13 जून 1997 को हुए उपहार सिनेमा अग्निकांड के 26 साल बीत चुके हैं. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से उपहार सिनेमा घर के मालिक सुशील अंसल और गोपाल अंसल को सजा मिली है. लेकिन इस इंसाफ के लि कोर्ट में सालों से लंबी लड़ाई लड़ी गई है. इस अग्निकांड में मारे गए लोगों के परिजनों ने 23 साल तक कानूनी लड़ाई लड़ी. इसके बाद दोषियों को सजा मिली. इस लड़ाई में सबसे अहम भूमिका नीलम और शेखर कृष्णमूर्ति की रही, जिन्होंने अपने बच्चों 17 साल की उन्नति और 13 साल के उज्ज्वल को इस हादसे में खो दिया था.
अग्निकांड में 59 लोगों की हुई थी मौत-
दिल्ली में उपहार सिनेमा हादसे में 59 लोगों की मौत हुई थी. जबकि 100 से अधिक लोग घायल हुए थे. इसमें कई बच्चे भी शामिल थे. नीलम की लड़ाई कितनी कठिन होगी, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जब उन्होंने अदालत जाने का फैसला किया तो उनको ये नहीं पता था कि दीवानी और फौजदारी मामलों में क्या अंतर होगा है? लेकिन बच्चों को इंसाफ दिलाने के लिए उन्होंने इस अंतर को पाटना शुरू किया और 23 साल तक अदालत में टिकी रहीं.
नीलम ने शुरू की कानूनी मुहिम-
सबसे पहले नीलम कृष्णमूर्ति ने पीड़ित परिवारों को एकजुट किया. जो लोग भी इस हादसे में बच गए थे, उनसे बात की. इस बातचीत में ये निकलकर आया कि लोगों को बचाया जा सकता था. लेकिन लापरवाही के चलते उनकी जान गई. नीलम और शेखर कृष्णमूर्ति ने कानूनी लड़ाई लड़ने का फैसला किया और कुछ वकीलों के साथ बातचीत की. इस दौरान नीलम ने मशहूर वकील केटीएस तुलसी से मुलाकात की. केटीएस तुलसी ने निशुल्क केस लड़ने का भरोसा दिलाया. नीलम ने अखबारों से पीड़ित परिवारों की तलाश की और उनसे बातचीत की. 30 जून 1997 को नीलम ने पीड़ित परिवारों के साथ मिलकर एसोसिएशन ऑफ विक्टिम्स ऑफ उपहार ट्रेजडी बनाया. एसोसिएशन ने दिल्ली हाईकोर्ट में संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत याचिका दायर किया.
23 साल चली लंबी लड़ाई-
पहले ये मामला दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा को सौंपा गया था. लेकिन बाद में इसे सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया गया. सीबीआई ने 16 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की. साल 2001 में 16 अभियुक्तों में से 13 के खिलाफ आरोप तय किए गए. कोर्ट में लगातार बहस हुई. दलीलें पेश की गईं. इसके बाद फैसले का दिन आया. 20 नवंबर 2007 को दिल्ली सेशन कोर्ट ने अंसल बंधुओं समेत सभी आरोपियों को 2 साल की सजा सुनाई गई. लेकिन हाईकोर्ट ने अंसल बंधुओं की सजा को दो साल से घटाकर एक साल कर दिया. एसोसिएशन ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. साल 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने अंसल बंधुओं की कैद की अवधि को एक साल से बढ़ाकर दो साल कर दिया था. लेकिन इसके साथ ही ये भी स्पष्ट किया कि अगर दोषियों ने 3 महीने के भीतर 30-30 करोड़ रुपए का जुर्माना दिया तो जेल में बिताए सजा को पर्याप्त माना जाएगा.
गोपाल अंसल को एक साल की जेल-
एसोसिएशन और सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में समीक्षा याचिका दायर की. इसर साल 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने गोपाल अंसल को एक साल के लिए जेल भेजने का निर्देश दिया. लेकिन बड़े भाई सुशील अंसल को स्वास्थ्य कारणों से रिहा करने का आदेश दिया. इसके फैसले को लेकर क्यूरेटिव याचिका दायर की गई. लेकिन साल 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया.
क्या हुआ था उस दिन-
नीलम और शेखर कृष्णमूर्ति की बेटी उन्नति और बेटा उज्ज्वल 13 जून 1997 को बॉर्डर फिल्म देखने उपहार सिनेमा घर गए थे. एक इंटरव्यू में नीलम ने बताया था कि उनकी बेटी फिल्मों की शौकीन थी. वो हमेशा अपने बच्चों को नई फिल्म देखने के लिए भेजते थे. 13 जून को भी उन्होंने बेटे-बेटी को फिल्म देखने को भेजा था. लेकिन जब रात को उनके आने में देरी होने लगी तो उन्होंने पेजर पर मैसेज भेजा. लेकिन कोई जवाब नहीं आया. काफी वक्त बाद बच्चों के एक दोस्त का घर पर फोन आया और उसने बताया कि उपहार सिनेमा हॉल में आग लग गई है. ये सुनकर नीलम को गहरा धक्का लगा. उन्होंने अपने बच्चों की खैरियत के लिए प्रार्थना की. लेकिन सबकुछ उलटा हो रहा था. आखिरकार पता चला कि उस हादसे में उनके बच्चे नहीं रहे. इस हादसे में 59 लोगों की मौत हुई थी. उपहार सिनेमा अग्निकांड की कानूनी लड़ाई लड़ने वाली नीलम कृष्णमूर्ति के संघर्ष पर एक फिल्म भी बनी है. जिसका नाम Trial By Fire है.
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