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UPSC Lateral Entry Controversy: लैटरल एंट्री पर मोदी सरकार का बड़ा फैसला, 45 पदों पर सीधी भर्ती का विज्ञापन रद्द

UPSC Lateral Entry: केंद्र सरकार ने लैटरल एंट्री की भर्ती पर फौरन रोक लगा दी है. कार्मिक विभाग के मंत्री जितेंद्र सिंह ने यूपीएससी चेयरमैन प्रीति सूदन को चिट्ठी लिखकर लैटरल एंट्री की भर्ती रद्द करने का निर्देश दिया. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि लैटरल एंट्री भर्ती में भी सामाजिक न्याय का ध्यान रखा जाना चाहिए. आपको बता दें कि 17 अगस्त 2024 को UPSC ने लैटरल एंट्री से भर्ती का विज्ञापन निकाला था.

Union Public Service Commission Union Public Service Commission
हाइलाइट्स
  • 45 सीनियर पदों पर होनी थी सीधी भर्ती

  • आरक्षण को लेकर विपक्ष ने किया हंगामा

केंद्र सरकार ने कुछ मंत्रालयों में संयुक्त सचिव और डायरेक्टर जैसे बड़े पदों पर लैटरल एंट्री से होने वाली सीधी भर्ती पर रोक लगा दी है. केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने यूपीएससी की चेयरपर्सन प्रीति सूदन को चिट्ठी लिखकर भर्ती के लिए निकाले गए विज्ञापन को रद्द करने के लिए कहा. इसके बाद यूपीएससी ने विज्ञापन रद्द करने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है.

संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने पिछले दिनों संयुक्त सचिव और निदेशक/उप सचिव के 45 पदों पर लैटरल एंट्री से सीधी भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला था. इस भर्ती में किसी तरह के आरक्षण का प्रावधान नहीं था, जिसे लेकर कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने केंद्र की मौजूदा सरकार पर निशाना साधा है.

विपक्षी दलों का आरोप है कि केंद्र की मोदी सरकार विभिन्न मंत्रालयों में महत्वपूर्ण पदों पर लेटरल एंट्री के ज़रिए भर्ती कर खुलेआम SC, ST और OBC वर्ग का आरक्षण छीन रही है.

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यही नहीं, केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने भी लैटरल एंट्री पर सवाल उठाए. पासवान ने कहा- "सरकारी नियुक्ति में आरक्षण होना चाहिए, इसमें कोई किंतु परंतु नहीं. निजी क्षेत्र में आरक्षण नहीं है. सरकारी पदों पर इसे लागू नहीं करते तो चिंता की बात है."

सियासी हंगामे के बीच अब सरकार का कहना है कि पीएम मोदी के आदेश के बाद फैसला बदला गया है.

केंद्रीय मंत्री की चिट्ठी में क्या है-
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने अपनी चिट्ठी में लिखा है कि साल 2005 में वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता में बनाई गई एडमिनिस्ट्रेटिव रिफॉर्म कमीशन ने लैटरल एंट्री के विचार का समर्थन किया था.

चिट्ठी के मुताबिक, साल 2013 में छठे वेतन आयोग की सिफारिश में भी इसी तरह के विचार थे. इससे पहले और बाद में भी हाईप्रोफाइल लैटरल एंट्री के मामले सामने आए हैं.

पिछली सरकारों में कई मंत्रालयों और UISAI के प्रमुख जैसे पदों पर बिना आरक्षण प्रक्रिया को फॉलो किए लैटरल एंट्री दी गई थी. इतना ही नहीं, नेशनल एडवाइजरी काउंसिल के सदस्य सुपर-ब्यूरोक्रेसी की तरह पीएमओ को कंट्रोल करने के लिए इस्तेमाल हो रहे थे.

साल 2014 से पहले बड़े पैमाने पर लैटरल एंट्री में पक्षपात हुआ. जबकि हमारी सरकार इस प्रक्रिया को संस्थागत, पारदर्शी और खुला बनाने की कोशिश कर रही है.

जितेंद्र सिंह ने चिट्ठी में लिखा कि लैटरल एंट्री की प्रक्रिया हमारे संविधान में निहित समानता और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के मुताबिक होनी चाहिए.

पीएम मोदी के निर्देश पर भर्ती रद्द-
जितेंद्र सिंह ने चिट्ठी में लिखा, "प्रधानमंत्री का मानना है कि सरकारी नौकरियों में आरक्षण हमारे सामाजिक न्याय की नींव है. जिसका मकसद ऐतिहासिक अन्यायों को खत्म करना और समावेशी समाज बनाना है."

केंद्रीय मंत्री ने चिट्ठी में लिखा कि केंद्र सरकार में कई विशेषज्ञता वाले पद हैं, जिनमें सिंगल कैंडर पोस्ट की व्यवस्था है. इन पदों पर भर्ती में आरक्षण की कोई व्यवस्था नहीं है. इसमें सुधार की जरूरत है.

उन्होंने कहा, "यह पहल प्रधानमंत्री के सामाजिक न्याय को सुनिश्चित करने के मकसद के मुताबिक नहीं है. इसलिए मैंने UPSC से 17 अगस्त 2024 को जारी लैटरल एंट्री से भर्ती के विज्ञापन को कैंसिल करने का निर्देश दिया है."

जितेंद्र सिंह ने कहा कि इस कदम से सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रगति होगी.

विपक्ष ने बताया अपनी जीत
लैटरल एंट्री के जरिए भर्ती पर रोक लगाने के केंद्र सरकार के फैसले को विपक्ष ने अपनी जीत करार दिया है.

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा है, संविधान और आरक्षण व्यवस्था की हम हर कीमत पर रक्षा करेंगे। भाजपा की ‘लेटरल एंट्री’ जैसी साजिशों को हम हर हाल में नाकाम कर के दिखाएंगे। मैं एक बार फिर कह रहा हूं - 50% आरक्षण सीमा को तोड़ कर हम जातिगत गिनती के आधार पर सामाजिक न्याय सुनिश्चित करेंगे। जय हिन्द।"

सपा मुखिया अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा- "यूपीएससी में लेटरल एन्ट्री के पिछले दरवाज़े से आरक्षण को नकारते हुए नियुक्तियों की साज़िश आख़िरकार पीडीए की एकता के आगे झुक गयी है। सरकार को अब अपना ये फ़ैसला भी वापस लेना पड़ा है। भाजपा के षड्यंत्र अब कामयाब नहीं हो पा रहे हैं, ये PDA में आए जागरण और चेतना की बहुत बड़ी जीत है।

इन परिस्थितियों में समाजवादी पार्टी ‘लेटरल भर्ती’ के ख़िलाफ़ 2 अक्टूबर से शुरू होनेवाले आंदोलन के आह्वान को स्थगित करती है, साथ ही ये संकल्प लेती है कि भविष्य में भी ऐसी किसी चाल को कामयाब नहीं होने देगी व पुरज़ोर तरीके से इसका निर्णायक विरोध करेगी। जिस तरह से जनता ने हमारे 2 अक्टूबर के आंदोलन के लिए जुड़ना शुरू कर दिया था, ये उस एकजुटता की भी जीत है। लेटरल एंट्री ने भाजपा का आरक्षण विरोधी चेहरा उजागर कर दिया है।"

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