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ट्रक ड्राइवर बना देवदूत, सैकड़ों परिवारों को उजड़ने से बचाया

कई बार सड़क दुर्घटना में घायल लोगों की मदद के लिए कोई भी आगे नहीं आता है. क्योंकि लोगों को लगता है कि उन पर कोई मुसीबत न आ जाए. लेकिन ओडिशा का एक ट्रक ड्राइवर पिछले 16 सालों से सड़क दुर्घटना के घायलों की मदद कर रहा है और 300 से ज्यादा लोगों की जिंदगियां बचा चुका है. पढ़िए इस नेक दिल ट्रक ड्राइवर की कहानी.

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हाइलाइट्स
  • 16 सालों से कर रहे हैं लोगों की मदद

  • अपनी कमाई का 25% लगाते हैं नेक कामों में

भारत में हर साल चार लाख से ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं होती हैं. इनमें ज्यादातर घायल लोग समय रहते मदद न मिल पाने के कारण अपनी जान गंवा देते हैं. इसलिए यह बहुत जरुरी है कि दुर्घटना स्थल पर मौजूद लोग पीड़ितों की मदद करें और उन्हें समय से अस्पताल पहुंचाने की कोशिश करें.

बहुत बार लोगों को लगता है कि घायलों की मदद करने से वे मुसीबत में फंस जाएंगे और इसलिए कोई आगे नहीं आता है. लेकिन यह सिर्फ एक मिथक है क्योंकि आज बहुत से ऐसे नेकदिल लोग भी है, जो घायलों की मदद करके समाज और प्रशासन के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं. 

इन जिम्मेदार लोगों में एक नाम है ओडिशा के पंकज कुमार का. कुजंग ब्लॉक के हसीना गांव से आने वाले पंकज कुमार ने जगतसिंहपुर जिले के इलाके में अब तक लगभग 400 घायलों की मदद की है. जिनमें से 300 से ज्यादा लोग आज जीवित हैं और अपने जीवन के लिए पंकज के आभारी हैं. 

ट्रक ड्राइवर बना ‘देवदूत’

पंकज पेशे से एक ट्रक ड्राइवर हैं. उनका काफी समय रोड पर ही बीतता है. इस दौरान बहुत बार उनके सामने ऐसी स्थिति आती है. और पंकज बिना कुछ सोचे-समझे तुरंत दुर्घटनाग्रस्त लोगों की मदद करने को दौड़ पड़ते हैं. उनकी मदद के कारण आज बहुत से परिवार उजड़ने से बच गए हैं. 

2005 में कटक-पारादीप हाईवे से गुजरते समय उन्होंने एक रोड एक्सीडेंट देखा. एक ट्रक और मोटरसाइकिल की भिडंत हो गई थी. जिसमें मोटरसाइकिल सवार दो युवक बुरी तरह से घायल हो गए थे. पंकज ने देखा कि दुर्घटना स्थल पर भीड़ जमा है लेकिन कोई भी उन दो युवकों की मदद करने की कोशिश नहीं कर रहा है. 

पंकज कुछ कर पाते उससे पहले ही दोनों युवकों ने दम तोड़ दिया. इस घटना ने पंकज को अंदर तक हिला दिया और उन्होंने फैसला किया कि वह कभी किसी की मदद करने से पीछे नहीं हटेंगे. 16 सालों से लगातार लोगों की मदद कर रहे पंकज ने अपने ‘देवदूत संगठन’ की शुरुआत की. 

और भी लोग आ रहे हैं आगे: 

शुरुआत में पंकज अकेले ही लोगों की मदद करते थे. लेकिन पिछले कुछ सालों में और भी लोग उनके साथ जुड़ गए हैं. जिनमें स्थानीय वॉलंटियर, युवा, सरपंच, पंचायत समितियां, पुलिसकर्मी आदि शामिल हैं. उन्होंने इन सभी लोगों को एक प्लेटफॉर्म से जोड़ने के लिए ‘देवदूत’ की शुरुआत की. 

आज उनकी 25 लोगों की टीम अलग-अलग जगहों पर काम कर रही है. जैसे ही कहीं दुर्घटना का उन्हें पता चलता है, वे तुरंत मौके पर पहुंचकर घायलों को सबसे पहले अस्पताल पहुंचाते हैं. उनकी कोशिश यही रहती है कि जितना जल्दी हो सके घायलों को मेडिकल केयर मिले.

इस काम के बदले पंकज और उनकी टीम को पैसे नहीं लेती है. बल्कि पंकज अपनी कमाई का 25% हिस्सा इस नेक काम में लगते हैं. उनकी इस नेक पहल ने सैकड़ों परिवारों को उजड़ने से बचाया है. 

बहुत से लोगों के लिए आज पंकज और उनके साथी उनके परिवार का हिस्सा हैं. क्योंकि आज वे पंकज के कारण जीवित हैं और अपने परिवार के साथ खुशहाल जीवन बिता रहे हैं. बेशक, आज के समय में पंकज किसी ‘देवदूत’ से कम नहीं हैं.