
UPSC की परीक्षा में पास होने के लिए छात्रों को रात दिन एक करना पड़ता है. इस बार यूपीएससी की परीक्षा में कानपुर का एक ऐसे छात्र ने सफलता हासिल की है. जिसकी जिंदगी गरीबी में गुजरी है. प्रथम सोनकर ने यूपीएससी की परीक्षा में सफलता हासिल की है. उनको 872वीं रैंक मिली है. यूपीएससी की परीक्षा की पहली सीढ़ी पास करने से पहले प्रथम के माता-पिता को पता भी नहीं था कि उनके बेटे ने परीक्षा दी है.
UPSC में प्रथम सोनकर को सफलता-
कानपुर के रहने वाले प्रथम सोनकर को यूपीएससी परीक्षा में सफलता मिली है. उन्होंने 872वीं रैंक हासिल की है. प्रथम सोनकर के पिता सदाशिव ओम सोनकर रिटायर कर्मचारी हैं. उनकी मां विमला गृहिणी हैं.
गरीबी में रहकर की पढ़ाई-
प्रथम के घर तक पहुंचने के लिए ढाई फीट की गली से होकर गुजरना पड़ता है. घर में पानी भी पाइप डालकर लेना पड़ता है. प्रथम ने 8 /10 के कमरे में पढ़ाई की. उसकी घर में अलमारी और टीवी भी है. इसके बावजूद प्रथम ने मेहनत से पढ़ाई और यूपीएससी में सफलता हासिल की.
प्रथम के पिता सदाशिव ओम का कहना है कि मैंने तो सोचा भी नहीं था कि मेरा बेटा कभी आईएएस बन सकता है. मां को तो ये भी नहीं पता है कि यूपीएससी क्या होता है?
परीक्षा से पहले माता-पिता को नहीं था पता-
प्रथम सोनकर ने बताया कि परीक्षा पास होने से पहले मैंने अपने माता-बाप को बताया भी नहीं था कि सिविल सेवा की परीक्षा दी है. प्रथम की मां विमला कहती हैं कि जब पहले एग्जाम उसने पास कर लिया, तो उसने बताया कि मां मैंने सिविल सेवा का पहला एग्जाम पास किया है. तो मैंने पूछा कि यह परीक्षा तुमने कब दी? मुझे क्यों नहीं बताया.
प्रथम का कहना है कि मुझे भी शायद विश्वास नहीं था कि मैं पहले प्रयास में ही परीक्षा पास करूंगा. बस लगन से मेहनत से परीक्षा दी. उन्होंने कहा कि मुझे इंटरव्यू को लेकर बड़ी टेंशन हो रही थी. लेकिन वह भी मैंने क्लियर कर लिया. उन्होंने बताया कि इंटरव्यू में जब मुझसे डोनाल्ड ट्रंप और अखंड भारत को लेकर प्रश्न पूछे गए तो बड़ा असमंजस पड़ गया था. उनका कहना है कि उनको ऐसे प्रश्न की आशा नहीं थी. उनका कहना है कि मैं अब जिस विभाग में भी जाऊंगा, अपने समाज और देश के लिए कार्य करूंगा.
(कानपुर से रंजय सिंह की रिपोर्ट)
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