18वीं लोकसभा के पहले संसद सत्र का आगाज हो चुका है. सत्र के पहले दिन 266 सांसदों ने शपथ ली. बाकी बचे सांसदों ने मंगलवार (25 जून) को शपथ ली. सदस्यता ग्रहण के बाद सांसदों ने कुछ ऐसे नारे भी लगाए जो सियासी बवाल का कारण बना. हैदराबाद से सांसद चुनकर आए असदुद्दीन ओवैसी ने शपथ के बाद 'जय फलस्तीन' का नारा लगाया तो वहीं भाजपा के बरेली सांसद छत्रपाल गंगवार ने जय हिंदू राष्ट्र का नारा लगाया. सत्र के दूसरे दिन भी राजनीतिक टीका टिप्पणी लगातार चलती रही. चूंकि संसद सत्र चल रहा है तो हम आपको उन तमाम शब्दों के बारे में बताएंगे जो संसद में बैन है. इसके साथ ये भी बताएंगे कि अगर कोई सांसद इन शब्दों का इस्तेमाल करता है तो क्या होता है.
1999 में आई थी पहली किताब
संसद में किन शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए इसपर लोकसभा ने 1999 में किताब निकाली थी. इस किताब में असंसदीय शब्दों के बारे में बताया गया था. इसके बाद समय-समय पर किताब को अपडेट किया जाता रहा है. हर साल असंसदीय शब्दों को अपडेट करके सूची जारी किया जाता है. अगर बैन शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है तो उन्हें संसद की कार्यवाही से हटाया जा सकता है. हर देश की संसद में कुछ ऐसे शब्द हैं जिस पर बैन है. जैसे ऑस्ट्रेलियाई सीनेट में डंबो और झूठा जैसे शब्दों पर बैन है तो न्यूजीलैंड की संसद में कम्युनिस्टों के लिए अशिष्ट शब्द (कॉमो) पर बैन है.
हर साल जोड़े जाते हैं नए शब्द
असंसदीय शब्दों की सूचि में हर साल 15 से 20 नए शब्द जोड़े जाते हैं. लोकसभा की कार्यवाही के नियम 380 के अनुसार अगर लोकसभा अध्यक्ष को लगता है कि असंसदीय शब्दों का इस्तेमाल किया गया है तो कार्यवाही से हटाने का आदेश दे सकते हैं. यहां बता दें कि असंसदीय शब्द बोलने पर किसी सांसद पर केस नहीं किया जा सकता. चलिए जानते हैं उन शब्दों के बारे में.
इन शब्दों पर बैन
बहरी सरकार, जुमला जीवी, उचक्के,खून से खेती, अहंकार,बाल बुद्धि, कांव-कांव करना, उल्टा चोर कोतवाल को डांटे, काला दिन,गद्दार, गुल खिलाना, गुंडागर्दी, गुंडों की सरकार, गुलछर्रा, तड़ीपार, तलवे चाटना,दोहरा चरित्र, दादागिरी, अंट-शंट,चोर-चोर मौसेरे भाई, चौकड़ी, उचक्के, तानाशाह, अनपढ़, अनर्गल, अनार्किस्ट, निकम्मा, नौटंकी, ढिंढोरा, पीटना, चमचागिरी, चमचा, करप्ट, ब्लडी, ड्रामा, हिपोक्रेसी, गिरगिट, घड़ियाली आंसू, खरीद फरोख्त.