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उत्पीड़न से तंग आकर महिला जज ने छोड़ दी थी नौकरी, अब सुप्रीम कोर्ट ने 8 साल बाद दिया बहाल करने का आदेश! जानें क्या है पूरा मामला

मामले की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एल नागेश्वर राव और बी आर गवई की बेंच ने महिला जज को दोबारा न्यायिक सेवा में लिए जाने का आदेश दिया है. बेंच ने कहा, “महिला जज का इस्तीफा पूरी तरह ऐच्छिक नहीं कहा जा सकता. इसलिए, उन्हें बहाल किया जा रहा है"

उत्पीड़न से तंग आकर महिला जज ने छोड़ दी थी नौकरी उत्पीड़न से तंग आकर महिला जज ने छोड़ दी थी नौकरी
हाइलाइट्स
  • राष्ट्रपति और CJI से लेकर कानून मंत्री तक सभी को लिखा पत्र

  • जब ADJ ने इसका विरोध किया तो उन्हें 8 जुलाई, 2014 को कहीं और ट्रांसफर कर दिया गया

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुरुवार को मध्य प्रदेश में एक महिला जज की बहाली का आदेश दिया है. महिला ने हाई कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस एस के गंगेले (Justice S K Gangele) के खिलाफ यौन उत्पीड़न (sexual harassment) के आरोप लगाए थे, जिसके बाद अपने ट्रांसफर के बाद उन्होंने नौकरी से इस्तीफा दे दिया था. 

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, शिकायतकर्ता उस समय ग्वालियर में एडिशनल डिस्ट्रिक्ट (ADJ) और सेशन जज थीं, तब जस्टिस गंगेले मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच में एडमिनिस्ट्रेटिव जज थे. गंगेले ग्वालियर जिले के पोर्टफोलियो जज भी थे और इसलिए उन्हें डिस्ट्रिक्ट कोर्ट, ग्वालियर के कामकाज की निगरानी भी दी गई थी. पोर्टफोलियो जज के रूप में, वह शिकायतकर्ता के काम का आकलन भी करते थे, इस दौरान महिला ने उनपर यौन शोषण का आरोप लगाया.

ADJ का कहना है कि जब उन्होंने इसका विरोध किया तो उन्हें 8 जुलाई, 2014 को कहीं और ट्रांसफर कर दिया गया. हालांकि, उन्होंने आठ महीने तक इस ट्रांसफर को रोकने की बात भी कही लेकिन इसे नहीं माना गया. इसके बाद, उन्होंने 15 जुलाई 2014 को सेवा से इस्तीफा दे दिया और 17 जुलाई 2014 को उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया.

राष्ट्रपति और CJI से लेकर कानून मंत्री तक सभी को लिखा पत्र  

महिला ने जुलाई, 2014 में भारत के राष्ट्रपति, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया और केंद्रीय कानून मंत्री को पत्र लिखकर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. लीगल वेबसाइट बार एंड बेंच के अनुसार, महिला जज ने अपने पत्र में लिखा कि हाई कोर्ट के जज ने उनसे आइटम सॉन्ग पर डांस करने के लिए कहा था. महिला ने यह भी आरोप लगाया था कि जज ने उनका ट्रांसफर एक दूर के इलाके में कर दिया था. महिला ने अपनी याचिका में ये भी कहा था कि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने दिसंबर 2017 में आई एक जांच रिपोर्ट को दरकिनार कर दिया था.

कुछ समय बाद महिला ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर फिर से नौकरी पर बहाल करने की मांग की थी. उन्होंने याचिका में कहा था कि 2014 में उन्हें इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया था.

राज्यसभा में हुई कार्यवाही

17 मार्च 2015 को राज्य सभा के 58 सदस्यों ने सभापति हामिद अंसारी को न्यायमूर्ति गंगेले को हटाने के प्रस्ताव का नोटिस दिया. इस प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए, अध्यक्ष ने 8 अप्रैल, 2016 को एक समिति का गठन किया जिसमें सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस आर. भानुमति, जस्टिस मंजुला चेल्लू, जो तत्कालीन कलकत्ता हाई कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश थीं, और सीनियर एडवोकेट केके वेणुगोपाल, जो वर्तमान में अटॉर्नी जनरल हैं, को आरोपों की जांच करने के लिया कहा.

समिति ने शिकायतकर्ता, हाई कोर्ट के जज और सभी संबंधित लोगों से पूछताछ की. हालांकि, जस्टिस गंगेले ने शिकायतकर्ता के लगाए हुए आरोपों को खारिज किया. 

सुप्रीम कोर्ट का आदेश…. 

मामले की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एल नागेश्वर राव और बी आर गवई की बेंच ने महिला जज को दोबारा न्यायिक सेवा में लिए जाने का आदेश दिया है. बेंच ने कहा, “महिला जज का इस्तीफा पूरी तरह ऐच्छिक नहीं कहा जा सकता. इसलिए, उन्हें बहाल किया जा रहा है. हालांकि, उन्हें 2014 से अब तक के समय का वेतन नहीं मिलेगा. लेकिन रिटायरमेंट के बाद अपनी पोस्ट से हिसाब से उन्हें सभी फायदे दिए जाएंगे.