संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) ने विश्व विरासत की सूची में भारत के शांतिनिकेतन को शामिल किया है. भारतीयों के लिए यह गौरव का क्षण है. एक दशक चले अभियान के बाद यूनेस्को ने शांतिनिकेतन को विश्व धरोहर के रूप में मान्यता दी है. नोबेल पुरस्कार विजेता रबींन्द्रनाथ टैगोर के घर शांतिनिकेतन को विश्व धरोहर के रूप में मान्यता देना सभी भारतीयों के लिए गौरव का क्षण है.
यूनेस्को ने दी बधाई
रविवार को यूनेस्को ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स ( पूर्व में ट्विटर ) पर इसका एलान किया. वैश्विक संस्था ने लिखा कि यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में नया नाम भारत के शांतिनिकेतन का है, बधाई. गौरतलब है कि भारत लंबे समय से बंगाल के बीरभूम जिले में स्थित शांतिनिकेतन को यूनेस्को की सूची में शामिल कराने की कोशिश कर रहा था.
पीएम नरेंद्र मोदी ने व्यक्त की खुशी
शांतिनिकेतन को यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुशी व्यक्त की. उन्होंने कहा कि खुशी है कि गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के दृष्टिकोण और भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के प्रतीक शांतिनिकेतन को यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया है. यह सभी भारतीयों के लिए गर्व का क्षण है.
शांतिनिकेतन का इतिहास
सन 1863 में नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर के पिता महर्षि देवेंद्रनाथ टैगोर ने 7 एकड़ जमीन पर एक आश्रम की स्थापना की थी. वहीं आज विश्वभारती है. रवीन्द्रनाथ ने 1901 में सिर्फ पांच छात्रों को लेकर यहां एक स्कूल खोला. इन पांच लोगों में उनका अपना पुत्र भी शामिल था. 1921 में राष्ट्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा पाने वाले विश्वभारती में इस समय लगभग 6 हजार छात्र पढ़ते हैं. इसी के आस-पास शांतिनिकेतन बसा है.