गुजरात के गरबा को यूनेस्को ने अंतरराष्ट्रीय पहचान देते हुए अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर घोषित किया है. यह भारतीयों के लिए गर्व की बात है. यूनेस्को ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट से देश को बधाई देते हुए लिखा कि 'अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर की सूची में एक नया नाम: गुजरात का गरबा'.
गुजरात की शान है गरबा
मुख्य रूप से गुजरात में किया जाने वाला गरबा एक भक्तिपूर्ण नृत्य है, जो नवरात्रि के शुभ अवसर पर किया जाता है. इस दौरान मां अंबा को प्रसन्न करने के लिए यह नृत्य किया जाता है. गरबा के दौरान लाखों की संख्या में लोग एकजुट होते हैं और हर्षोल्लास के साथ गरबा नृत्य करते हैं. वर्तमान समय में गुजरात के साथ-साथ देश के कई हिस्सों में नवरात्रि के दौरान बड़े स्तर पर गरबा नृत्य का आयोजन होता है और इस आयोजन में शामिल होने के लिए कई दिन पहले से तयारी शुरू हो जाती है.
बोत्सवाना में किया गया ऐलान
मंगलवार को दक्षिण अफ्रीकी देश बोत्सवाना में अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिए बनाई गई यूनेस्को की अंतर सरकारी समिति की 18वीं बैठक शुरू हुई. इस दौरान अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिए 2003 कन्वेंशन के तहत गरबा डांस को यूनेस्को की सूची में शामिल करने का ऐलान किया गया.
गरबा सामाजिक और लैंगिक समावेशिता को देता है बढ़ावा
यूनेस्को की तरफ से जारी बयान में गरबा डांस को लेकर कहा गया, गुजरात का गरबा सांस्कृतिक धरोहर सूची में शामिल होने के मामले में भारत की 15वीं आईसीएच प्रविष्टि है. सूची में शामिल किया जाना एकीकृत शक्ति के रूप में गरबा की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है. गरबा सामाजिक और लैंगिक समावेशिता को बढ़ावा देता है.
यूनेस्को ने स्वीकार किया कि एक डांस शैली के रूप में गरबा विधि-विधान या कर्मकांड और भक्ति की जड़ों में गहराई से समाया हुआ है. इसमें कई देशों के लोग शामिल हैं. यूनेस्को के अनुसार, जीवन के सभी क्षेत्रों में गरबा समुदायों को एक साथ लाने वाली एक जीवंत परंपरा के रूप में विकसित हो रही है. यूनेस्को के बयान के अनुसार, गरबा सामाजिक समानता को बढ़ावा देता है. इस डांस फॉर्म में हाशिए पर रहने वाले समुदायों के शामिल होने से सामाजिक बंधन मजबूत हो रहे हैं.
पीएम मोदी को है श्रेय
गुजरात में गरबा में आयोजनों का इतिहास काफी पुराना है, लेकिन गुजरात के गरबा को देश और दुनिया में चर्चा तब मिली जब राज्य की कमान बतौर सीएम नरेंद्र मोदी ने संभाली. उन्होंने वाइब्रेंट गुजरात समिट जैसे बड़े मौकों पर भी गुजरात के सांस्कृतिक नृत्य को शोकेस किया. इतना ही नहीं उन्होंने बड़े पैमाने पर गरबा आयोजनों को बढ़ावा दिया. इन्हें उन्होंने नवरात्रि गरबा महोत्सव का नाम दिया. इसके बाद पिछले दो दशकों में गुजरात के गरबा को ज्यादा प्रसिद्धि मिली.
यूनेस्को की धरोहर सूची में इन्हें किया जा चुका है शामिल
भारत की परंपराओं और संस्कृति से जुड़ी रामलीला, वैदिक मंत्र, कोलकाता की दुर्गा पूजा, पंजाब के जंडियाला गुरु के ठठेरों के पारंपरिक पीतल और तांबे के बर्तन बनाने के शिल्प, नवरोज उत्सव, कुंभ मेला को पहले ही यूनेस्को की धरोहर सूची में शामिल किया जा चुका है.
संस्कृति मंत्री ने दी देश को बधाई
केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी ने यूनेस्को के फैसले का स्वागत करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर देश को बधाई देते हुए लिखा है कि 'बधाई हो भारत' साथ ही इसी ट्वीट को गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने भी कोट करते हुए अपनी खुशी जाहिर की है. जी किशन रेड्डी ने अपने ट्वीट में लिखा कि यह पूरे भारत के लिए गौरव का क्षण है. गुजरात के गरबा को यूनेस्को ने अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में शामिल किया है. यह प्रतिष्ठित दर्जा पाने वाला भारत का 15वां प्रतिनिधि है.
प्रधानमंत्री का जताया आभार
केंद्रीय मंत्री रेड्डी आगे लिखते हैं कि गरबा एक परंपरा है, जो भौगोलिक सीमाओं से परे है. यह भक्ति, उत्सव, लैंगिक समावेश्ता और सामाजिक समानता है. यूनेस्को की ओर से गरबा को अमूर्त विरासत में घोषित किए जाने पर रेडी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी आभार व्यक्त करते हुए लिखा है कि गरबा का आईसीएच में शामिल होना, माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हमारी समृद्ध संस्कृति परंपरा और विरासत को दुनिया के सामने प्रदर्शित करने के लिए इस सरकार ने अथक प्रयासों का प्रमाण है. इसके साथ गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने प्रधानमंत्री मोदी का आभार व्यक्त करते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद! उनके नेतृत्व में भारत की सदियों पुरानी विरासत और संस्कृति को वैश्विक मंच पर नई पहचान मिल रही है.