

उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के छोटे से गांव रूनीखेत से एक ऐसी कहानी सामने आई है, जो न सिर्फ प्रेरणादायक है, बल्कि देश सेवा के मायनों को एक नया दृष्टिकोण भी देती है. यहां रहने वाले रिटायर्ड ऑनरेरी कैप्टन नारायण सिंह उन्यूणी ने अपने जीवन का उद्देश्य युवाओं को भारतीय सेना में भर्ती कराने के लिए समर्पित कर दिया है. उन्होंने अब तक 200 से अधिक युवाओं को मुफ्त में ट्रेनिंग देकर फौज में भर्ती करवाया है.
उनकी इस सेवा भावना और राष्ट्र के प्रति समर्पण को राज्यपाल ने प्रशंसा पत्र देकर सम्मानित किया है. जिलाधिकारी आशीष भटगांई द्वारा यह प्रशंसा पत्र उन्हें प्रदान किया गया, जिसमें राज्यपाल ने उनके कार्यों की खुलकर सराहना की.
फौजी जज्बा से भरा दूसरा जीवन
कैप्टन नारायण सिंह भारतीय सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद भी अपने अंदर के सैनिक जज्बे को मरने नहीं दिया. उन्होंने ठान लिया कि गांव और आसपास के इलाके के युवाओं को नशे से दूर रखकर उन्हें एक लक्ष्य की ओर बढ़ाया जाए – भारतीय सेना में भर्ती का लक्ष्य.
पूर्व सैनिक कैप्टन नारायण सिंह कहते हैं, "मैंने देखा कि गांव के कई युवा गलत दिशा में जा रहे हैं, कोई नशे की गिरफ्त में है, कोई बेरोजगारी से परेशान है. मैंने सोचा क्यों न इन्हें दिशा दी जाए. मैंने अपने घर के पास ही एक छोटा सा मैदान तैयार किया और युवाओं को फौज की तरह ट्रेनिंग देना शुरू कर दिया."
कैसा होता है यह प्रशिक्षण?
कैप्टन नारायण सिंह युवाओं को न केवल शारीरिक रूप से बल्कि मानसिक रूप से भी तैयार करते हैं. उनके ट्रेनिंग कैंप में सुबह 4 बजे से दौड़, टायर खींचना, रस्सी चढ़ना, और यहां तक कि आग के गोले से गुजरना जैसी कठिन एक्सरसाइज शामिल होती हैं.
वह युवाओं को नशे से दूर रहने और अनुशासित जीवन जीने की भी सीख देते हैं. उनका कहना है कि फौज में जाने के लिए सिर्फ ताकत नहीं, बल्कि आत्मनियंत्रण और देशभक्ति भी जरूरी है.
200 से ज्यादा युवा बन चुके हैं फौजी
उनकी ट्रेनिंग में अब तक 200 से अधिक युवक भारतीय सेना, अर्धसैनिक बलों और पुलिस बल में शामिल हो चुके हैं. इनमें से कई अब देश के अलग-अलग हिस्सों में तैनात हैं और अपने गुरु को अपना मार्गदर्शक मानते हैं.
पूर्व सैनिक रमेश भंडारी कहते हैं, "नारायण सिंह जी ने जिस तरह से नि:स्वार्थ भाव से युवाओं को तैयार किया है, वह असाधारण है. उन्हें साल 2022 में नागरिक मंच बागेश्वर द्वारा नागरिक सम्मान भी मिल चुका है. और अब राज्यपाल द्वारा प्रशंसा पत्र मिलना उनके कार्यों की बड़ी पहचान है."
सरकार भी मानती है लोहा
बागेश्वर के जिलाधिकारी आशीष भटगांई ने भी कैप्टन नारायण सिंह को राज्यपाल की ओर से प्रशंसा पत्र देकर सम्मानित किया और उनके कार्यों की भरपूर सराहना की.
जिलाधिकारी आशीष भटगांई का कहना है, "नारायण सिंह जी के प्रयासों से न केवल गांव के युवा सशक्त हो रहे हैं, बल्कि यह राष्ट्र निर्माण की दिशा में एक अद्भुत पहल है. प्रशासन उनकी हर संभव सहायता करेगा."
क्या कहते हैं युवा?
कैप्टन नारायण सिंह के प्रशिक्षण से सेना में चयनित हुए युवा बताते हैं कि उनका जीवन पूरी तरह बदल गया है. राकेश सिंह, जो अब जम्मू-कश्मीर में तैनात हैं, कहते हैं, "अगर कैप्टन साहब ना होते तो शायद मैं अब भी बेरोजगार होता. उन्होंने मुझे सिर्फ सेना में भर्ती ही नहीं कराया, बल्कि जीने का तरीका सिखाया."
आज जब कई युवा नशे और बेरोजगारी के अंधेरे में खोते जा रहे हैं, ऐसे में कैप्टन नारायण सिंह जैसे लोग एक जीवंत उम्मीद की तरह सामने आते हैं. उन्होंने न केवल फौजी जीवन जिया, बल्कि दूसरों को भी वो रास्ता दिखाया.
(जगदीश चंद्र पांडेय की रिपोर्ट)