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Positive Story: पिता ने नहीं करने दी पुलिस की नौकरी तो इस महिला ने शुरू किया खुद का काम, बनाती हैं 100 से ज्यादा प्रोडक्ट्स

Success Story: उत्तराखंड की रमा बिष्ट, उन सभी महिलाओं के लिए प्रेरणा हैं जो जिदंगी में बहुत कुछ करना चाहती हैं लेकिन कर नहीं पाती हैं. रमा सिखाती हैं कि कैसे एक रास्ता बंद होने पर दूसरा रास्ता तलाशना चाहिए पर हार नहीं माननी चाहिए.

Women Entrepreneur Rama Bisht Women Entrepreneur Rama Bisht
हाइलाइट्स
  • पास की राज्य पुलिस की परीक्षा

  • नहीं मानी हार, खुद लिखी अपनी किस्मत 

  • जड़ी-बूटियां उगाने पर जोर 

यह कहानी है उत्तराखंड में नैनीताल के ओखलकांडा की निवासी रमा बिष्ट की, जो अपनी खुद की फ्रूट प्रोसेसिंग यूनिट, Apple Zone चलाती हैं. उनकी प्रोसेसिंग यूनिट राज्य के 50 महिला स्वयं सहायता समुहों से फल खरीदती है और इससे वह सैकड़ों महिलाओं को भी रोजगार दे रही हैं. रमा बिष्ट पहाड़ों की हर एक महिला के लिए प्रेरणा हैं. 

इस मंजिल तक पहुंचने का रमा का सफर इतना आसान नहीं थी. 12 साल की छोटी उम्र से ही किसान परिवार की इस बेटी ने प्राकृतिक आपदाओं के कारण अपने खेतों का नुकसान होते देखा है. घर में पैसे की कमी को देखते हुए रमा ने पूरी लगन के साथ अपनी पढ़ाई जारी रखने का फैसला किया. 

पास की राज्य पुलिस की परीक्षा
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, 2002 में, रमा ने उत्तराखंड की प्रतियोगी पुलिस परीक्षा पास कर ली, लेकिन रमा को उसके पिता तेज सिंह बिष्ट ने पुलिस बल में शामिल होने की अनुमति नहीं दी. उनका कहना था कि 'पुलिस में लड़कियों का अक्सर शोषण होता है.' इसके एक महीने के अंदर ही रमा की शादी उसके परिवार वालों ने नैनीताल के नथुवाखान के जीतेंद्र सिंह बिष्ट से कर दी.

यह रमा की किस्मत थी कि उनके ससुराल में भी स्थिति कुछ अलग नहीं थी. रमा ने बताया कि पैसे की तंगी के कारण चूड़ी और बिंदी जैसी छोटी-छोटी चीजें खरीदने के लिए भी कई बार अपनी इच्छाओं को दबाना पड़ता था. 

नहीं मानी हार, खुद लिखी अपनी किस्मत 
हालांकि, रमा ने इस आर्थिक तंगी को अपनी राह का पत्थर नहीं बनन दिया. उन्होंने खुद अपनी किस्मत बदलने की ठानी. उन्होंने बताया कि उनका गांव फल पट्टी में आता है और यहां से उन्हें फलों से घरेलू उत्पाo बनाने का विचार आया. उन्होंने किसानों से छोटे और पके फलों को खरीदना शुरू किया जिन्हें बाजार में नहीं खरीदा जाता है और उनसे जैम, चटनी, जूस, अचार और अन्य उत्पाद बनाना शुरू किया. 

रमा ने खेती और बागवानी करते हुए जीवन बीमा निगम के एजेंट के रूप में काम किया. इन नौकरियों के साथ, उन्होंने स्नातक की डिग्री हासिल की और फिर सोशल वर्क में उच्च शिक्षा पूरी की.

जड़ी-बूटियां उगाने पर जोर 
बागवानी करने के दौरान, रमा ने देखा कि तलहटी में कई जड़ी-बूटियां हैं, जो नई पीढ़ी की खेती के रुझान की कमी के कारण गायब हो रही हैं. उन्होंने इस पर ध्यान देना शुरू किया और बागवानी के साथ-साथ जड़ी-बूटियां भी लगाईं. वर्तमान में, वह कई प्रकार की जड़ी-बूटियों का उत्पादन कर रही हैं जैसे, थाइम, अजवायन, मेंहदी, नींबू घास, नींबू बाम, पुदीना, तुलसी, गुलाब जेरेनियम, एलोवेरा, अश्वगंधा, सर्पगंधा, तेज पत्ता, गिलोय, और अर्जुन आदि. 

अपने जीवन में सफलता पाने के संघर्ष के इस अभियान के दौरान इस उद्यमी को दो दर्जन से अधिक पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है. उन्हें 2019 में राष्ट्रीय स्तर के सरस पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. 2020 में, उन्हें राज्य में ऐतिहासिक कृषि महोत्सव में उत्तरायणी मेला पुरस्कार दिया गया, इसके बाद राष्ट्रीय उत्तराखंड महासभा ने मां नंदा शक्ति सम्मान 2023 दिया गया.