
भारत सरकार की ओर से पवित्र नदी गंगा को साफ करने लेकर चलाई जाने वाली 'नमामि गंगे' परियोजना की दुनिया कायल है. संयुक्त राष्ट्र ने नमामि गंगे परियोजना को 10 अभूतपूर्व प्रयासों में शामिल किया है जिन्होंने प्राकृतिक दुनिया को बहाल करने को लेकर अहम भूमिका निभाई. इसको लेकर संयुक्त राष्ट्र जैव विविधता सम्मेलन (COP15) के दौरान एक रिपोर्ट जारी की गई है.
कनाडा के मान्ट्रियल में जैव विविधता पर संयुक्त राष्ट्र की संधि के लिए पक्षकारों के सम्मेलन की 15वीं बैठक (सीओपी15) चल रही है. इन परियोजनाओं को संयुक्त राष्ट्र द्वारा परामर्श और वित्त पोषण दिया जाएगा. इन्हें पारिस्थतिकी बहाली पर संयुक्त राष्ट्र दशक के बैनर तले चुना गया है जो संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम और संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन द्वारा समन्वित वैश्विक आंदोलन है.
संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि इसे धरती के प्राकृतिक स्थानों के क्षरण को रोकने के लिए बनाया गया है. उसने कहा कि इन 10 परियोजनाओं का उद्देश्य 6.8 करोड़ हेक्टेयर से अधिक प्राकृतिक स्थान को बहाल करना है. संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के कार्यकारी निदेशक इंगर एंडरसन ने कहा कि प्रकृति के साथ हमारे संबंधों में बदलाव, जलवायु संकट, प्रकृति और जैवविविधता के क्षरण, प्रदूषण तथा कचरे के तिहरे संकट से निपटने के लिए अहम है.
प्रदूषण से गंगा क्षेत्र का क्षरण हुआ है
संयुक्त राष्ट्र ने एक बयान में कहा कि गंगा नदी पुनर्जीवन परियोजना में गंगा के मैदानी हिस्सों की सेहत बहाल करना प्रदूषण कम करने, वन्य क्षेत्र का पुन: निर्माण करने तथा इसके विशाल तलहटी वाले इलाकों के आसपास रह रहे 52 करोड़ लोगों को व्यापक फायदे पहुंचाने के लिए अहम है. इसमें कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण में वृद्धि, औद्योगिकीकरण और सिंचाई ने हिमालय से बंगाल की खाड़ी तक 2,525 किलोमीटर तक फैले गंगा क्षेत्र का क्षरण किया है.
2030 तक 1,34,000 हेक्टेयर भूमि का वनीकरण है लक्ष्य
सरकार की 2014 में शुरू ‘नमामि गंगे’ योजना गंगा और उसकी सहायक नदियों के मैदानी हिस्सों के पुनर्जीवन और संरक्षण, गंगा बेसिन के कुछ हिस्सों के वनीकरण और सतत कृषि को बढ़ावा देने की पहल है. संयुक्त राष्ट्र ने बताया कि इस परियोजना का उद्देश्य अहम वन्यजीव प्रजातियों को पुनर्जीवित करना भी है. अभी तक 4.25 अरब डालर के निवेश वाली इस पहल में 230 संगठन शामिल हैं. इसके अलावा अभी तक 30,000 हेक्टेयर जमीन का वनीकरण किया जा चुका है और 2030 तक 1,34,000 हेक्टेयर भूमि का वनीकरण करने का लक्ष्य है.