उत्तर प्रदेश में 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने वाला है. इसको लेकर सियासी दल तैयारी में जुट गए हैं. ऐसे में अंबेडकर नगर के कटेहरी में योगी आदित्यनाथ के सामने शिवपाल यादव तो अयोध्या के मिल्कीपुर में अवधेश प्रसाद के संगठन कौशल की परीक्षा होगी. फूलपुर विधानसभा सीट पर केशव मौर्य की परीक्षा होगी, क्योंकि अखिलेश यादव ने केशव मौर्य के सामने अपने दूसरे बड़े दलित चेहरे इंद्रजीत सरोज को खड़ा किया है और उन्हें फूलपुर की जिम्मेदारी सौंप दी है.
ऐसे में मिल्कीपुर, कटेहरी और फूलपुर विधानसभा सीटें अब बीजेपी के दोनों बड़े नेताओं सीएम योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव मौर्य की प्रतिष्ठा से जुड़ गया है. इन तीनों सीटों पर भी अखिलेश यादव ने अपना दलित कार्ड खेला है. मिल्कीपुर और फूलपुर में अखिलेश यादव ने जिन दो नेताओं को अपना प्रभारी बनाया है, वो दोनों पासी बिरादरी से आते हैं और अच्छे संगठनकर्ता माने जाते हैं.
सीएएम योगी आदित्यनाथ के सामने शिवपाल-
अखिलेश यादव ने सीएम योगी आदित्यनाथ के सामने शिवपाल यादव को खड़ा कर दिया है. शिवपाल यादव भी संगठन के महारथी माने जाते हैं और पिछले साल हुए घोसी उपचुनाव में शिवपाल यादव ने बीजेपी के उम्मीदवार को हरा कर अपना दम दिखाया था. इस बार शिवपाल यादव सीधे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने कटेहरी विधानसभा उपचुनाव में होंगे, क्योंकि यहां की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री ने अपने कंधों पर ले रखी है.
उधर, अयोध्या के मिल्कीपुर में मुख्यमंत्री के सामने अखिलेश यादव ने अवधेश प्रसाद को खड़ा कर दिया है. अवधेश प्रसाद की जिम्मेदारी समाजवादी पार्टी के लिए अपने विधानसभा क्षेत्र में संगठन कौशल को दिखाना होगा.
अखिलेश का एक तीर से कई शिकार-
अखिलेश यादव ने एक तीर से कई शिकार किए हैं. विधानसभा में विपक्ष का नेता ना बनाए जाने से थोड़े खिन्न दिख रहे शिवपाल यादव को एक जिम्मेदारी दी है. वहीं, अवधेश प्रसाद को जब उनकी ही विधानसभा का प्रभारी बनाया तो यह चर्चा भी चल पड़ी है कि क्या उनके बेटे को समाजवादी पार्टी टिकट देगी या नहीं?
वैसेतो सीएम योगी के जिम्मेदारी सभी 10 विधानसभा उपचुनाव की है, लेकिन खास तौर पर दो सीटें मिल्कीपुर और कटेहरी को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया है. एक सीट मिल्कीपुर है, जहां से समाजवादी पार्टी के विधायक अवधेश प्रसाद फैजाबाद के सांसद बन गए हैं. जबकि दूसरी सीट अंबेडकर नगर की कटेहरी है, जहां लालजी वर्मा विधायक थे और वो सांसद चुने गए हैं.
दरअसल अखिलेश यादव ने इन दोनों सीटों पर दो बड़े नेताओं को जिम्मादारी देकर बीजेपी के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं. इसमें से एक भी सीट की हार सीधे सरकार पर सवाल उठाएगी, क्योंकि बीजेपी के प्रभारी नेता मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री हैं.
ये भी पढ़ें: