मेघालय में सोमवार सुबह भूकंप के झटके महसूस किए गए. नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी के मुताबिक, भूकंप के झटकों की तीव्रता 4.0 थी. ये झटके सोमवार सुबह 6 बजकर 32 मिनट पर महसूस किए गए. अच्छी बात ये रही कि इन झटकों से किसी भी तरह का नुकसान नहीं हुआ है. इससे पहले चेरापूंजी में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए थे.
ये कोई पहली या दूसरी बार नहीं है जब भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. बता दें कि भारत भूकंप की चपेट में आने वाले देशों की लिस्ट में 8वें नंबर पर आता है. भारत में हर साल कम से कम 96 बार 8.0 की तिव्रता से भूकंप के झटके आते हैं. देश में 2050 तक गुवाहटी, श्रीनगर , दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, पुणे, कोच्ची, कोलकाता, पटना, तिरूवंतपुरम में भूकंप के सबसे ज्यादा झटके आने की चेतावनी दी गई है. ऐसे में ये जायज सवाल है कि आखिर ये भूकंप होता है, ये कैसे आता है और इस मुसीबत से कैसे बचा जा सकता है. आईये जानते हैं .
ये बात सबको पता है कि हमारी धरती लगातार घूमती रहती है. धरती के घूमने का ऑबजेक्ट 7 प्लेटस होते हैं, घूमने के दौरान ये सातों प्लेटस आपस में टकराती भी हैं. जिससे इन सभी प्लेटस के कोने मुड़ने लगते हैं, एक समय ऐसा भी आता है जब ये प्लेटस दबाव की वजह से टूट जाते हैं तब धरती की ऊर्जा बाहर निकलने की कोशिश करती है लेकिन प्लेटस के टूटे होने की वजह से रफ्तार बिगड़ती है और फिर भूकंप जैसे हालात बनने लगते हैं.
भूकंप आने की दूसरी वजहें भी जान लीजिए
भूकंप की घटना प्राकृतिक या धरती पर इंसानों के रहन- सहन और धरती पर कर रहे उनके कारनामों की वजह से भी आ सकता है. इन वजहों में मीथेन गैसों का ज्यादा मात्रा में निकलना भी एक बड़ी वजह माना जाता है.
कैसे मापा जाता है भूकंप?
3 या कम रिक्टर तीव्रता का भूकंप भयंकर नहीं माना जाता, वहीं 7 रिक्टर की तीव्रता का भूकंप बड़े क्षेत्रों में भी तबाही ला सकता है. झटकों की तीव्रता का मापन विकसित मरकैली पैमाने पर किया जाता है
ऐसे समझें इस पैमाने को
0 से 1.9 के बीच- इसका पता सिज्मोग्राफ से ही चलता है.
2 से 2.9 के बीच- हल्का कंपन होता है.
3 से 3.9 के बीच-
4 से 4.9 के बीच- दिवार पर टंगी फ्रेम हिलने लगती है
5 से 5.9 के बीच- इमारतों में दरार पैदा हो जाती है, मंजिलों में दरार पैदा हो जाती है.
7 से 7.9 के बीच- जमीन में दरारें आ जाती हैं, इमारतें गिरने लगती हैं.
8 से 8.9 के बीच- सुनामी का खतरा बनता है
9 या इससे ज्यादा- सबसे ज्यादा तबाही , धरती लहराते हुए दिखने लगती है.
ऐसे करें बचाव
- बनवाने से पहले ये तय करें कि आपका घर सुरक्षित स्थान पर है
-समय-समय पर आपदा प्रबंधन से घर की देकबाल कराएं.
-आपदा की किट बनाएं जिसमें रेडियो, जरूरी कागज, मोबाइल, टार्च, माचिस, मोमबत्ती, चप्पल, कुछ रुपये व जरूरी दवाएं घर पर जरूर रखें.
- भूकंप आने पर घर के बिजली और गैस बंद कर दें
-भूकंप के दौरान टेबल, पलंग या मजबूत फर्नीचर के नीचे छुप जाएं
- आप फर्नीचर को भी कस कर पकड़ सकते हैं.
-भूकंप के समय लिफ्ट का इस्तेमाल बिलकुल ना करें.