लोकसभा चुनाव 2024 में उत्तर प्रदेश में खराब प्रदर्शन की बीजेपी समीक्षा कर रही है. इस बैठक में केंद्रीय नेतृत्व के सामने दलित मंत्री और नेताओं ने कई मुद्दों को उठाया. राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष के सामने दलित और ओबीसी नेताओं ने आउटसोर्सिंग की नौकरियों में आरक्षण के मुद्दे को हार की एक बड़ी वजह बताया.
आउटसोर्सिंग में आरक्षण का मुद्दा-
दलित और ओबीसी ने आउटसोर्सिंग में आरक्षण नहीं होने को आरक्षण खत्म होने की दिशा में एक बड़ा कदम माना और सरकार के खिलाफ चले गए. इन मंत्रियों ने बताया कि यह दलितों के भीतर घर कर गया था और उन्हें लगा कि सरकार इस बहाने आरक्षण खत्म कर रही है. बीएल संतोष के साथ मुलाकात में योगी सरकार के मंत्री असीम अरुण गुलाब देवी और प्रदेश महामंत्री प्रियंका रावत शामिल थी.
राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष से दलित मंत्री और नेताओं की मुलाकात में जो सबसे बड़ा मुद्दा उभर कर आया, उसमें आउटसोर्सिंग की नौकरी में आरक्षण का नहीं होना था. सभी मंत्रियों ने एक सुर में यह बात बीजेपी राष्ट्रीय संगठन महामंत्री को बताई.
बीजेपी नेतृत्व ने मांगी पूरी रिपोर्ट-
बीजेपी के नेतृत्व ने आउटसोर्सिंग और ठेके की नौकरियों में दलित, ओबीसी और EWS के आरक्षण के नहीं होने को एक बड़ा मुद्दा माना और जल्द ही इस मुद्दे पर एक पूरी रिपोर्ट देने को कहा है.
आउटसोर्सिंग में और ठेके पर नौकरी में आरक्षण लागू करने को लेकर एक कार्य योजना तैयार करने की जिम्मेदारी असीम अरुण को दी गई है, जिसमें इन आउटसोर्सिंग की नौकरियों में कैसे आरक्षण के रोस्टर को लागू किया जाए? इस पर एक पूरी रिपोर्ट असीम अरुण राष्ट्रीय नेतृत्व को देंगे.
बीएल संतोष के सामने यह मुद्दा ओबीसी और दलितों के सभी नेताओं ने उठाया और जल्द ही असीम अरुण को इस पर पूरी रिपोर्ट देने को कहा गया है.
दलित मंत्री और नेताओं ने बीएल संतोष से कहा कि दलित अधिकारियों, थानेदारों, तहसीलदारों को नौकरियां तो मिलती हैं. लेकिन उन्हें पोस्टिंग में दरकिनार रखा जाता है, इसका भी असर पड़ा है.
दलित अधिकारियों को थानों से लेकर तहसील और मुख्यालय में महत्वपूर्ण विभागों में तैनात नहीं करने का मुद्दा भी बीएल संतोष के सामने उठा.
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