
उत्तर प्रदेश विधानसभा (Uttar Pradesh Assembly) में सदस्य अब अपनी मातृभाषा में बोल सकेंगे. जी हां, क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए यह महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है. विधानसभा की कार्यवाही हिंदी के साथ अवधी, भोजपुरी, बुंदेली, ब्रज और अंग्रेजी भाषाओं में भी सुनी जा सकेगी. इस तरह से विधानसभा सदस्यों को क्षेत्रीय बोलियों में बोलने की अनुमति देने का फैसला किया गया है. मंगलवार से शुरू विधानसभा सत्र में यह पहल शुरू हुई है.
...तो इसलिए की गई यह पहल
यह पहल विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना की ओर से की गई है. इसका उद्देश्य सदस्यों को अपनी मातृभाषा में व्यक्त करने के लिए एक मंच प्रदान करना है, जिससे राज्य के विविध समुदायों के बीच एकता और प्रतिनिधित्व की भावना को बढ़ावा मिले.इसके लिए विधानसभा समकालीन अनुवाद सेवाएं प्रदान करेगी, जिससे क्षेत्रीय बोलियों में दिए गए भाषणों का सटीक अनुवाद हिंदी में किया जा सके, जो विधानसभा की आधिकारिक भाषा है. इससे सभी सदस्यों को चर्चा को समझने और उसमें भाग लेने में मदद मिलेगी, चाहे उनकी भाषाई पृष्ठभूमि कुछ भी हो.
अवधी एक और भोजपुरी दो नंबर पर
इस कदम से क्षेत्रीय भाषाओं और संस्कृतियों के प्रचार-प्रसार और हाशिए पर खड़े समुदायों के प्रतिनिधित्व को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद है. सदस्यों को अपनी मातृभाषा में बोलने की अनुमति देकर, विधानसभा भाषाई विविधता के महत्व और क्षेत्रीय भाषाओं को संरक्षित और प्रोत्साहित करने की आवश्यकता को मान्यता दे रही है. विधानसभा अध्यक्ष ने सदस्यों को बताया कि फ्लोर पर बोली जाने वाली भाषा जीरो नंबर पर सदस्य सुन सकते हैं. अवधी एक नंबर पर भोजपुरी दो नंबर पर, बृजभाषा तीन नंबर पर, बुंदेलखंडी चार नंबर पर और अंग्रेजी पांच नंबर पर सुनी जा सकती है.
इन राज्यों में भी दी गई क्षेत्रीय भाषाओं को मान्यता
यूपी से पहले कई अन्य राज्यों की विधानसभा में भी क्षेत्रीय भाषाओं को मान्यता दी गई है. पश्चिम बंगाल, गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और कर्नाटक जैसे राज्यों में विधायकों को अपनी क्षेत्रीय भाषाओं में बोलने की छूट मिली हुई है.
नेता प्रतिपक्ष ने की उर्दू की वकालत
नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय ने अंग्रेजी का जताया विरोध. उन्होंने कहा कि हम बुंदेलखंडी, भोजपुरी का विरोध नहीं करते हैं लेकिन अंग्रेजी का विधानसभा में प्रयोग करना न्यायोचित नहीं है. बड़े मुश्किल से अंग्रेजी यहां से हटाई गई थी और हमारी भाषा हिंदी घोषित की गई थी. अब अंग्रेजी लाकर हिंदी को कमजोर करने का प्रयास हो रहा है. माता प्रसाद पांडेय ने कहा कि ये नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि यदि अंग्रेजी कर रहे हैं तो उर्दू भी कर दीजिए. उर्दू क्यों नहीं करते, उर्दू भी तो भाषा है.
सीएम योगी ने लिया निशाने पर
सीएम योगी आदित्यनाथ ने उर्दू की वाकलत करने पर विपक्ष को निशाने पर लिया. उन्होंने कहा कि विपक्ष के लोग हर अच्छे काम का विरोध करते हैं. ये लोग उर्दू की वकालत करते हैं. हम स्थानीय भाषाओं को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहे हैं. अंग्रेजी की पढ़ाई जरूरी नहीं है, लेकिन वैश्विक परिदृश्य में प्रदेश के बच्चों को खड़ा करने के लिए अंग्रेजी जानना जरूरी है. सीएम योगी ने हिंदी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं का मुद्दा उठाकर विपक्ष को घेरा.
सीएम योगी ने कहा कि विपक्ष में उर्दू की वकालत करने वाले लोग हैं. ये भोजपुरी, अवधी का विरोध करते हैं. सीएम ने कहा कि अंतिम पायदान के व्यक्ति की आवाज को सदन में मुखरता मिले, इसके लिए व्यवस्था की गई है. यदि वे हिंदी में असमर्थ हैं तो अवधी, बुंदेलखंडी, भोजपुरी जिसमें समर्थ हों, बोल सकते हैं. वह अपनी मातृभाषा में अपने विचार रख सकते हैं. इसका विरोध क्यों किया जा रहा है.