19 सितंबर से यूपी विधानसभा का सत्र शुरू होने वाला है. योगी 2.0 में विधानसभा का ये दूसरा सत्र होगा. जहां एक ओर सरकार ने इसके लिए तैयारी की है, वहीं विपक्ष भी हमेशा की तरह कई मुद्दों पर सरकार को घेरने के लिए तैयार है, लेकिन इस बार सत्र में एक ख़ास पहल होगी. सत्र में 22 सितंबर को विशेष रूप से महिलाओं से सम्बंधित मुद्दों के लिए निर्धारित किया गया है. इस दिन सभी महिला विधायकों को प्राथमिकता के आधार पर बोलने का मौक़ा मिलेगा. महिलाओं के स्वास्थ्य, शिक्षा, सामाजिक स्थिति और लैंगिक भेदभाव जैसे मुद्दों पर विषय उठाकर उस पर सदन में चर्चा की जाएगी. इसकी सबसे ख़ास बात ये है कि नेता सदन यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव भी महिलाओं के मुद्दे पर बोलेंगे.
महिला विधायकों के लिए पहली बार की गई इस तरह की पहल
सत्र में ये पहली बार है जब इस तरह की पहल की जा रही है. 22 सितंबर को प्रश्नकाल के बाद सिर्फ़ महिला विधायकों को बोलने का मौक़ा मिलेगा. उनकी बात पूरा सदन सुनेगा. इस दिन महिलाओं की शिक्षा, उनके स्वास्थ्य, सुरक्षा, सामाजिक -आर्थिक स्थिति के साथ ही लैंगिक भेदभाव और सरकार के प्रयास से आ रहे बदलावों पर भी सदन में चर्चा होगी. ज़ाहिर है जहां सत्ता पक्ष की विधायक केंद्रीय और राज्य की योजनाओं से महिलाओं को होने वाले लाभ पर अपनी बात रख सकती हैं.
वहीं विपक्ष की महिला विधायकों की नज़र महिला सुरक्षा और महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध पर होगी. पहली बार इस तरह का मौक़ा होने की वजह से इसकी तैयारी की जा रही है. हालाँकि इसका प्रारूप अभी सामने आना है, लेकिन इसमें महिला विधायकों को तय विषय पर बोलना होगा. विधानसभा में नयी पहल करने वाले विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना कहते हैं, 'महिला विधायकों को बोलने का मौक़ा दिया जाएगा और उनके उत्साहवर्धन के लिए नेता सदन और नेता प्रतिपक्ष भी बोलें ऐसा हम चाहते हैं.'
'सार्थक चर्चा होगी तो रास्ता भी निकलेगा'
इस पहल के बारे में महिला विधायकों का कहना है कि ये पहल सिर्फ़ इस वजह से ख़ास नहीं है कि महिला विधायकों को बोलने का मौक़ा मिलेगा. बल्कि इस वजह से ख़ास है कि ऐसे तमाम मुद्दे इसमें उठाए जाएंगे जो ज़रूरी हैं. शाहाबाद से विधायक और योगी सरकार में उच्च शिक्षा राज्य मंत्री रजनी तिवारी इसे एक अहम पहल मानती है.
वो कहती हैं कि 'जो कई बार की विधायक हैं वो तो बोलती हैं पर इस पहल से जो पहली बार चुनकर आयी महिला विधायक हैं उनको सदन में बोलने का मौक़ा मिलेगा. इसके लिए विधानसभा अध्यक्ष को साधुवाद है, जिन्होंने इस तरह की अभिनव सोच के साथ ये योजना तय की.' रजनी तिवारी मानती हैं कि जब सदन में कोई मुद्दा उठेगा और सार्थक चर्चा होगी तो रास्ता भी निकलेगा.
इस बीच कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में विधानसभा के एजेंडे पर चर्चा हुई तो सर्वदलीय बैठक में सभी दलों से सहयोग माँगा गया. समाजवादी पार्टी ने सदन को कम से कम 10 दिन तक चलाने की माँग की है.