भारत में ट्रांसजेंडर समुदाय बहुत लंबे समय से मेनस्ट्रीम से दूर रहा है. लेकिन अब धीरे-धीरे कई सरकारी और गैर-सरकारी पहल से इनकी मदद की जा रही है. कई ट्रांसजेंडर अब बढ़-चढ़कर आगे आ रहे हैं. उन्हीं में से एक हैं अमृता जोसेफ मैथ्यू. हालांकि, उनका सफर आसान नहीं है. कड़ी मेहनत के बाद, 30 वर्षीय फूड आंत्रप्रेन्योर 2017 से कक्कानाड कलेक्ट्रेट सिविल स्टेशन के पास अपनी अचार और जूस की दुकान चला रही हैं.
कोतमंगलम में पली-बढ़ी हैं अमृता
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, कोतमंगलम में पली-बढ़ी अमृता और उनकी मां मैरी कई साल पहले एर्नाकुलम के कक्कनाड में शिफ्ट हो गईं थीं. दूसरे बच्चों के विपरीत, अमृता को अपनी फीस भरने के लिए स्कूल के दिनों से ही अजीबोगरीब काम करने पड़ते थे. उनकी मां एक डोमेस्टिक नर्स थी, जिनकी आय काफी कम थे. अमृता कहती हैं, “20 साल की उम्र में, मैं समझ गई थी कि मैं एक ट्रांसवुमन हूं. तब ट्रांस कम्युनिटी के बारे में मेरी एक अलग धारणा थी क्योंकि मैंने उन्हें केवल ट्रेनों में देखा था. लोग हमेशा उनके बारे में कुछ न कुछ गलत बोलते थे.”
नृत्य मंडली भी चलाती हैं अमृता
अमृता आगे कहती हैं, “मैंने हरिप्पड में ट्रांसजेंडर क्रॉसड्रेसर के एक समूह को प्रदर्शन करते देखा. उन्होंने मुझे काफी इम्प्रेस किया. मुझे भी जीवन भर नाचने का शौक रहा है. जल्द ही, मैं उनकी मंडली का हिस्सा बन गई. यहीं से मैंने ट्रांस कम्युनिटी के बारे में सीखा.”
बता दें, अमृता कुदुम्बश्री प्रोजेक्ट ‘प्रत्याशा’ के तहत पंजीकृत श्री नटराज कलासमिधि नाम की एक नृत्य मंडली भी चलाती हैं. वे मंदिर समारोहों में प्रदर्शन करते हैं.
आचार और जूस बनाती हैं मां
घर का बना अचार और ताजा जूस उनकी मां मैरी बनाती हैं. जिसे ‘अमृता' (AMRITHA) नाम के ब्रांड से बेचा जा रहा है. अमृता कहती हैं, “मेरी मां एक बेहतरीन कुक हैं. उन्होंने एक बार यूएई के लिए रवाना हो रहे पड़ोसी को कुछ आचार दिए. उन्होंने उसके बाद हमसे कुछ और लोगों के लिए ऑर्डर करवाएं. यह तब हुआ जब हम केवल इस स्टार्टअप को शुरू करने का विचार कर रहे हैं.”
क्या है स्पेशियलिटी
कुडुम्बश्री मेलों में उनके बनाये हुए आम, चिकन, मछली, बीफ और करेले के अचार की बहुत मांग है. अमृता कहती हैं, “कुदुम्बश्री मेलों से काफी अच्छा रेवेनुए मिलता है. हालांकि, महामारी के कारण इसमें कमी आई है. जूस में, गाजर, संतरा, चुकंदर, हरी मिर्च, नींबू का मिक्स्ड जूस - 'कक्कनडी नीली' नाम का एक खट्टा और मीठा कॉम्बो, उनकी स्पेशियलिटी में से एक है.
आसान नहीं रहा सफर
हालांकि, अमृता बताती हैं कि उनका ये सफर आसान नहीं रहा है. वे कहती हैं, “मेरे साथ कई लोगों ने भेदभाव किया, मुझे हर मौके पर इसका सामना करना पड़ा. काश वे मेरा उपहास उड़ाने के बजाय खुद को शिक्षित करते. लोगों को उनके लिंग के आधार पर वर्गीकृत करना सही नहीं है. मैं अपने स्टार्टअप को और बढ़ाना चाहती हूं ताकि इसमें अधिक ट्रांस लोग शामिल हो सकें.
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