एक जुलाई 2024 से देश में तीन नए आपराधिक कानून लागू होने वाले हैं. इस तरह से देश में भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Bharatiya Sakshya Adhiniyam) लागू होंगे. इन नए कानूनों में कई पुराने नियमों को बदल दिया गया है और उनकी जगह नए नियम लाए गए हैं.
नए कानून के तहत अब देश में कहीं भी जीरो एफआईआर दर्ज कराई जा सकती है. इसमें धाराएं भी जुड़ेंगी. इसके अलावा हर थाने में एक पुलिस अफसर की नियुक्ति होगी, जिसके पास किसी भी व्यक्ति की गिरफ्तारी से जुड़ी हर जानकारी होगी.
चलिए आपको बताते हैं कि 3 नए कानूनों के लागू होने के बाद क्या-क्या नए बदलाव होने जा रहे हैं.
हथकड़ी लगाने के नियम में बदलाव
अपराध प्रक्रिया संहिता (Criminal Procedure Code 1973) की जगह लाए जा रहे भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNS) की धारा 43 (3) में गिरफ्तारी या अदालत में पेश करते समय कैदी को हथकड़ी लगाने का प्रावधान किया गया है. इस नियम के मुताबिक अगर कोई कैदी आदतन अपराधी है या पहले हिरासत से भाग चुका है या आतंकी गतिविधियों में शामिल रहा है, ड्रग्स से जुड़ा अपराधी हो, हत्या, रेप, एसिड अटैक, मानव तस्करी, बच्चों का यौन शोषण में शामिल रहा हो तो ऐसे कैदी को हथकड़ी लगाकर गिरफ्तार किया जा सकता है.
अब तक कानून में हथकड़ी लगाने पर उसका कारण बताना जरूरी था. इसके लिए मजिस्ट्रेट से इजाजत भी लेनी होती थी. साल 1980 में प्रेम शंकर शुक्ला बनाम दिल्ली सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हथकड़ी के इस्तेमाल को अनुच्छेद 21 के तहत असंवैधानिक करार दिया था. कोर्ट ने कहा था कि अगर हथकड़ी लगाने की जरूरत है तो मजिस्ट्रेट से इसकी इजाजत लेनी होगी.
भगोड़े अपराधी पर भी चल सकेगा मुकदमा
पुराने कानून के मुताबिक किसी अपराधी या आरोपी पर ट्रायल तभी शुरू होता था, जब वो अदालत में मौजूद होता था. लेकिन नए कानून के मुताबिक अगर कोई अपराधी फरार है तो भी उसके खिलाफ मुकदमा चल सकता है. आरोप तय होने के 90 दिन के बाद भी अगर आरोपी कोर्ट में पेश नहीं होता है तो ट्रायल शुरू हो जाएगा.
दया याचिका का बदला नियम
पुराने कानून में मौत की सजा पाए दोषी के सामने आखिरी रास्ता दया याचिका होती है. सारे कानूनी रास्ते खत्म होने के बाद दोषी के पास राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर करने का अधिकार होता है. दया याचिका दायर करने की कोई समय सीमा नहीं है. लेकिन भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 472(1) के मुताबिक सारे कानूनी विकल्प खत्म होने के बाद दोषी 30 दिन के भीतर राष्ट्रपति के सामने दया याचिका दायर करनी होगी. राष्ट्रपति का दया पर जो भी फैसला होगा, उसकी जानकारी 48 घंटे के भीतर केंद्र सरकार को राज्य सरकार के गृह विभाग और जेल सुपरिंटेंडेंट को देनी होगी.
नए कानून में आतंकवाद की परिभाषा
पुराने कानून में आतंकवाद की परिभाषा नहीं थी. लेकिन भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code 1860) की जगह लाए जा रहे भारतीय न्याय संहिता (BNS) में पहली बार आतंकवाद को परिभाषित किया गया है और इसे दंडनीय अपराध बनाय गया है. अगर कोई देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा को खतरे में डालने, आम जनता या उसके एक वर्ग को डराने या सार्वजनिक व्यवस्था को बिगाड़ने के इरादे से भारत या किसी अन्य देश में कोई कृत्य करता है, तो उसे आतंकवादी कृत्य माना जाएगा.
फैसले के 7 दिन के भीतर सजा का ऐलान
नए कानून के मुताबिक पीड़ित को 90 दिन के भीतर जांच की प्रोग्रेस रिपोर्ट देनी होगी. पुलिस को 90 दिन के अंदर चार्जशीट दाखिल करनी होगी. कोर्ट हालात को देखते हुए 90 दिन का समय बढ़ा सकता है. किसी भी परिस्थिति में 180 के भीतर जांच पूरी कर ट्रायल शुरू करना होगा. कोर्ट को 60 दिन के भीतर आरोप तय करने होंगे. सुनवाई पूरी होने के 30 दिन के भीतर फैसला देना होगा. इसके साथ ही सजा का ऐलान 7 दिन के भीतर करना होगा.
गैंगरेप में आजीवन जेल की सजा
नए कानून के मुताबिक गैंगरेप के मामले में दोषी साबित होने पर 20 साल की सजा या आजीवन जेल की सजा का प्रावधान है. अगर पीड़िता नाबालिग है तो आजीवन जेल/मृत्युदंड का प्रावधान किया गया है.
स्नैचिंग के मामले में गंभीर चोट लगने या स्थाई विकलांगता की स्थिति में कठोर सजा दी जाएगी. बच्चों को अपराध में शामिल करने पर कम से कम 7-10 साल की सजा होगी. हिट एंड रन मामले में मौत होने पर अपराधी घटना का खुलासा करने के लिए पुलिस/मजिस्ट्रेट के सामने पेश नहीं होता है तो जुर्माने के अलावा 10 साल तक की जेल की सजा हो सकती है.
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