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उत्तरकाशी में सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को निकालने के लिए DRDO ने भेजे 2 खास 'सिपाही'...जानिए दक्ष बंधु के बारे में

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में बीते 11 दिनों से फंसे 41 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए जद्दोजहद जारी है. अब डीआरडीओ (DRDO) भी उनकी मदद के लिए मैदान में उतर गया है. इसके लिए ‘दक्ष मिनी’ और ‘दक्ष स्काउट’ नाम के दो रोबोट्स को लाया गया है.

उत्तरकाशी सुरंग में बचाव अभियान अंतिम दौर में पहुंच गया है. उम्मीद है जल्द ही अच्छी खबर मिलेगी. बचाव दल में अब दो रोबोट भी शामिल हो गए हैं. रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों के कारण पिछले 11 दिनों से चल रहे बचाव अभियान में सहायता के लिए दूर से संचालित इन दो रोबोटों को भेजा है. आधुनिक तकनीक से लैस ये दोनों रोबोट्स को बचाव कार्य आसान बनाने के लिए भेजा गया है जिन्हें 'दक्ष बंधु' नाम दिया गया है.

दक्ष मिनी और दक्ष स्काउट नाम के ये दो रोबोट उत्तरकाशी साइट पर बचाव टीमों के अनुरोध पर डीआरडीओ द्वारा भेजे गए हैं.

क्या हैं दक्ष मिनी और दक्ष स्काउट
दक्ष मिनी एक रिमोट रोबोटिक वाहन है जिसे सीमित स्थान में उपयोग के लिए विशेषीकृत किया गया है. यह रोबोट एक बार चार्ज करने पर दो घंटे तक चल सकता है और इसकी रिमोट रेंज लगभग 200 मीटर है. ये रोबोट अपने हाथ का उपयोग कर सकता है जिसे मैनिपुलेटर आर्म के रूप में जाना जाता है. 20 किलोग्राम तक भार उठाने के लिए और इसका उपयोग इम्प्रोवाइज्ड विस्फोटक उपकरणों को संभालने के लिए किया जा सकता है. इसके अलावा, दक्ष मिनी में उच्च रिज़ॉल्यूशन वाले कैमरे हैं जो नियंत्रक को इसे बेहतर ढंग से संभालने में सक्षम बनाते हैं.

दूसरे रोबोट का नाम दक्ष स्काउट है, जो एक निगरानी रोवर है जिसे निगरानी के लिए डिजाइन किया गया है. दक्ष स्काउट किसी भी प्रकार की सतह पर काम कर सकता है. यह सीढ़ियां भी चढ़ सकता है और झुकी हुई सतहों पर उतर भी सकता है. दक्ष स्काउट में 360 डिग्री व्यू कैमरे हैं और नियंत्रक आसपास का रियल टाइम देख सकता है. दक्ष स्काउट चौबीसों घंटे काम कर सकता है और इसमें बम निष्क्रिय करने जैसी उन्नत क्षमताएं हैं.

अभी कितना काम बाकी
बचाव अभियान के बारे में, राष्ट्रीय राजमार्ग और बुनियादी ढांचा विकास निगम लिमिटेड (NHIDCL)के बचाव प्रयासों का नेतृत्व कर रहे कर्नल दीपक पाटिल ने कहा, उत्तरकाशी में सिल्क्यारा सुरंग में 41 श्रमिकों को बचाने के लिए 12 मीटर पाइपलाइन बिछाने का काम अभी भी बाकी है.मजदूर 12 नवंबर से फंसे हुए हैं, जब सिल्कयारा से बरकोट तक निर्माणाधीन सुरंग में सिल्कयारा की ओर 60 मीटर की दूरी में मलबा गिरने के कारण अवरुद्ध हो गई थी. पाटिल ने गुरुवार सुबह एएनआई को बताया, दो पाइपलाइन बिछाने का काम अभी बाकी है और उनकी लंबाई लगभग 12 मीटर है. हालांकि, अंडमान की टीम ने गैस कटर के जरिए मलबे में मौजूद स्टील की छड़ों को हटा दिया है और रास्ते में आने वाली रुकावट को खत्म कर दिया गया है.

उत्तरकाशी में सिल्क्यारा सुरंग से निकाले जाने के बाद फंसे श्रमिकों की चिकित्सा जांच और देखभाल के लिए चिन्यालीसौड़ के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 41 बिस्तरों वाला एक अस्पताल तैयार किया गया है. एनडीआरएफ कर्मी चल रहे बचाव अभियान में सहायता के लिए उत्तरकाशी की सिल्क्यारा सुरंग में ऑक्सीजन सिलेंडर भी ले गए हैं.