रेलवे अपने यात्रियों की सहूलियत के लिए नए-नए नियम बनाता रहता है. फिर चाहे वो टिकट से जुड़ा हो, रिजर्वेशन से जुड़ा हो, सीट पर बैठने से जुड़ा हो या सोने की टाइमिंग से जुड़ा हो. होली नजदीक है और इसीलिए सभी अपने-अपने घरों में जाने की तैयारी में लगे हुए हैं. रेलवे यात्रियों की नींद में किस भी तरह का कोई खलल न पड़े और वे आसानी से चैन की नीदं ले सकें, इसके लिए भी नियम बनाए गए हैं. ये नियम सोने की टाइमिंग और रिजर्वेशन सीट पर बैठने के तरीके से जुड़ा हुआ है.
ये है रिजर्वेशन सीट पर सोने की टाइमिंग
रेलवे गाइडलाइन के मुताबिक, कोई भी ट्रेन यात्री रात के 10 बजे से सुबह के 6 बजे तक अपनी रिजर्व्ड सीट पर सो सकता है. बाकी के समय सीट को बैठने के लिए इस्तेमाल में लाया जाएगा. इसमें दो तरह के स्लीपर कोच हैं:
1. टू-टियर सिटिंग-कम-स्लीपिंग कोच;
2. थ्री-टियर स्लीपिंग कोच
टू-टियर सिटिंग-कम-स्लीपर कोच में, केवल ऊपरी बर्थ पर बाकि के समय सो सकते हैं. निचली बेंचों को बैठने के लिए इस्तेमाल में लाया जाना चाहिए.
मोबाइल पर तेज आवाज में नहीं कर सकते बात
रेलवे के नए नियमों के मुताबिक, कोई भी पैसेंजर ट्रेन की सीट, कंपार्टमेंट या कोच में तेज आवाज में मोबाइल पर बात नहीं कर सकता और न ही वह तेज आवाज में गाने सुन सकता है. दरअसल ये नियम कई यात्रियों की इस तरह की शिकायतों पर बनाया गया है. हम अक्सर देखते हैं कि रात में या दोपहर के समय लोग कोच में ऊंची आवाज में गाने सुनते हैं और तेज-तेज फ़ोन पर बात करते हैं. इसी को देखकर ये नियम बनाये गए हैं. इसके साथ अगर कोई यात्री इन नियमों को नहीं मानता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई का भी प्रावधान है.
स्टाफ की होगी जिम्मेदारी
रेलवे मंत्रालय ने इन सभी नियमों को तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया है. इन नए नियमों के मुताबिक अगर कोई यात्री इनसे जुड़ी किसी भी प्रकार की शिकायत करता है तो उसका समाधान करने की जिम्मेदारी ट्रेन में मौजूद स्टाफ की होगी.