लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) में उत्तर प्रदेश (UP) में खराब प्रदर्शन के बाद अब भारतीय जनता पार्टी (BJP) विधानसभा उपचुनाव में किसी प्रकार का रिस्क नहीं लेना चाहती है. बीजेपी के लिए यह विधानसभा उपचुनाव किसी लिटमस टेस्ट से कम नहीं है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) उपचुनाव वाली 10 सीटों पर विजय पताका फहराकर 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए विपक्षी पार्टियों ही नहीं बल्कि हाईकमान को भी संदेश देना चाहते हैं. सीएम योगी ने 10 सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर 30 मंत्रियों की एक टीम बनाई है. इनमें 14 कैबिनेट और 16 राज्यमंत्री हैं. सीएम योगी अपने स्पेशल 30 के जरिए उपचुनाव के जीतने की रणनीति बनाएंगे.
क्या सीएम और डिप्टी सीएम में सबकुछ ठीक है
सीएम योगी ने उपचुनाव जीतने के लिए जो टीम बनाई है, उसमें राज्य के दोनों डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक को नहीं रखा है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या सीएम और डिप्टी सीएम के बीच सबकुछ ठीक है.
दरअसल, गत रविवार को बीजेपी की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में सीएम योगी ने कार्यकर्ताओं के अति आत्मविश्वास को लोकसभा चुनाव में मिली हार की वजह बताया तो वहीं केशव प्रसाद मौर्य ने संगठन-सरकार में बड़े छोटे का फर्क समझाया. केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि संगठन सरकार से बड़ा होता है. लोकसभा में हार पर सूबे के दो बड़े नेताओं के दो तरह के बयान सामने से तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. सीएम योगी ने जहां अति आत्मविश्वास की बात कहकर कार्यकर्ताओं की तरफ इशारा किया, तो वहीं डिप्टी सीएम ने यह कहने की कोशिश की कि अब कार्यकर्ताओं की बात सुने जाने की जरूरत है.
सीएम योगी ने मंत्रियों के साथ की बैठक
सीएम योगी ने उपचुनाव के लिए बनाई गई मंत्रियों की टीम के साथ बुधवार को बैठक की. जिन 10 सीटों पर उपचुनाव होनेवाले हैं, उन सभी सीटों पर योगी सरकार ने मंत्रियों की ड्यूटी लगाई है. योगी आदित्यनाथ ने मंत्रियों की टास्क फोर्स से हर सीट की जानकारी ली. सीएम योगी ने कहा कि हर हाल में उपचुनाव जीतना है.
अखिलेश यादव के इस्तीफे से खाली हुई मैनपुरी की करहल और अवधेश प्रसाद के इस्तीफे से खाली हुई अयोध्या की मिल्कीपुर सीट पर चार-चार मंत्रियों को जीत की रणनीति बनाने के लिए मैदान में उतारा गया है. इस उपचुनाव को विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा है. हालांकि अभी तक उपचुनाव की घोषणा नहीं हुई है. माना जा रहा है कि अगले महीने इन सीटों पर चुनाव हो सकता है.
दिए ये आदेश
सीएम योगी ने बुधवार की बैठक में उपचुनाव के लिए बनाए गए प्रभारी मंत्रियों को सप्ताह में दो दिन और रात उस विधानसभा क्षेत्र में गुजारने के आदेश दिए, जहां चुनाव होने हैं. इसके साथ ही वोटर लिस्ट दुरुस्त करने, कार्यकर्ताओं और प्रखंड प्रमुख को एक्टिव कर अभी से फील्ड में उतारने के आदेश दिए. मंत्रियों से कहा कि जब तक उपचुनाव नहीं हो जाते वो सीट का खास ध्यान रखें, कार्यकर्ताओ और जनता से लगातार संवाद बनाएं.
इन विधानसभा सीटों पर होने हैं उपचुनाव
उपचुनाव की 10 में से नौ सीटें विधायकों के सांसद बनने से खाली हुई हैं. एक सीट सपा विधायक इरफान सोलंकी को सजा मिलने के कारण रिक्त हुई है. जिन विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं, उनमें मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट, अयोध्या की मिल्कीपुर सीट, अलीगढ़ जिले की खैर, अंबेडकरनगर की कटेहरी, मुजफ्फरनगर की मीरापुर, कानपुर नगर की सीसामऊ, प्रयागराज की फूलपुर, गाजियाबाद की गाजियाबाद, मिर्जापुर की मझवां और मुरादाबाद की कुंदरकी विधानसभा सीट शामिल है. जिन सीटों पर उपचुनाव होने हैं, वहां 2022 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव की सपा ने सबसे अधिक पांच सीटें जीती थीं जबकि बीजेपी ने तीन सीटों पर विजय प्राप्त की थी. राष्ट्रीय लोक दल और निषाद पार्टी को एक-एक सीटें मिली थी.
किस विधानसभा सीट के लिए किसको दी जिम्मेदारी
1. करहल विधानसभा सीट: सपा प्रमुख अखिलेश यादव के इस्तीफे से खाली हुई मैनपुरी की करहल सीट पर जीत के लिए सीएम योगी ने दो कैबिनेट मंत्रियों समेत चार मंत्रियों की ड्यूटी लगाई है. यहां जयवीर सिंह, योगेंद्र उपाध्याय के साथ राज्यमंत्री अजीत पाल सिंह को जीत दिलाने की जिम्मेदारी दी गई है.
2. मिल्कीपुर: सपा के अवधेश प्रसाद के इस्तीफे के बाद खाली हुई अयोध्या की मिल्कीपुर सीट पर कैबिनेट मंत्री सूर्यप्रताप शाही के साथ राज्यमंत्री मयंकेश्वर सिंह, गिरीश यादव और सतीश शर्मा कुल चार मंत्रियों को विजय दिलाने की जिम्मेदारी दी गई है.
3. गाजियाबाद सदर: बीजेपी के अतुल गर्ग के इस्तीफे से खाली हुई इस सीट पर जीत दिलाने की जिम्मेदारी कैबिनेट मंत्री सुनील शर्मा के साथ बृजेश सिंह और कपिलदेव अग्रवाल को मिली है.
4. मीरापुर: रालोद के चंदन चौहान के इस्तीफे के बाद खाली हुई इस सीट पर कैबिनेट मंत्री अनिल कुमार और राज्यमंत्री सोमेंद्र तोमर के साथ केपी मलिक को जिम्मेदारी मिली है.
5. कुंदरकी: सपा के जियाउर्रहमान बर्क के इस्तीफे से खाली हुई इस सीट पर जीत दिलाने के जिम्मेदारी कैबिनेट मंत्री धर्मपाल सिंह के साथ राज्य मंत्री जेपीएस राठौर, जसवंत सैनी और गुलाब देवी को दी गई है.
6. फूलपुर: बीजेपी सांसद प्रवीण पटेल के इस्तीफे से खाली हुई फूलपुर सीट पर जीत दिलाने की जिम्मेदारी कैबिनेट मंत्री राकेश सचान और दयाशंकर सिंह को दी गई है.
7. खैर: बीजेपी के अनूप प्रधान वाल्मीकि के इस्तीफे से खाली हुई इस सीट से जीत दिलाने की जिम्मेदारी कैबिनेट मंत्री लक्ष्मीनारायण चौधरी के साथ संदीप सिंह को दी गई है.
8. कटेहरी: समाजवादी पार्टी के लालजी वर्मा के इस्तीफे से खाली हुई इस सीट पर जीत दिलाने की जिम्मेदारी कैबिनेट मंत्री स्वतंत्र देव सिंह और सहयोगी दल के संजय निषाद के अलावा दयाशंकर मिश्र को दी गई है.
9. मझवां: निषाद पार्टी के विनोद बिंद के इस्तीफे से खाली हुई इस सीट पर जीत दिलाने की जिम्मेदारी कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर के साथ अनुप्रिय पटेल के पति आशीष पटेल के अलावा रविन्द्र जासवाल और रामकेश निषाद को दी गई है.
10. शीशामऊ: सपा विधायक इरफान सोलंकी को सजा के बाद खाली हुई कानपुर की शीशामऊ सीट पर जीत दिलाने की जिम्मेदारी कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना के साथ राज्यमंत्री नितिन अग्रवाल को दी गई है.
करहल में जोरदार लड़ाई
बीजेपी के लिए उपचुनाव में सबसे मुश्किल सीट करहल है. यह सीट सपा प्रमुख अखिलेश यादव के कन्नौज से सांसद बनने के बाद खाली हुई है. करहल विधानसभा सीट को सपा का गढ़ माना जाता है. यादव बाहुल्य इस सीट पर 1993 से लगातार समाजवादी पार्टी जीतते आई है. सीएम योगी ने बैठक में चर्चा की कि हम यहां से किस मजबूत उम्मीदवार को चुनावी मैदान में उतारे ताकि जीत मिल जाए.
कुंदरकी से सिर्फ एक बार मिली है बीजेपी को सीट
मुरादाबाद की कुंदरकी विधानसभा सीट पर जीत दर्ज करने के लिए बीजेपी को तगड़ी लड़ाई लड़नी पड़ेगी. इस सीट से बीजेपी को केवल एक बार 1993 में जीत मिली थी. इस विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या करीब 65 प्रतिशत और हिन्दू वोटरों की संख्या 35 फीसदी है. अब देखना है कि बीजेपी यहां से क्या किसी मुस्लिम को अपना प्रत्याशी बनाएगी. बैठक में इस सीट को लेकर चर्चा हुई.
हार का बदला लेना चाहती है भाजपा
मिल्कीपुर सीट से जीत दर्ज करना बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती है. इस सीट को जीत भाजपा लोकसभा चुनाव में फैजाबाद (अयोध्या) से मिली हार का बदला लेना चाहती है. बीजेपी यहां से किसी पासी उम्मीदवार को उतारने की रणनीति बना रही है. मिल्कीपुर विधानसभा सीट से अवधेश प्रसाद विधायक थे. वह लोकसभा चुनाव में सपा के टिकट पर फैजाबाद से जीत हासिल कर सांसद बन गए हैं. अवधेश प्रसाद मिल्कीपुर विधानसभा सीट से नौ बार के विधायक रहे हैं.