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Lantana Camera: इस छोटे-से फूल ने लगभग खत्म कर दिया था बाघों का यह ठिकाना, जानिए कैसे हो रहा है बचाव

Lantana Camera भारत में बाघों के लगभग 40% ठिकानों पर फैला हुआ है. खासतौर पर मदुमलई टाइगर रिजर्व से इसे हटाने के प्रयास चल रहे हैं ताकि जंगल की स्थानीय वनस्पति को पुनर्जीवित किया जा सके.

Lantana Camara dangerous for tiger habitat (Photo: Wikipedia) Lantana Camara dangerous for tiger habitat (Photo: Wikipedia)
हाइलाइट्स
  • खरपतवार को हटाने का प्रयास हैं जारी

  • पांच साल तक लगातार प्रयास करने होंगे 

फूल किसे पसंद नहीं होते हैं. किसी भी चीज या जगह को सुंदर बनाने वाले फूलों से सबको प्यार होता है. लेकिन क्या आपको पता है कि सुंदर फूल जानलेवा भी हो सकते हैं. जी हां, लैंटाना कैमरा, एक उष्णकटिबंधीय अमेरिकी झाड़ी पशु-पक्षियों के लिए जानलेवा होते हैं. भारत में स्थानीय तौर पर इसे पंचफूली कहा जाता है. पंचफूली ने भारत के बाघ क्षेत्र के 40% से ज्यादा हिस्से में फैल गया है, जिसमें शिवालिक पहाड़ियाँ, मध्य भारत और दक्षिणी पश्चिमी घाट सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं. 

यह पौधा अमेरिकी मूल का है जो मुख्यतौर पर एक खरपतवार है. 1800 के दशक में अंग्रेजों ने लैटिन अमेरिका से इसे सजावटी पौधे के रूप में पेश किया था और धीरे-धीरे यह पूरे देश में फैल गया. साल 2020 तक, भारत में बाघों के 40% से ज्यादा आवासों पर इसका कब्ज़ा हो गया था. 100 से ज्यादा बाघों का घर, नीलगिरी में मुदुमलाई टाइगर रिजर्व (एमटीआर) भी लैंटाना से परेशान है. क्योंकि लैंटाना के कारण इसके कोर और बफर जोन में वनस्पति और हरे क्षेत्रों में गिरावट आई है. 

खरपतवार को हटाने का प्रयास
साल 2023 से इस रिज़र्व में देशी प्रजातियों के अंकुर फूटने लगे और ऐसा लगता है कि जंगल में वनस्पति का पूर्ण पुनर्जनन हो रहा है. इस बदलाव के बार में वन्यजीव अधिकारियों का कहना है कि यह सुधार आक्रामक खरपतवारों को हटाने के ठोस प्रयासों के कारण हुआ है, जिससे पारिस्थितिकी तंत्र को बहाल करने में मदद मिली. एमटीआर में छह रेंजों में 32,100 हेक्टेयर कोर जोन शामिल हैं, जबकि चार रेंजों में फैले बफर जोन में अतिरिक्त 36,700 हेक्टेयर क्षेत्र शामिल है. 

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इकोलॉजी के लिए खतरे का सामना करते हुए, लैंटाना कैमरा, सेन्ना स्पेक्टाबिलिस, प्रोसोपिस जूलीफ्लोरा और वेटल जैसी आक्रामक और विदेशी प्रजातियों को हटाया जा रहा है. इन खरपतवारों को हटाने की प्रक्रिया 2022 की शुरुआत में शुरू हुई. एमटीआर के बफर जोन में, लगभग 20% क्षेत्र आक्रामक प्रजातियों का कब्जा था, जबकि कोर जोन में कम से कम 50% हिस्से पर मुख्य रूप से लैंटाना फैला हुआ था. लेकिन इन खरपतवारों को लगातार हटाने से प्राकृतिक घास और अन्य स्वदेशी प्रजातियों का पुनर्जनन हुआ है. 

पांच साल तक लगातार प्रयास करने होंगे 
वन्य अधिकारी साफ किए गए क्षेत्रों का रखरखाव कर रहे हैं, लेकिन जंगल को खरपतवारों से मुक्त कराने के लिए इस प्रक्रिया को पांच साल तक जारी रखने की जरूरत है. वह आगे कहते हैं कि खरपतवारों को शुरू में पूरी तरह से उखाड़ दिया जाता है, लेकिन पीछे छूटे बीज या इनकी छोटी जड़ें खतरा पैदा करती हैं क्योंकि इन्हें नष्ट होने में 50 साल तक लग सकते हैं, जिससे संभावित रूप से दशकों बाद भी वे फिर से अंकुरित हो सकते हैं. 

लैंटाना कैमरा एक बारहमासी झाड़ी है जो लगभग 2 मीटर से 5 मीटर तक लंबी होती है और विभिन्न वातावरणों में घनी झाड़ियां बनाती है. लैंटाना एमटीआर में सबसे ज्यादा फैली है जिसके कारण घास और स्वदेशी प्रजातियों का प्राकृतिक पुनर्जनन मुश्किल होता है. एमटीआर घास और फलियों की 25 प्रजातियों का घर है, जिसमें प्रोटीन से भरपूर विभिन्न प्रकार की घास भी शामिल है. जंगली जानवर पूरे जंगल में इन प्रजातियों के बीजों को फैलाने में मदद करते हैं, जिससे प्रकृति चक्र चलता रहता है. इन खरपतवारों को हटाने के बाद जंगल फिर से हराभरा हो जाएगा. 

जानवरों के आवास का उनके लिए अनुकूल होना जरूरी है क्योंकि घास के मैदान छोटे और बड़े दोनों प्रकार के शाकाहारी जीवों को आकर्षित करते हैं. लेकिन हम यह नहीं कह सकते कि लैंटाना पूरी तरह ख़राब है. यह मांसाहारी जानवरों के लिए कवर और पक्षियों और बंदरों के लिए फल भी देता है. कुछ मायनों में यह पर्यावरण-अनुकूल भूमिका भी निभाता है.

लेकिन अगर बाघों और शाकाहारी जीवों पर ध्यान केंद्रित करते हैं, तो लैंटाना एक ख़तरा प्रतीत होता है. कोर ज़ोन में, 1,221 हेक्टेयर से लैंटाना हटाना है, जिसमें लगभग 355 हेक्टेयर यानी 29% साफ़ कर दिया गया है. बफर जोन में, 1,615 हेक्टेयर को साफ किया गया है. यह प्रक्रिया अन्य क्षेत्रों में भी आगे बढ़ रही है.