जब सरकार इसको मान लेगी.
ये ड्राफ्ट केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के जारी मोटर वाहन एग्रीगेटर्स गाइडलाइंस 2020 के मुताबिक है, जिसे सभी राज्यों में लागू करने का निर्देश दिया गया है.
आरटीओ को मिलेगा परमिट रद्द करने का अधिकार-
रिपोर्ट के मुताबिक अधिकारियों ने बताया कि आरटीओ अधिकारियों को गाड़ियों की फिटनेस और सामान्य स्थिति के आधार पर वाहन परमिट रद्द करने का अधिकार दिया जा सकता है. फिलहाल कोई मुसाफिर ऐप के जरिए राइड अनुभव, राइड क्वालिटी और गाड़ी की कंडीशन को लेकर कोई शिकायत करता है तो एग्रीगेटर फैसला लेता है. लेकिन इसमें बदलाव की सिफारिश की गई है. एक अधिकारी के मुताबिक शिकायत पर की गई कार्रवाई पब्लिक डोमेन में नहीं है और आरटीओ को जरूरी कार्रवाई का अधिकार दिया जा सकता है.
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