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केरल: दिहाड़ी मजदूर दंपति का तीसरा बच्चा भी बनेगा डॉक्टर, गर्व से चौड़ा हुआ मां-बाप का सीना

अपने इन सपनों को पूरा करने के लिए रमन और कमला के तीनों बच्चों ने बहुत मेहनत की है और कई परेशानियां का भी सामना किया. तीनों ही बच्चों ने सरकारी स्कूलों से पढ़ाई की है.

MBBS की पढ़ाई (सांकेतिक तस्वीर) MBBS की पढ़ाई (सांकेतिक तस्वीर)
हाइलाइट्स
  • कोझीकोड के मालाबार मेडिकल कॉलेज से कर रहे हैं MBBS की पढ़ाई

  • सपनों को पूरा करने के लिए तीनों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ा

बड़े सपने पूरे करने के लिए बड़ी मुसीबतों का भी सामना करना पड़ता हैं. ये पंक्ति केरल के इस परिवार पर एकदम सटीक बैठती है. रामचंद्रन उर्फ ​​रमन और कमला अट्टापडी पहाड़ियों के सारंगमाला के सुदूर गांव मेट्टुवाझी में रहने वाले दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी है और गर्वित माता-पिता भी. भले ही माता-पिता मजदूर हों लेकिन, इनके तीनों बच्चे कोझीकोड के मालाबार मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च सेंटर में एमबीबीएस (MBBS)कोर्स कर रहे हैं. 

अपने इन सपनों को पूरा करने के लिए इन्होंने बहुत मेहनत की है. कई परेशानियां का भी सामना किया. पांच साल पहले तक इन बच्चों (इंद्रजीत, इंद्रजा और इंदुजा)को पानी लाने के लिए भी घर से दो किलोमीटर दूर जाना पड़ता था, ताकि घर में पीने का पानी मिल सके. एक छोटे से कमरे के घर में सभी लोग गुजर बसर करते थे. 

तीनों बच्चों ने सरकारी स्कूलों से की पढ़ाई

हालांकि, उन्होंने पढ़ाई में उत्कृष्टता हासिल करने और एक मिसाल कायम करने की चिंगारी को हमेशा अपने साथ रखा. तीनों में से कोई भी किसी भी बड़े या निजी स्कूल में नहीं गया. ये सभी प्लस टू तक सरकारी स्कूलों में पढ़ते थे. इंद्रजीत जहां एमबीबीएस कोर्स के तीसरे वर्ष में है और इंद्रजा दूसरे वर्ष में है, वहीं इंदुजा ने इसी हफ्ते कॉलेज में प्रवेश लिया है. 

रामचंद्रन उर्फ ​​रमन ने बताया कि उनकी पत्नी एक आदिवासी समुदाय से हैं और उन्होंने भी केवल पांचवीं कक्षा तक पढ़ाई की है. रमन के पिता भी एक मजदूर थे और उनके पास हम तीन भाई-बहनों को शिक्षित करने के लिए साधन नहीं थे. स्कूल आठ किलोमीटर दूर था और कोई उचित सड़क नहीं थी. हमें जंगली जानवरों से भरे जंगलों से गुजरना पड़ता था. 

पांच साल पहले ही मिला बिजली-पानी का कनेक्शन

उन्होंने बताया कि पांच साल पहले ही बिजली और पानी का कनेक्शन मिला था. हालांकि कमला और वह दिहाड़ी मजदूर थे, लेकिन हमने अपने बच्चों को ज्यादा से ज्यादा शिक्षा देने का फैसला किया. उनकी सबसे छोटी बेटी इंदुजा ने पिछले शुक्रवार को मेडिकल कॉलेज में प्रवेश लिया. अब उनके तीनों बच्चे एक ही कॉलेज में पढ़ रहे हैं. 

इंदुजा सिविल सेवा परीक्षा पास करना चाहती है

"इंद्रजीत और इंद्रजा, अट्टापडी में अपना एलपी स्कूल पूरा करने के बाद, कक्षा 10 तक मालमपुझा के नवोदय स्कूल गए. उन्होंने अपना प्लस- टू गवर्नमेंट हायर सेकेंडरी स्कूल, अगाली में किया. वे प्रखंड पंचायत से कुछ आर्थिक सहायता लेकर पाला में प्रवेश प्रशिक्षण के लिए गए थे.

इंदुजा ने प्लस-टू तक अट्टापदी में पढ़ाई की. इसके बाद उनके बहन और भाई ने उन्हें मेडिकल प्रवेश परीक्षा के लिए गाइड किया. इंदुजा ने बताया कि कॉलेज के अधिकारियों ने उनसे कहा है कि जब कक्षाएं शुरू होंगी तो वे मुझे फोन करेंगे. उनका उद्देश्य एमबीबीएस पूरा करना है और फिरपोस्ट ग्रेजुएशन करना है. उन्होंने कहा कि यहां डॉक्टरों की कमी है और यहां बच्चों की मौत होना आम बात है. इसलिए वह पढ़ाई पूरी कर अट्टापडी में ही अपनी सेवा देना चाहती हैं. 

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