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Timarpur Lake: दिल्ली को मिला नया टूरिस्ट स्पॉट! बनाई जाएगी अनोखी झील...घूमने-फिरने जा सकेंगे लोग

दिल्लीवासियों को जल्द ही एक और टूरिस्ट स्पॉट मिलने वाला है. यहां की तिमारपुर झील (Timarpur Lake) को एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है. साल 1940 के आसपास, दिल्ली के तिमारपुर में ब्रिटिश काल का ट्रीटमेंट प्लांट हुआ करता था.

Timarpur Lake Timarpur Lake

दिल्ली की तिमारपुर झील (Timarpur Lake) को एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है. जल्द ही इसे आम जनता के लिए खोल दिया जाएगा. इसकी घोषणा सोमवार को दिल्ली के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने की. 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर, केंद्रीय मंत्री सौरभ भारद्वाज ने संबंधित कार्यों की प्रगति का आकलन करने के लिए तिमारपुर झील स्थल का दौरा किया और उच्च गुणवत्ता वाले कार्यों को समय पर पूरा करने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए हैं.

40 एकड़ में फैली है झील
केंद्रीय मंत्री ने कहा, "यह परियोजना न केवल ग्राउंड वाटर रिचार्ज की सुविधा प्रदान करती है बल्कि स्थानीय आबादी के सामने पानी से संबंधित मुद्दों को भी कम करती है." उन्होंने आगे कहा कि 40 एकड़ में फैली तिमारपुर झील को जल्द ही पर्यटकों के लिए खोल दिया जाएगा. भारद्वाज, स्थानीय निवासियों और बच्चों के साथ पर्यावरण संरक्षण के संदेश को फैलाने के लिए झील के चारों ओर वृक्षारोपण गतिविधियों में लगे हुए हैं.

भारद्वाज ने कहा कि झील का निर्माण अपने अंतिम चरण में है और 90 फीसदी काम पूरा हो चुका है. बाकी काम जल्द ही पूरा होने की उम्मीद है, जिसके बाद इसे आम लोगों के लिए खोल दिया जाएगा. इस परियोजना का उद्देश्य एक पारिस्थितिक प्रणाली स्थापित करना और अंडर ग्राउंड वाटर रिचार्ज को अधिकतम करने के लिए लागत प्रभावी तरीकों को लागू करना है. यहां बन रहे सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) से साफ पानी झील में जाएगा. एक बार परियोजना पूरी हो जाने के बाद, यह जल भंडारण और गाउंड वाटर रिचार्ज में सहायता करेगा और जल उपचार में योगदान देगा." 

क्यों किया गया था बंद?
साल 1940 के आसपास, दिल्ली के तिमारपुर में ब्रिटिश काल का ट्रीटमेंट प्लांट हुआ करता था. इन ऑक्सीकरण तालाबों का उपयोग गंदे पानी को साफ करने के लिए किया जाता था. गंदे पानी को साफ करने का यह तरीका काफी पुराना था, जिसके चलते तिमारपुर की जमीन पर गंदा पानी जमा हो जाता था, जिससे दुर्गंध आती थी. इन्हीं कारणों से प्लांट को बंद कर दिया गया था.

इसके बाद, लोगों ने कई सालों तक साइट पर कचरा डंप करना शुरू कर दिया. ऐसे में यह स्थान एंटी-सोशल एलिमेंट्स का अड्डा बन गया. शाम के समय यहां शराबियों का जमावड़ा लग जाता था, जिससे स्थानीय लोग अपने को असुरक्षित महसूस करते थे. यहां आपराधिक घटनाएं भी होने लगीं थीं.