
जेएनयू की कुलपति शांतिश्री धुलिपुड़ी की एक टिप्पणी के बाद एक बार फिर भगवान की जाति को लेकर हंगामा खड़ा हो गया है. जेएनयू की कुलपति ने भगवान शिव को विवादित बयान दे डाला. उन्होंने कहा कि कोई भी भगवान ब्राह्मण नहीं हैं. शांतिश्री धुलिपुड़ी ने कहा कि कोई भी भगवान सवर्ण नहीं हैं. भगवान शिव अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति से हो सकते हैं.
ऐसा पहली बार नहीं है, जब भगवान की जाति को लेकर हंगामा खड़ा हुआ है. इससे पहले भी कई दफा भगवान की जाति बताई गई है और उसपर खूब सियासी बयानबाजी हुई है. चलिए आपको बताते हैं कि कब-कब भगवान का जाति बताने की कोशिश की गई है और उसको लेकर खूब हंगामा हुआ है.
योगी आदित्यनाथ ने भगवान हनुमान को बताया था दलित-
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भगवान हनुमान का जाति बताई तो हंगामा खड़ा हो गया था. योगी आदित्यनाथ ने साल 2018 में राजस्थान में चुनाव प्रचार के दौरान भगवान हनुमान का जाति बताई थी. उन्होंने कहा था कि बजरंग बली हमारी भारतीय परंपरा में एक ऐसे लोक देवता हैं, जो स्वयं वनवासी हैं... गिरवासी हैं... दलित हैं... वंचित हैं... पूरे भारतीय समुदाय उत्तर से लेकर दक्षिण तक, पूरब से लेकर पश्चिम तक सबको जोड़ने का काम बजरंग बली करते हैं.
बुक्कल नवाब ने हनुमान को मुस्लिम बताया था-
योगी आदित्यनाथ के भगवान हनुमान को दलित बताने पर हंगामा खड़ा हो गया. विरोधी दलों ने कई सवाल उठाए. बीजेपी के एमएलसी बुक्कल नवाब ने हनुमान को मुसलमान बताया था. जबकि मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण ने हनुमान को जाट बताया था. राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष सुनील सिंह ने भगवान हनुमान को किसान करार दिया था. जबकि बीजेपी सांसद हरिओम पांडे ने हनुमान को ब्राह्मण बताया था.
बीजेपी मंत्री ने भगवान शंकर को बिंद जाति को बताया था-
साल 2019 में बिहार में बीजेपी और जेडीयू की सरकार थी. उस वक्त खनन मंत्रालय की जिम्मेदारी बृजकिशोर बिंद को दी गई थी. उन्होंने एक बयान दिया. जिसको लेकर खूब हंगामा हुआ था. बिंद ने बताया था कि भगवान शंकर बिंद जाति के हैं. इसके लिए उन्होंने शिव पुराण का हवाला दिया था. उन्होंने कहा था कि शिव पुराण के भाग-2 अध्याय 36 के पैरा चार में भगवान शिव को बिंद जाति का बताया गया है.
राजेंद्र त्रिवेदी ने कहा था- ब्राह्मणों ने भगवान को बनाया
साल 2018 में गुजरात विधानसभा के अध्यक्ष राजेंद्र त्रिवेदी ने कहा था कि ब्राह्मणों ने भगवान को बनाया. भगवान राम क्षत्रीय थे. लेकिन उनको भगवान बनाने के पीछे ऋषि थे. जबकि कृष्ण ओबीसी थे, उनको भगवान बनाने के पीछे सांदिपनी का हाथ था.
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