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UPSC Toppers Story: दृष्टिबाधित रवि को किताबें पढ़कर सुनाती थी मां, इकबाल के पिता चलाते थे पंक्चर की दुकान... यूपीएससी टॉपर्स की कहानियां

UPSC की परीक्षा का रिजल्ट आ गया है. इस बार कई ऐसे कैंडिडेट्स को सफलता मिली है, जिनकी जीवन संघर्षों में बिता है. यूपी के संत कबीर नगर के इकबाल अहमद ने 998वीं रैंक हासिल की है. उनके पिता पंक्चर की दुकान चलाते हैं. जबकि बिहार के नवादा के रविराज देख नहीं सकते हैं. उनकी मां किताबें पढ़कर सुनाती थीं.

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यूपीएससी परीक्षा के नतीजे घोषित हो चुके हैं. इस बार सफलता पाने वाले कई ऐसे कैंडिडेट्स हैं, जिन्होंने जीवन में काफी संघर्ष किया है. कोई देख नहीं सकता है तो किसी ने बिना कोचिंग सेल्फ स्टडी से सफलता हासिल की है. किसी कैंडिडेंट ने 10 साल की उम्र में पिता को खो दिया था तो किसी के पिता पंक्चर बनाने का काम करते हैं. चलिए ऐसे ही संघर्ष कर यूपीएससी टॉपर्स की लिस्ट में जगह बनाने वालों की कहानियां बताते हैं.

रविराज को किताबें पढ़कर सुनाती थीं मां-
बिहार के नवादा के रहने वाले रविराज ने यूपीएससी में 182वीं रैंक हासिल की है. इससे पहले 69वीं बीपीएससी में उनका 490वां रैंक था. उनको रेवेन्यू ऑफिसर का पद मिला था. छुट्टी लेकर रविराज तैयारी कर रहे थे. आंखों की रोशनी चली जाने के बाद रविराज को पढ़ने-लिखने में दिक्कत होती थी. रवि को उनकी मां का पूरा समर्थन मिला. मां घर का सारा काम करके उनकी पढ़ाई के लिए समय निकालती थी. मां किताबें पढ़कर सुनाती थीं और रवि उसको समझते थे.

पंक्चर बनाने वाले के बेटे को सफलता-
इस बार यूपी के संत कबीर नगर के इकबाल अहमद को यूपीएससी में 998वीं रैंक मिली है. उनके पिता साइकिल पंक्चर की दुकान चलाते थे. लेकिन पिछले 2 साल से सेहत की वजह से उनकी दुकान भी बंद है. इकबाल 5 भाई-बहन हैं. उनके भाई पेंटर का काम करते हैं. फिलहाल इकबाल बस्ती में श्रम प्रवर्तन अधिकारी के पद पर तैनात हैं.

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10 साल की उम्र में पिता को खोया-
ग्वालियर की आयुषी बंसल ने यूपीएससी में 7वीं रैंक हासिल की है. आयुषी ने आईआईटी कानपुर से इंजीनियरिंग की है. उन्होंने तीसरी बार यूपीएससी क्रैक किया है. आयुषी जब 10 साल की थी तो उनके पिता का एक हादसे में निधन हो गया था. आयुषी के छोटे भाी डॉक्टर हैं.

रोमिल ने बिना कोचिंग हासिल की सफलता-
मध्य प्रदेश के रीवा के रहने वाले रोमिल द्विवेदी ने यूपीएससी में 27वां रैंक हासिल किया है. उनके पिता मध्य प्रदेश सहकारिता विभाग में संयुक्त सचिव हैं. रोमिल ने जॉब के साथ सेल्फ स्टडी की. उन्होंने साल 2017 में आईआईएम इंदौर से एमबीए किया. कोरोना काल के दौरान उनको अहसास हुआ कि प्राइवेट नौकरी नीरस है. इसके बा उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू की. उन्होंने कोई कोचिंग नहीं की. ऑनलाइन सिलेबस देखकर तैयारी की और अब यूपीएससी में सफलता हासिल की है.

किसान की बेटी को मिली सफलता-
यूपी के सहारनपुर की कोमल पुनिया ने छठा रैंक हासिल किया है. कोमल फिलहाल आईपीएस हैं. साल 2023 में उन्होंने 47वीं रैंक हासिल की थी. फिलहाल वो हैदराबाद में आईपीएस की ट्रेनिंग ले रही हैं. कोमल ने जवाहर नवोदय विद्यालय से 12वीं तक की पढ़ाई की है. 
 

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