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ट्रेन में लगे पंखे की क्यों नहीं हो सकती चोरी...रेलवे ने इसके लिए निकाला यूनीक आइडिया

असल में विशेष तरीके से चलने के लिए इन पंखों का निर्माण किया गया है. आम तौर पर बिजली के उपकरण एसी (अल्टरनेटिव करेंट) और डीसी (डायरेक्ट करेंट) पर ही चलते हैं. घर में अल्टरनेटिव करेंट पर ही सभी उपकरणों को चलाया जाता है.

Why fan in train cannot be stolen Why fan in train cannot be stolen
हाइलाइट्स
  • एलर्ट सिस्टम से मिलती है जानकारी 

  • विशेष तकनीक से बनते हैं ये पंखे 

ट्रेन में सफर करने के दौरान ट्रेन के पंखों को देखा होगा. कई बार ये खबरे सामने आती है कि रेलवे का सामान चोरी हो गया है. लेकिन इस बारे में एक बात जान कर आप हैरान रह जाएंगे कि ट्रेन में लगे पंखे चोरी नहीं हो सकते. मान लीजिए इनकी चोरी अगर हो भी जाती है तो ट्रेन से निकलकर ये किसी काम के नहीं रहते हैं यानी जब तक ये पंखे ट्रेन में तब तक ही चलेंगे कैसे जरा समझिए रेलवे के पंखों की इस अदभुत प्रणाली को - 

विशेष तकनीक से बनते हैं ये पंखे 
असल में विशेष तरीके से चलने के लिए इन पंखों का निर्माण किया गया है. आम तौर पर बिजली के उपकरण एसी (अल्टरनेटिव करेंट) और डीसी (डायरेक्ट करेंट) पर ही चलते हैं. घर में अल्टरनेटिव करेंट पर ही सभी उपकरणों को चलाया जाता है वही अगर डायरेक्ट करेंट यानी डीसी की बात करें तो इसमें कम पॉवर के बिजली उपकरणों को चलाया जाता है जिसमे 5 वॉल्ट से लेकर 24 वॉल्ट से जुड़े बिजली के सामान या चार्जिंग उपकरणों को इससे जोड़ा जा सकता है लेकिन अगर बात ट्रेन में लगे पंखे की करें तो ये सभी बिजली उपकरणों से अलग है. इसको विशेष तौर पीआर डीसी में 110 वोल्ट पर चलने के लिए तैयार किया गया है यानी ये पंखे कभी भी घर में नहीं चल पाएंगे इसलिए इसकी चोरी बेकार है. 

एलर्ट सिस्टम से मिलती है जानकारी 
ट्रेन में इन पंखों को 3-3 की लाइन में लगाते हैं. हर कोच में 3 पंखे सामने की तरफ और दो पंखे दूसरी तरफ होते हैं. ऐसे में अगर एक भी पंखे का तार अगर काट भी दिया जाए या उसके साथ छेड़छाड़ की जाए तो बाकी पंखे भी चलने बंद हो सकते हैं.  यह रेलवे का एक तरह का अलर्ट सिस्टम है जिससे यात्री तुरंत इसकी जानकारी या शिकायत करा सकता है. 

रेलवे ने बनाए नियम
हालांकि पिछले कुछ सालों में रेलवे में चोरी को लेकर लगातार सख्ती बरतते देखा गया है. रेलवे को राष्ट्रीय संपत्ति माना जाता है और इसको नुकसान पहुंचाने वालों पर धारा 380 के तहत कार्यवाही का प्रावधान भी है जिसमें 7 साल तक की सजा और जुर्माना शामिल है.