
झारखंड और आंध्र प्रदेश के बाद राजस्थान के सीकर में यूरेनियम का विशाल भंडार मिला है. खास बात ये है कि सीकर के रॉयल गांव में जो यूरेनियम का भंडार मिला है. वो झारखंड और आंध्र प्रदेश से अच्छी ग्रेड का है.
तीन साल में माइनिंग प्रोसेसिंग शुरू होगी
बता दें कि 1086.46 हेक्टेयर एरिया में 1.2 करोड़ टन यूरेनियम और इससे एसोसिएटेड मिनरल्स मिलने के बाद बड़ी उम्मीदें जगी हैं. यूरेनियम कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड 4 साल से प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है. खनन के लिए 30 मीटर पिट लाइन बन भी चुकी है. वहीं डेढ़़ किलोमीटर लंबी टनल बनेगी. 60 से 700 मीटर गहराई तक यूरेनियम मिलेगा और ढाई से तीन साल में माइनिंग प्रोसेसिंग शुरू होगी. बता दें, यहां 40 साल तक खनन चलेगा.
पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा कहां होता है उत्पादन?
दुनिया में सर्वाधिक यूरेनियम का उत्पादन कजाकिस्तान, कनाडा और आस्ट्रेलिया में होता है. परमाणु ऊर्जा के लिए यूरेनियम बेशकीमती खनिज है. जाहिर है सीकर में इसका भंडार मिलने से बहुत हद तक परमाणु ऊर्जा की जरुरतें पूरी होंगी. इससे- बिजली उत्पादन से लेकर परमाणु बम बनाने तक में भारत की ताकत बढ़ेगी. एटम बम, एटॉमिक एनर्जी के साथ ही डिफेंस उपकरणों, फोटोग्राफी, दवा और मेडिकल इंडस्ट्री में भी इसका इस्तेमाल हो सकेगा.
कैसे किया जाता है अलग?
यूरेनियम चट्टानों के बीच कॉपर और बाकी दूसरे मिनरल्स के साथ रेशे के रूप में मिलता है. उन्हें बारीक कर पानी या तेजाब से प्रोसेस कर 90 फीसदी यूरेनियम अलग किया जाएगा.