पेड़ों का भी इंसानों की तरह ख्याल रखा जा रहा है. पेड़ों के लिए ट्री एंबुलेंस चलाई जा रही है. इनकी मदद से पूरी दिल्ली में खोखले और रोग जनित पेड़ों की सर्जरी की जा रही है. नगर निकाय के अधिकारियों ने कहा कि दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) का बागवानी विभाग 2024 तक राजधानी में ट्री एम्बुलेंस के अपने बेड़े को तीन गुना करने के लिए तैयार है. इससे ट्री एंबुलेंस की कुल संख्या 12 हो जाएगी.
दिल्ली उच्च न्यायालय और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेशों के अनुपालन में एमसीडी के चार ट्री एम्बुलेंस का बेड़ा पिछले साल आया था. एमसीडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया कि अधिकारियों के अनुसार, पिछले साल ट्री एम्बुलेंस ने 353 सर्जरी की थीं, जिससे खोखले और संक्रमित पेड़ों को नया जीवन मिला. अबकी बार भी एमसीडी ने पेड़ों की मैपिंग भी शुरू कर दी है. इसमें ऐसे पेड़ों की पहचान की जा रही है, जो फंगल इंफेक्शन से ग्रसित हैं या कीड़े लगे हैं.
सर्जरी में लगते हैं दो से तीन साल
मई 2022 में, उच्च न्यायालय ने दिल्ली के तीन पूर्ववर्ती निगमों और भूमि-स्वामित्व वाली एजेंसियों जैसे लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी), दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) और वन विभाग सहित अन्य को वृक्ष रोग सर्जरी इकाई स्थापित करने के लिए कहा. राजधानी में पेड़ों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ट्री एम्बुलेंस की खरीद करें, और प्रत्येक निकाय में विशेष आर्बोरिस्ट (ट्री सर्जन) की नियुक्ति करें. जबकि ट्री एम्बुलेंस लॉन्च की गईं, सर्जरी यूनिट अभी तक नहीं आई है. अधिकारी ने कहा,“कीट से संक्रमित, खोखले या सूखने वाले पेड़ों के संबंध में फील्ड स्टाफ से प्राप्त शिकायतों या रिपोर्टों के आधार पर ट्री एम्बुलेंस की नियुक्ति की जाती है. एक सामान्य पेड़ की सर्जरी में दो से तीन साल लगते हैं. प्रक्रिया संक्रमित या खोखले हुए हिस्से को हटाने, ब्रश से साफ करने, धोने और फिर कीट से प्रभावित हिस्से पर कीटनाशक लगाने से शुरू होती है.”
जियो टैगिंग भी होगी
एमसीडी ने अब तक 400 से ज्यादा खोखले व रोग जनित पेड़ों की सर्जरी की है. अगले कुछ हफ्तों में ऐसे और पेड़ों की सर्जरी की जानी है. खोखले पेड़ों को सबसे पहले हल्का किया जा रहा है. ऐसे पेड़ जो ज्यादा कमजोर हो गए हैं, उनके तनों, जड़ों और शाखाओं की काटछांट की जा रही है. पूरे पेड़ में फंगल इंफेक्शन न फैले इसके लिए सर्जरी की जा रही है. जो पेड़ खोखले हो चुके हैं उन्हें प्लास्टर ऑफ पेरिस से भरा जा रहा, ताकि मजबूती बनी रहे. इसके साथ ही पेड़ों की गिनती कर एक यूनिक नंबर देने का काम भी साथ ही चल रहा है. इसके बाद एआई के जरिए पेड़ों की लोकेशन और जियो टैगिंग भी की जाएगी. मेयर डॉ. शैली ओबरॉय की ओर से इस हफ्ते के आखिर तक गिनती का काम खत्म करने का निर्देश है.
पुराने पेड़ों को बचाने की मुहिम
उद्यान विभाग के अधिकारियों का कहना है कि ऐसा करके आंधी बारिश के दौरान ज्यादातर पेड़ों को गिरने से बचाया जा सकता है. दिल्ली में हरियाली को बचाए रखने के लिए निगम ने ये कोशिश शुरू की है. इससे खासतौर वो पेड़ जो कमजोर हो जाए हैं या फिर पुराने पेड़ों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है. उद्यान विभाग के मुताबिक दिल्ली में ग्रीन कवर बढ़ाने की योजना है. इसके लिए मौजूदा साल करीब 85 हजार पेड़ लगाए गए हैं. कई जगहों पर पेड़ ट्रांसप्लांट करने की भी तैयारी चल रही है.