चाय बेचने वाले से लेकर भारत के पीएम बनने तक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जीवन की कहानी किसी फिल्म से कम नहीं है. वैसे तो पीएम मोदी देश के प्रधानमंत्री हैं, इस कारण उनके बारे में सभी छोटी-बड़ी बातें, सभी को पता हैं. लेकिन अभी भी कुछ चीजें ऐसी हैं जो शायद आप उनके बारे में नहीं जानते होंगे. 17 सितंबर को हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपना 72वां जन्मदिन मनाएंगे. इस दिन के उपलक्ष्य में हम आपको उनके बारे में कुछ रोचक तथ्य बताने जा रहे हैं.
अरेंज मैरिज करने से किया इनकार
मोदी हमेशा से ही अपने फैसलों पर अडिग रहने वाले रहे हैं. आज की तरह युवा नरेंद्र मोदी भी काफी विद्रोही थे. यही वजह थी, कि मां-बाप ने कम उम्र में उनकी शादी करने का फैसला किया तो वो अपने माता-पिता के खिलाफ खड़ा हो गए. दरअसल मां-बाप उनकी शादी पास की ही एक लड़की से करना चाहते थे. इस फैसले में मोदी के सामने कई सारी परेशानियां आईं लेकिन वह अपने फैसले पर कायम रहे और अकेले जीवन जीने का फैसला किया.
13 सालों में नहीं ली एक भी छुट्टी
काम में छुट्टी लेना सभी के लिए जरूरी है, हम सभी छुट्टी लिए बिना काम करने की कल्पना भी नहीं ले सकते. लेकिन पीएम मोदी हम सब से काफी अलग हैं. नरेंद्र मोदी वर्कहॉलिक हैं; ये बात हम सभी जानते हैं कि लेकिन क्या आप जानते हैं कि वह अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता पर काम करने के अलावा और कुछ नहीं रखते हैं. इसलिए ही; गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में अपनी 13 साल की सेवा के दौरान उन्होंने कभी छुट्टी नहीं ली और न ही कभी बीमार पड़े.
फोटोग्राफी के शौकीन हैं नरेंद्र मोदी
बहुत कम लोग जानते हैं कि नरेंद्र मोदी को कविताएं लिखने और फोटोग्राफी करने का शौक है. वह अपनी मातृभाषा गुजराती में लिखते हैं और कुछ किताबें भी लिखी है. उन्हें तस्वीरें क्लिक करना पसंद है और उन्हें फोटोग्राफी का बहुत शौक है. अपनी क्लिक की हुई तस्वीरों का उन्होंने एक सुंदर कलेक्शन भी इकट्ठा कर रखा है.
शराब का सेवन कभी नहीं किया
मोदी एक आध्यात्मिक व्यक्ति हैं और एक स्वस्थ और सरल जीवन जीते हैं. वह न तो धूम्रपान करते है और न ही किसी अन्य किसी प्रकार के नशे का सेवन करते है. इसके अलावा, वह एक सख्त शाकाहारी भोजन का पालन करते हैं और हर सुबह बिना स्किप किए योग का अभ्यास करते हैं.
बीच में छोड़ दी थी कॉलेज की पढ़ाई
अपने जीवन की वर्तमान स्थिति से नाराज मोदी ने सभी सांसारिक चीजों को छोड़ने और अपना जीवन धार्मिक गतिविधियों के लिए समर्पित करने का फैसला किया. उस समय, उन्होंने अपना कॉलेज भी छोड़ दिया, अपना सामान पैक किया और घर से कोलकाता के बेलूर मठ की यात्रा करने के लिए रवाना हुए, जहां उन्होंने आश्रय लिया. बाद में 28 साल की उम्र में 1978 में उन्होंने डीयू से ग्रेजुएशन किया.