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Green Bundelkhand Expressway: 296 किलोमीटर लंबे बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे पर सोलर पावर प्लांट लगाएगी यूपी सरकार, जानिए इस परियोजना की डीटेल्स

Green Bundelkhand Expressway: एक स्टडी में पाया गया कि एक्सप्रेसवे के दोनों ओर 450 मेगावॉट के सोलर पावर प्लांट लगाए जा सकते हैं. यह आंकड़े राज्य सरकार के समक्ष रखे जाने के बाद सरकार ने इस परियोजना को मंजूरी दे दी है.

Bundelkhand Expressway Bundelkhand Expressway

उत्तर प्रदेश सरकार ने 296 किलोमीटर लंबे बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के दोनों ओर सोलर पावर प्लांट लगाने का फैसला किया है. ग्रीन एनर्जी के लिए काम करने वाले वैश्विक संगठन ग्लोबल एनर्जी अलायंस फॉर पीपल एंड प्लैनेट (GEAPP) ने एक रिसर्च में पाया है कि हाइवे के दोनों ओर 450 मेगावॉट के सोलर पावर प्लांट लगाए जा सकते हैं. संगठन ने कहा कि उसकी विस्तृत प्रोजेक्ट रिपोर्ट को सरकार की मंजूरी भी मिल गई है. 

15 महीने में पूरा होगा प्रोजेक्ट
समाचार एजेंसी प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (PTI) ने संगठन के वाइस-चेयरमैन सौरभ कुमार के हवाले से कहा, "रिसर्च में पाया गया कि दोनों ओर 450 मेगावॉट के सोलर पावर प्लांट लगाए जा सकते हैं. हमने अपनी रिसर्च राज्य सरकार के समक्ष रखी और उन्होंने इसे मंजूरी दे दी है." 

राज्य के औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी और मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने नौ अगस्त को लखनऊ में कई हितधारकों और सौर ऊर्जा विशेषज्ञों से बात की और उन्हें इस प्रोजेक्ट के बारे में सारी जानकारी दी. मुख्य सचिव कुमार ने कहा, "अब हम प्रोजेक्ट की बोली लगवाने में में उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (UPEIDA) की मदद कर रहे हैं. हमें उम्मीद है कि यह प्रोजेक्ट अगले 15 महीने में तैयार हो जाएगा." 

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कुमार ने कहा कि UPEIDA ने GEAPP को राज्य में चार अन्य एक्सप्रेसवे के लिए इसी तरह का अध्ययन करने के लिए कहा है. एक तरह से यह भविष्य के एक्सप्रेसवे के लिए एक मॉडल बन जाएगा. उन्होंने कहा, "हमारे अनुमान के मुताबिक, इस परियोजना की लागत लगभग 1,800 करोड़ रुपये होगी और इससे बनने वाली बिजली की दर 4 से 4.50 रुपये प्रति यूनिट होगी. यह ऊर्जा परियोजनाओं के लिए भूमि उपयोग का एक मॉडल भी होगा." 

सोलर प्रोजेक्ट कितना फायदेमंद?
कुमार ने कहा कि 296 किलोमीटर लंबे बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के दोनों किनारों पर 15 मीटर जगह पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाए जाएंगे. इससे पूरे एक्सप्रेसवे पर बिजली की आपूर्ति हो सकेगी. इसके अलावा हाइवे के किनारे इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशन भी बनाए जा सकेंगे. उन्होंने कहा कि इस पैमाने पर यह भारत में अपनी तरह की पहली परियोजना है. यह परियोजना आसपास के गांवों के लिए भी फायदेमंद होगी, क्योंकि उन्हें स्वच्छ ऊर्जा तक पहुंच मिलेगी. इससे एक्सप्रेसवे की खूबसूरती भी बढ़ेगी और रोजगार भी मिलेगा. 

उत्तर प्रदेश को नवीकरणीय ऊर्जा का केंद्र बनाने के लिए किन क्षेत्रों पर ध्यान देने की जरूरत है, यह सवाल पूछे जाने पर कुमार ने कहा, “बुंदेलखंड जैसे सूखे क्षेत्रों में नवीकरणीय ऊर्जा की अपार संभावनाएं हैं. लेकिन राज्य में मुख्य चुनौती खाली जमीन की है. क्योंकि यहां की जमीन का एक बड़ा हिस्सा खेती के लिए इस्तेमाल होता है. ऐसे अवसरों की पहचान करने की जरूरत है जहां हम जमीन के छोटे टुकड़ों में ज्यादा से ज्यादा फायदा हासिल कर सकें."