कोरोना महामारी के चलते बंद हुए स्कूलों को खोलने की मांग अब उठने लगी है. इसके चलते केंद्र ने कोविड के मामलों में लगातार गिरावट के मद्देनजर स्कूलों को फिर से खोलने का फैसला किया है. इसी कड़ी में आज स्वास्थ्य और सुरक्षा प्रोटोकॉल के लिए संशोधित दिशा निर्देश जारी किए गए हैं. जिसके तहत ये फैसला लिया गया है कि स्कूलों को शारीरिक कक्षाओं के लिए माता-पिता से सहमति मांगनी है या नहीं इस बात का फैसला सभी राज्य के हाथों में होगा.
राज्यों को ही लेना होगा फैसला
शिक्षा मंत्रालय ने आज कहा कि 11 राज्यों में स्कूल पूरी तरह से खुले हैं जबकि नौ में बंद हैं. भारत के कोविड टास्क फोर्स के प्रमुख डॉ वीके पॉल ने आज कहा, "स्कूल फिर से खोलना एक चिंता का विषय रहा है। समय-समय पर व्यापक सलाह जारी की गई है ... अंतिम निर्णय राज्यों के पास हैं." उन्होंने आगे कहा कि, "हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि स्कूल एसओपी के अनुसार खोले जाएं क्योंकि हम अभी भी एक महामारी में हैं। एसओपी को लागू करके, हम सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं. हालांकि राष्ट्र चिंतित है कि बच्चों की पढ़ाई को नुकसान पहुंच रहा है और स्कूलों को जल्द से जल्द फिर से खोलना चाहिए. हम अब एक लंबा सफर तय कर चुके हैं और शिक्षकों को भी टीका लगाया जा चुका है लेकिन हमें अभी भी एसओपी का पालन करना है."
तेज है टीकाकरण की रफ्तार
मंत्रालय ने बताया कि 16 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने 100 प्रतिशत पहली खुराक टीकाकरण कवरेज हासिल कर लिया है, और चार राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों में 96-99 प्रतिशत के बीच है. देश के 34 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में मामलों में गिरावट और सकारात्मकता दर दर्ज की जा रही है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने आज कहा, "भारत में पिछले 14 दिनों में दैनिक नए मामलों में लगातार कमी देखी जा रही है. दैनिक सक्रिय मामलों की संख्या भी तेजी से घट रही है." देश में पिछले 24 घंटों में 1,72,433 दैनिक नए मामले दर्ज किए गए हैं.
अभिभावक कर रहे स्कूल खोलने की मांग
कई माता-पिता और शिक्षक मांग कर रहे हैं कि स्कूलों को शारीरिक कक्षाओं के लिए फिर से खोला जाए. कई अभिभावक ऑनलाइन कक्षाओं के पक्ष में नहीं हैं. यहां तक जो माता-पिता आर्थिक रूप से सक्षम नहीं हैं वो भी अपने बच्चों को इंटरनेट और स्मार्ट उपकरणों की सुविधा नहीं दे पा रहे हैं, जिस कारण बच्चों की पढ़ाई में काफी नुकसान हो रहा है.
सोशल डिस्टेंसिंग नहीं फिजिकल डिस्टेंसिंग
केंद्र के अनुसार "सोशल डिस्टेंसिंग" वाक्यांश को अब "फिजिकल डिस्टेंसिंग" से बदल दिया जाएगा. क्योंकि कई लोगों ने महसूस किया कि इसके नकारात्मक अर्थ हैं जो संकट के समय सामाजिक एकजुटता को प्रभावित कर सकते हैं.
राज्यों ने जारी की एसओपी
राज्यों द्वारा जारी एसओपी के अनुसार छात्रों के इकट्ठा होने और जमा होने की भी अनुमति दी गई है. वहीं शिक्षा मंत्रालय ने कतारों को प्रबंधित करने और स्कूल परिसर में शारीरिक दूरी सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त दूरी पर विशिष्ट चिह्नों को भी अनिवार्य किया है. वहीं पहले से ही बीमारी के शिकार हो चुके बच्चों के लिए आवश्यक सावधानी बरतने की जरूरत है और स्कूल के वाहन चालकों और कंडक्टरों को वाहनों में चढ़ने की अनुमति नहीं दी जाएगी, जो कंटेनमेंट जोन में रहते हैं.
केंद्र ने जारी किए ये आदेश
केंद्र के आदेशों के अनुसार छात्रों के बीच कम से कम 6 फीट की दूरी बनाए रखना बेहद जरूरी है. स्टाफ रूम, ऑफिस एरिया, असेंबली हॉल और अन्य कॉमन एरिया में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा. जिन स्कूलों में सोशल डिस्टेंसिंग संभव नहीं है, वहां स्कूल के कार्यक्रम नहीं करेंगे. सभी छात्र और कर्मचारी फेस कवर/मास्क पहन कर स्कूल पहुंचें और इसे पूरे समय पहने रहें. पीएम पोशन (मिड-डे मील) के वितरण के दौरान सामाजिक दूरी बनाए रखें. छात्रावासों में बिस्तरों के बीच पर्याप्त दूरी सुनिश्चित करें. छात्रावासों में हर समय सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा. प्रत्येक बोर्डर के ठहरने से पहले उसकी स्कैनिंग की जानी चाहिए. अगर माता-पिता चाहते हैं तो ऐसे में छात्रों को घर से पढ़ने की अनुमति दी जा सकती है.