पिछले कई दिनों में नोएडा, लखनऊ समेत कई शहरों में लिफ्ट की वजह से कई हादसे हुए. लिफ्ट में खराबी को लेकर कई ऐसी घटनाएं हुईं जिसमें लोगों को चोट लग गई या फिर कुछ एक को अपनी जान से भी हाथ धोना पड़ा. अब तक उत्तर प्रदेश में लिफ्ट और एक्सक्लेटर से होने वाले हादसों के लिए प्रदेश में कोई कानून नहीं है लेकिन अब सरकार इसको लेकर सख्त रुख अपनाने वाली है.
लिफ्ट में रहने वालों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आज उत्तर प्रदेश विधानसभा में एक कानून पेश किया जाएगा, जिसका नाम लिफ्ट और एस्केलेटर विधेयक, 2024 है. इसे कैबिनेट से मंजूरी भी मिल गई है. इस कानून के तहत लिफ्ट और एस्क्लेटर के इस्तेमाल को लेकर जरूरी सतर्कता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से नए कानून लाने का प्रयास है. ये विधेयक भवन निर्माण प्राधिकारियों के लिए लिफ्ट में बचाव उपकरण सुनिश्चित करना अनिवार्य बनाता है. विधेयक में कहा गया है कि लिफ्टों में आपातकालीन अलार्म और सीसीटीवी भी होने चाहिए. विधेयक पारित होने के बाद यूपी लिफ्ट और एस्केलेटर के संचालन और रखरखाव को विनियमित करने के लिए कानून बनाने वाला 10वां राज्य बन जाएगा.
सामने आई थी कई घटनाएं
योगी आदित्यनाथ सरकार का यह कदम राज्य में कई लिफ्ट दुर्घटनाओं के बाद आया है. खासकर दिल्ली के पास नोएडा की ऊंची इमारतों में आए दिन कई ऐसी घटनाएं हुईं. सितंबर में एक दुखद घटना में, नोएडा एक्सटेंशन में आम्रपाली ड्रीम वैली में एक लिफ्ट दुर्घटना में नौ निर्माण श्रमिकों की मौत हो गई थी. पिछले साल दिसंबर में, काम के बाद घर लौट रहे नौ आईटी प्रोफेशनल घायल हो गए थे, जब सेक्टर 125 में रिवर साइड टॉवर नामक एक व्यावसायिक इमारत में लिफ्ट आठवीं मंजिल से जमीन पर गिर गई थी. दिसंबर दुर्घटना के कुछ दिनों बाद, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संबंधित अधिकारियों को लिफ्टों की सुरक्षा और उचित रखरखाव सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था.
लिफ्टों की सुरक्षा महत्वपूर्ण - सीएम योगी
उन्होंने कहा था, "लिफ्टों की सुरक्षा बहुत महत्वपूर्ण है. इस उद्देश्य के लिए, लिफ्टों और एस्केलेटरों के निर्माण, गुणवत्ता, अंतर्निहित सुरक्षा सुविधाओं, स्थापना, संचालन और रखरखाव के लिए निर्धारित प्रक्रियाओं का सख्ती से पालन सुनिश्चित करना आवश्यक है." मुख्यमंत्री ने यह भी कहा था कि इस मामले में अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए कोई कानून नहीं है लेकिन जल्द ही इस पर कानून लाया जाएगा. मुख्यमंत्री ने कहा था कि सार्वजनिक या निजी भवन में लिफ्ट लगाने वाले प्रत्येक भवन मालिक के लिए इसका पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा. उन्होंने कहा कि पुरानी इमारतों में पहले से स्थापित लिफ्टों को भी पंजीकृत किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा था कि लिफ्टों की स्थापना बिल्डिंग कोड और अन्य दिशानिर्देशों के अनुसार की जानी चाहिए.
बिल में क्या-क्या है?
बिल एस्केलेटर में एक ऑटो रेस्क्यू डिवाइस स्थापित करना अनिवार्य बनाता है ताकि आउटेज या किसी अन्य खराबी की स्थिति में, अंदर फंसे यात्री निकटतम लैंडिंग तक पहुंच सकें और दरवाजा स्वचालित रूप से खुल जाए. यह बाहर के लोगों के साथ संचार के लिए लिफ्टों और एस्केलेटरों में इमरजेंसी बेल्स, सीसीटीवी कैमरे, पर्याप्त रोशनी की व्यवस्था और कम्यूनिकेशन सिस्टम स्थापित करना भी अनिवार्य बनाता है.
अक्टूबर 2023 में उत्तर प्रदेश सरकार ने लिफ्ट बंद होने, ब्रेकडाउन और अन्य दुर्घटनाओं से जुड़ी घटनाओं के लिए 1 लाख का जुर्माना और तीन साल की जेल की सजा की घोषणा की थी. यह कदम सितंबर में एक दुखद घटना के मद्देनजर उठाया गया था, जहां नोएडा एक्सटेंशन में आम्रपाली ड्रीम वैली में एक लिफ्ट दुर्घटना में नौ निर्माण श्रमिकों की मौत हो गई थी.