Shrutika Silswal Win Commonwealth Youth Award: देव भूमि उत्तराखंड में प्रतिभाओं की कमी नहीं है. बस जरूरत एक मौके की है. इस कड़ी में टिहरी जिले की बेटी श्रुतिका सिलस्वाल का नाम भी जुड़ गया है. श्रुतिका का चयन राष्ट्रमंडल युवा पुरस्कार के लिए हुआ है. जिसके बाद टिहरी गढ़वाल जिले के पांच स्कूलों की चर्चा देश भर में हो रही है. श्रुतिका सिलस्वाल इन स्कूलों के लिए अनोखा शिक्षा मॉडल बनाया है.
जानकारी के मुताबिक श्रुतिका सिलस्वाल ने टिहरी के पांच स्कूलों के लिए पहली से पांचवी तक के बच्चों के लिए और यहां पढ़ाने वाले शिक्षकों के लिए एक प्रोग्राम बनाया है. श्रुतिका सिलस्वाल सिंपल एजुकेशन फाउंडेशन की एसोसिएट डायरेक्टर हैं. उनकी फाउंडेशन जनपद टिहरी के राजकीय प्राथमिक विद्यालय गूलर, राजकीय प्राथमिक विद्यालय लोदसी, राजकीय प्राथमिक विद्यालय ब्यासी, राजकीय प्राथमिक विद्यालय कौड़ियाला एवं राजकीय प्राथमिक विद्यालय कुण्डिया में कार्य कर रही है. इन स्कूलों में मिक्स लर्निंग के लिए पहली से दूसरी और तीसरी से पांचवीं तक के बच्चे एक ही कक्षा में पढ़ते हैं.
लंदन में मिलेगा पुरस्कार
श्रुतिका सिलस्वाल की संस्था शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य कर रही हैं, इसी क्रम में विद्यालय शिक्षा विभाग उत्तराखण्ड ने फाउंडेशन के साथ समझौता किया है. श्रुतिका 2021 से उत्तराखंड में काम कर रही हैं. उन्हें इस अभिनव प्रयोग के लिए राष्ट्रमंडल युवा पुरस्कार देने की घोषणा शनिवार को हुई है. सितंबर में उन्हें यह पुरस्कार लंदन में दिया जायेगा. श्रुतिका अभी दलाईलामा फेलोशिप पर अमेरिका में हैं. उनका प्रयास है कि बच्चों को तीन तरीके से शिक्षा मिले. पहला, उनका शैक्षणिक स्तर अच्छा हो, दूसरा उनका सामाजिक और भावनात्मक विकास हो और तीसरा 21वीं सदी की स्किल्स के हिसाब से उनमें क्रिटिकल थिंकिंग विकसित हो सके.
श्रुतिका सिलस्वाल का मिक्स लर्निंग पर जोर
मूल रूप से टिहरी के कखीलभेलधार की रहने वाली श्रुतिका सिलस्वाल के पिता विनोद सिलस्वाल एमआईटी कॉलेज ढालवाला है और जबकि मां मीनाक्षी चंबा के जीआईसी नागणी में शिक्षिका हैं. उन्होंने बताया कि उनके तीन प्रोग्राम हैं, जो जिला प्रशासन के साथ मिलकर पांच प्राथमिक स्कूलों में चल रहे हैं. हमारा जोर मिक्स लर्निंग पर है और हम उसी कर कार्य कर रहे हैं.
श्रुतिका सिलस्वाल ने वालंटियर के रूप में किया काम
श्रुतिका सिलस्वाल ने दिल्ली से पढ़ाई की और यूथ एलाइंस संस्था के साथ वालंटियर के रूप में काम किया. इस बीच कोविड में उन्होंने पहाड़ के पलायन और शिक्षा व्यवस्था को देखा जिस वजह से उन्होंने कुछ करने की ठानी घर में मां शिक्षिका थी, तो इसमें उनको काफी मदद मिली.
कृष्ण गोविंद कंसवाल की रिपोर्ट...