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Innovation: छात्रों को अनोखा इनोवेशन, दिव्यांगों के लिए बनाई खास व्हीलचेयर, कर सकते हैं आवाज से कंट्रोल

बाबा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंसेज के छात्रों ने विकलांग व्यक्तियों के लाभ के लिए आवाज, स्विच और मैनुअल कंट्रोल वाली एक व्हीलचेयर तैयार की है. 100 किलो की वजन क्षमता वाली व्हीलचेयर, बाएं, दाएं, आगे, पीछे और स्टॉप जैसे दिशात्मक आदेशों के लिए आवाज नियंत्रण क्षमताओं से लैस है.

Wheelchair (Representative Image) Wheelchair (Representative Image)

इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम के अंतिम वर्ष की शुरुआत हुई, बाबा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंसेज (BITS)के छात्र नुकेश और उनके साथियों ने कुछ नया करने का मन बनाया. सभी इंजीनियरिंग छात्रों की तरह, उन्हें एक ऐसी परियोजना शुरू करने का काम सौंपा गया था जो उनके इनोवेशन स्किल्स को प्रदर्शित करे. उत्साहित छात्रों ने फैसला किया कि वो कुछ ऐसी चीज तैयार करेंगे जिससे की समाज को फायदा हो. 

क्या-क्या हैं सुविधाएं
विशाखापट्टनम के बाबा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंसेज के छात्रों ने विकलांग व्यक्तियों के लाभ के लिए आवाज, स्विच और मैनुअल कंट्रोल वाली एक व्हीलचेयर तैयार की. 100 किलो की वजन क्षमता वाली व्हीलचेयर, बाएं, दाएं, आगे, पीछे और स्टॉप जैसे दिशात्मक आदेशों के लिए आवाज नियंत्रण क्षमताओं से लैस है. इसके अलावा, इसमें एक हैंड रेस्ट पर स्थित स्विच की सुविधा है, जिससे चेयर पर बैठा व्यक्ति आगे, पीछे, बाएं और दाएं घूमने के लिए कमांड दे सकता है. इसके अलावा, अगर जरूरत पड़े तो इसे मैन्युअल रूप से भी चलाया जा सकता है. उनके विचारों को फलीभूत करने के लिए दो टीमों के सहयोग की आवश्यकता थी. जिसमें से एक टीम सॉफ्टवेयर विकास पर केंद्रित है और दूसरी हार्डवेयर कार्यान्वयन पर. छात्रों ने अपनी अवधारणा को अंतिम रूप देने से पहले बड़े पैमाने पर शोध किया, YouTube वीडियो और ऑनलाइन संसाधनों को छान मारा. 

खुद कर सकेंगे कंट्रोल
टीम की प्रेरणा को साझा करते हुए, प्रोजेक्ट को लीड कर रहे नुकेश ने इंडियन एक्सप्रेस के हवाले से कहा, "नॉर्मल जो व्हीलचेयर होती है उसे चलाने के लिए उस पर बैठे व्यक्ति को अक्सर किसी अन्य व्यक्ति से सहायता की आवश्यकता होती है, जिससे उनकी स्वतंत्रता सीमित हो जाती है. इस प्रकार, हमने कई कार्यों के साथ एक व्हीलचेयर की कल्पना की, जो इसे कम विशेषाधिकार प्राप्त लोगों के लिए सस्ती और सुलभ बनाती है.

आम तौर पर, इस प्रकार के कई सुविधाओं वाले व्हीलचेयर की कीमत न्यूनतम 1 लाख रुपये और उससे अधिक होती है. अपनी यात्रा शुरू करने के लिए, छात्रों ने बाजार से एक मानक व्हीलचेयर खरीदी और उसी में ये सुविधाएं देने के लिए मोडिफिकेशन किया. छह महीने तक उस पर काम के बाद, उन्होंने सफलतापूर्वक एक प्रोटोटाइप का निर्माण किया जो उनके फाइनल प्रोडक्ट की नींव के रूप में कार्य करता है.

कितना आया खर्चा?
उन्होंने अगले छह महीनों तक इस पर काम किया और जो सुधार की जरूरत पड़ी वो किया. रास्ते में चुनौतियों का सामना करने के बावजूद, जैसे कि गति को अनुकूलित करना, भार वहन करने की क्षमता और आवाज नियंत्रण पर काम करने के साथ टीम अटूट दृढ़ संकल्प के साथ बनी रही. प्रोटोटाइप के निर्माण की प्रारंभिक लागत लगभग 30,000 रुपये थी. लेकिन बाद में इसे बनाने में केवल 25,000 रुपये का खर्चा आएगा.अपनी रचना के महत्व को पहचानते हुए, छात्रों ने अपनी बौद्धिक संपदा की सुरक्षा के लिए कदम उठाए हैं. उन्होंने पेटेंट अधिकारों के लिए आवेदन किया है और इसकी मंजूरी का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं.