नरेंद्र दामोदर दास मोदी आजादी के बाद पैदा हुए पहले प्रधानमंत्री हैं. पीएम मोदी आज यानी 17 सितंबर को 74वां जन्मदिन मना रहे हैं. मोदी 8 साल की उम्र से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) से जुड़ गए. बचपन में मोदी एक साधारण छात्र की तरह थे, लेकिन डिबेट और रंगमंच में उनकी खूब रुचि थी. पीएम मोदी बचपन से ही दृढ़ प्रतिज्ञा वाले थे. उन्होंने एक बार नमक और तेल खाना छोड़ दिया था. नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने हैं. उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद बीजेपी का जनाधार तेजी से बढ़ा. बीजेपी ने असम से लेकर ओडिशा तक में पहली बार सरकार बनाई. पीएम मोदी ने फर्श से अर्श तक का सफर तय किया है. चलिए आपको वो 10 फैसले बताते हैं, जिसने नरेंद्र दामोदर दास मोदी को ब्रॉन्ड मोदी में बदला.
1971 में आरएसएस का प्रचारक-
नरेंद्र मोदी शुरुआत से ही आरएसएस से जुड़े रहे. लेकिन उनकी जिंदगी में सबसे पहला बड़ा मौका तब आया, जब उनको आरएसएस का पूर्णकालिक प्रचारक बनाया गया. साल 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद नरेंद्र मोदी को आरएसएस का प्रचारक बनाया गया. इस दौरान मोदी को उनके राजनीतिक गुरु लक्ष्मणराव ईनामदार उर्फ वकील साह का दिशा-निर्देशन मिला. नरेंद्र मोदी ने आरएसएस में गहरी पैठ बनाई.
साल 1979 में मोरबी मच्छु नदी का डैम टूट गया. कई इलाकों में पानी भर गया. आरएसएस ने रेस्क्यू और मदद पहुंचाने की जिम्मेदारी उठाई. आरएसएस की टीम में नरेंद्र मोदी भी शामिल थे. उन्होंने कई दिनों तक इंसानों और जानवरों की लाशें उठाई और उनका अंतिम संस्कार किया. उनकी मेहनत का नतीजा साल 1981 में तब मिला, जब उनको प्रांत प्रचारक बना दिया गया.
बीजेपी संगठन मंत्री की जिम्मेदारी-
आरएसएस में बेहतरीन काम कर रहे नरेंद्र मोदी को अब बीजेपी में एंट्री मिलने वाली थी. जब लालकृष्ण आडवाणी साल 1986 में पार्टी अध्यक्ष बने तो उन्होंने नरेंद्र मोदी की बीजेपी में एंट्री करवाई. नरेंद्र मोदी को बीजेपी का संगठन मंत्री बनाया गया. मोदी ने गुजरात में बीजेपी संगठन को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई. साल 1987 में अहमदाबाद निकाय चुनाव उनकी पहली सियासी चुनौती थी. नरेंद्र मोदी ने इस चुनाव के लिए अलग रणनीति बनाई और पार्टी को 127 में से 67 सीटों पर जीत दिलाई. बाद में बीजेपी ने इस रणनीति को सूरत, वडोदरा, राजकोट निकाय चुनावों में अपनाया और जीत हासिल की. साल 1989 में मोदी को गुजरात बीजेपी का संगठन सचिव बनाया गया.
यात्राओं के मैनेजमेंट की जिम्मेदारी-
नरेंद्र मोदी के सियासी जीवन में यात्राओं के मैनेजमेंट ने बड़ी भूमिका निभाई. साल 1990 में लालकृष्ण आडवाणी ने सोमनाथ से अयोध्या तक रथयात्रा निकाली. गुजरात में इस यात्रा की मैनेजमेंट की जिम्मेदारी नरेंद्र मोदी को मिली थी. नरेंद्र मोदी ने इस यात्रा के बेहतरीन ढंग से सफल बनाया. इस यात्रा की छोटी-छोटी बातें मोदी की नजर में थी. साल 1991 में मुरली मनोहर जोशी कन्याकुमारी से श्रीनगर तक 'एकता यात्रा' निकाली. इस यात्रा के कोऑर्डिनेशन और रूट की जिम्मेदारी मोदी के पास थी. इस दौरान 26 जनवरी 1992 को मुरली मनोहर जोशी और नरेंद्र मोदी ने श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा झंडा फहराया था. इन यात्राओं ने नरेंद्र मोदी का सियासी कद बढ़ा दिया.
गुजरात के CM बने मोदी-
साल 1995 में गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी को जीत मिली और केशुभाई पटेल की अगुवाई में सरकार बनी. लेकिन शंकर सिंह वाघेला ने बगावत कर दी. अटल बिहारी वाजपेयी को बीच में आना होगा. शंकर सिंह वाघेला मान गए, लेकिन इसकी वजह से नरेंद्र मोदी को गुजरात से बाहर कर दिया गया. उनको दिल्ली में राष्ट्रीय सचिव बना दिया गया. भले ही मोदी दिल्ली चले गए थे, लेकिन उनका दिल गुजरात में ही था. इस बीच गुजरात की सियासत में खूब उठा-पटक हुई. शंकर सिंह वाघेला सीएम बने. लेकिन उनकी सरकार गिर गई. साल 1998 में गुजरात में विधानसभा चुनाव हुए. जिसमें बीजेपी को जीत मिली और केशुभाई पटेल फिर से मुख्यमंत्री बने.
इस बीच साल 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बन गए. नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय संगठन सचिव बना दिए गए. उधर, गुजरात में केशुभाई पटेल की अगुवाई में पार्टी को स्थानीय चुनाव, उपचुनावों में हार का सामना करना पड़ा. साल 2001 में कच्छ में भूकंप में भी सरकार का कामकाज संतोषजनक नहीं रहा. तमाम सियासी उतार-चढ़ाव के बाद 7 अक्तूबर 2001 को नरेंद्र मोदी गुजरात के 14वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली.
अटल का राजधर्म पालन करने की नसीहत-
नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, इसी दौरान 27 फरवरी 2002 को गोधरा रेलवे स्टेशन से कुछ दूर सारबरमती एक्सप्रेस ट्रेन की एस-6 बोगी में आग लग गई. इसमें 59 लोगों की जलकर मौत हो गई. इसके बाद सूबे में दंगे भड़क उठे. इसमें सैकड़ों लोगों की मौत हुई. हालात को कंट्रोल करने के लिए सेना की मदद लेनी पड़ी. इस दौरान सीएम मोदी का एक इंटरव्यू चर्चा का विषय बना. जिसमें उन्होंने कहा था कि क्रिया की प्रतिक्रिया होती है.
इस दौरान देश के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी गुजरात पहुंचे और हालात का जायजा लिया. पीएम वाजपेयी ने नरेंद्र मोदी को राजधर्म पालन करने की नसीहत दी. पीएम ने कहा था कि मुख्यमंत्री के लिए मेरा सिर्फ एक संदेश है कि वह राजधर्म का पालन करें. इसपर नरेंद्र मोदी ने फौरन बोला कि हम भी वहीं कर रहे हैं साहब. इसके बाद पीएम ने कहा कि मुझे विश्वास है कि नरेंद्र भाई यही कर रहे हैं. इस वाक्ये के बाद नरेंद्र मोदी की छवि एक हिंदुत्ववादी लीडर की बनने लगी.
गोवा में पीएम कैंडिडेट बनना-
जून 2013 में गोवा में बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई. इस दौरान में बड़ा फैसला किया गया. नरेंद्र मोदी को सेंट्रल कैंपेन कमेटी का चेयरमैन बनाया गया. बैठक के बाद बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने इस फैसले का ऐलान किया. इस फैसले से लालकृष्ण आडवाणी नाराज हो गए और इस्तीफा दे दिया. उन्होंने कहा था कि बीजेपी दिशा भटक चुकी है. हालांकि बाद में उन्होंने अपना इस्तीफा वापस ले लिया. लेकिन ये तो अभी शुरुआत थी, इसके बाद और भी कुछ होने वाला था. 13 सितंबर 2013 को बीजेपी संसदीय बोर्ड की बैठक हुई. इस बैठक में बोर्ड के 12 सदस्य मौजूद रहे. इस बैठक से लालकृष्ण आडवाणी नदारद रहे. इस बैठक में नरेंद्र मोदी को लेकर बड़ा फैसला किया गया. नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री उम्मीदवार घोषित कर दिया गया.
प्रधानमंत्री बने नरेंद्र दामोदर दास मोदी-
बीजेपी ने साल 2014 आम चुनाव नरेंद्र मोदी की अगुवाई में लड़ा. जिसमें बीजेपी ने इतिहास की सबसे बड़ी जीत हासिल की. बीजेपी को 282 सीटों पर जीत मिली. पार्टी ने पहली बार अकेले दम पर बहुमत हासिल किया था. 26 मई 2014 को नरेंद्र मोदी ने पहली बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली. नरेंद्र मोदी लगातार 3 बार से देश के प्रधानमंत्री हैं.
मोदी सरकार के बड़े फैसले-
नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में कई बड़े फैसले लिए गए. जिसने ब्रॉन्ड मोदी को और मजबूत किया है. इसमें जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 और 35ए हटाने का फैसला शामिल है. इसके साथ ही मोदी सरकार नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 लेकर आई. पीएम मोदी ने डिजिटल इंडिया की शुरुआत की. चलिए आपको मोदी सरकार के बड़े फैसलों के बारे में बताते हैं.
सर्जिकल स्ट्राइक-
मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में सर्जिकल स्ट्राइक ने ब्रॉन्ड मोदी को सबसे ज्यादा मजबूत किया. इसके तहत पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में सेना ने ऑपरेशन चलाया था. 28-29 सितंबर 2016 की रात को इंडियन आर्मी ने पीओके में आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन चलाया था. इसमें 38 से ज्यादा आतंकियों को मार डाला गया था. आर्मी ने ये ऑपरेशन उरी में आतंकी हमले का बदले के तौर पर चलाया था. 18 सितंबर 2016 को हुए उरी हमले में 19 जवान शहीद हो गए थे.
आर्टिकल 370 हटाने का फैसला-
मोदी सरकार ने 5 अगस्त 2019 को बड़ा फैसला किया और जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने का बिल संसद में पेश किया. इस फैसले के बाद जम्मू-कश्मीर को मिला विशेष दर्जा खत्म हो गया. इसके साथ ही सरकार ने इस राज्य को केंद्रशासित प्रदेश में बदल दिया. सरकार के इस फैसले ने ब्रॉन्ड मोदी को और भी मजबूत किया.
देश में CAA लागू करना-
मोदी सरकार नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 लेकर आई. इस कानून का मकसद पड़ोसी देशों पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देना था. इस कानून में 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आ चुके हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय को नागरिकता देने का प्रावधान है. यह बिल 11 दिसंबर 2019 को राज्यसभा में पास हुआ और इसके दो दिन बाद लोकसभा से भी पास हो गया.
डिजिटल इंडिया मिशन-
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक और बड़ा फैसला लिया और डिजिटल इंडिया की शुरुआत की. इसका मकसद देश को डिजिटल रूप से मजबूत बनाना है. इसमें कई ऑनलाइन बुनियादी ढांचे में सुधार, इंटरनेट कनेक्टिविटी बढ़ाना, नागरिकों को हाई-स्पीड इंटरनेट की सुविधा देना शामिल है. प्रधानमंत्री ने एक जुलाई 2015 को इस अभियान की शुरुआत की.
जीएसटी लागू-
मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में एक जुलाई 2017 को गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) लागू हुआ था. इस जीएसटी में 17 स्थानीय कर और शुल्क शामिल किए गए थे. इसका मतलब है कि सभी करों और शुल्कों को एक टैक्स के तहत ला दिया गया. इसके लिए सरकार ने आधी रात को संसद का विशेष सत्र बुलाया था.
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