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Who are Rat-hole Miners: कौन हैं रैट माइनर्स के लीडर मुन्ना कुरैशी...जिन्होंने 41 मजदूरों से सबसे पहले की मुलाकात

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले की टनल में फंसे मजदूरों को 400 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद बचा लिया गया है. अंतिम मील तक पहुंचने का काम रैट माइनर्स ने किया. इस पूरे रेस्क्यू ऑपरेशन के हीरो रहे मुन्ना कुरैशी.

Rat hole miners Rat hole miners

उत्तरकाशी में सिल्क्यारा सुरंग (Uttrakhand Tunnel Rescue) में 17 दिनों से फंसे मजदूरों को सुरक्षित बचा लिया गया है. सभी 41 कर्मचारी स्वस्थ हैं. बचावकर्मियों की कड़ी मेहनत और धैर्य की हर तरफ प्रशंसा हो रही है. पीएम मोदी ने अपने संदेश में बचाव अभियान से जुड़े सभी लोगों के जज्बे को सलाम किया और कहा कि मिशन में शामिल सभी लोगों ने मानवता और टीम वर्क का अद्भुत उदाहरण पेश किया. कई सरकारी एजेंसियां ​​अपनी विशाल सेना के साथ उत्तराखंड सुरंग के अप्रत्याशित इलाके में 24X7 तैनात थीं. हालांकि अंतिम मील तक पहुंचने का काम रैट माइनर्स को प्राप्त हुआ. इन मजदूरों तक सबसे पहले पहुंचने वाले मुन्ना कुरैशी को ऑपरेशन का हीरो बताया जा रहा है. उनकी टीम को टनल में आखिरी 12 मीटर का मलबा हटाने का स्पेशल टास्क मिला था.

कौन हैं मुन्ना कुरेशी?
41 लोगों से मिलने वाले पहले बचावकर्ता मुन्ना कुरेशी इस ऑपरेशन के हीरों हैं. 29 वर्षीय मुन्ना कुरैशी अपने आपमें खास हैं. मुन्ना दिल्ली के राजीव नगर इलाके के रहने वाले हैं. उनकी कंपनी सीवर और पानी की लाइनों को साफ करने का काम करती है. उनकी टीम इस काम में एक्सपर्ट है. टनल के आखिरी 12 मीटर के पड़ाव को निपटाने के लिए मुन्ना की टीम को दिल्ली से उत्तरकाशी लाया गया. कुरैशी और उनकी टीम ने हाथों से मलबा साफ किया और मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने का रास्ता बनाया. इस ऑपरेशन को करने में कुल 26 घंटे का समय लगा.

इंडिया टुडे से बात करते हुए मुन्ना कुरैशी ने बताया, "हमारे सामने अड़चनें आती रहीं लेकिन हम चलते रहे. हमारे सामने स्टील आई, पत्थर आए, उन सबको हमने हटवाया. हमारे सामने कई परेशानियां आईं, लेकिन हमने हिम्मत नहीं हारी. हम चलते रहे और हमें सफलता मिली. ये बहुत मुश्किल था लेकिन हमने ये कर दिखाया. हम बता भी नहीं सकते, उतनी ज्यादा खुशी हो रही है."
मुन्ना ने  आगे कहा, ''हमारा लक्ष्य केवल मजदूरों को बचाना था. हम इन्हें बचाए बिना घर तक नहीं जाते. हमने सोच लिया था कि इन्हें बचाने के बाद ही घर जाएंगे. जब हमने मिट्टी हटाई और हमें मजदूर दिखाई दिए तो हमारी खुशी का ठिकाना नहीं रहा. अंदर फंसे मजदूर भी हमें देखकर बहुत खुश हुए."

मुन्ना ने वहां फंसे मजदूरों का उन्हें देखकर पहला रिएक्शन क्या था ये भी बताया. मुन्ना ने कहा कि जैसे ही उन्होंने वो आखिरी पत्थर हटाया सभी मजदूर खुशी से झूम उठे. उन्होंने हमसे कहा कि हम आपको अपनी जान दे दें या दौलत दे दें. मुन्ना ने उनसे कहा कि हमारा दिल बहुत उदास था क्योंकि आप अंदर फंसे हुए थे. लेकिन अब हम सब बहुत खुश हैं कि आप सभी को बचा लिया गया है."

बैन कर दी गई थी रैट होल माइनिंग
रैट होल माइनिंग छोटी सुरंग खोदकर कोयला निकालने की एक प्रोसेस है. लेकिन 2014 में इसे बैन कर दिया गया था. हालांकि यह तकनीक सिल्क्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों के लिए नया जीवन लेकर आई.